cy520520 • 2025-12-3 03:37:34 • views 668
हापुड़ में टूटी सड़कों और गड्ढ़ों के कारण भी प्रदूषण बढ़ रहा है।
ठाकुर डीपी आर्य, हापुड़। टूटी सड़कों और गड्ढ़ों के कारण भी प्रदूषण बढ़ रहा है। इनसे होने वाला प्रदूषण औद्योगिक क्षेत्र से भी ज्यादा घातक होता है। इसके चलते हवा में पीएम-10 और पीएम-2.5 के साथ ही रबर, तारकोल व डीजल के उत्सर्जन से निकलने वाले कार्बन कण मिल जाते हैं। जोकि सांस के साथ शरीर में प्रविष्ट हो जाते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इससे कई गंभीर बीमारियां हो सकती है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक ओर जहां उद्योगों पर नियंत्रण किया जा रहा है, वहीं सड़कों की हालत और जगह-जगह बन रहे अवैध ब्रेकर की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस मामले में विशेषज्ञों की टीम ने अध्ययन शुरू कर दिया है।
यह है स्थिति
नवंबर का आरंभ होते ही प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा था। दो दिसंबर को हवा चलने के बावजूद जिले में वायु गुणवत्ता सूचकांक 393 पर पहुंच गया है। वहीं पीएम-2.5 का स्तर 455 पर पहुंच गया है। जबकि पीएम-10 का स्तर 412 ही है। इसके साथ ही हवा में सल्फर कणों की मात्रा मानक 10 के सापेक्ष 51 पर और कार्बन की मात्रा 20 के सापेक्ष 82 पर पहुंच गई है। इससे हवा विषाक्त होने लगी है। ऐसे में खुली हवा में सांस लेना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।
यह है कारण
प्रदूषण बढ़ने का बड़ा कारण तापमान में कमी को माना जा रहा है। कम तापमान के चलते हवा भी ठंडी हो जाती है। हवा गर्म नहीं हो पाने के कारण वातावरण में ऊपर नहीं उठ पाती है। जिससे धूल-धुआं के कण भी हवा के साथ धरातल के आसपास ही छाने लगते हैं। इससे धरातल के पास का वायुमंडल प्रदूषण के चैंबर का रूप ले लेता है। इसी हवा में जीवों को सांस लेना होता है। ऐसे में प्रदूषण का दुष्प्रभाव लोगों को झेलना पड़ता है।
पराली-जेनरेटर व उद्योगों को माना जाता है कारण
प्रदूषण का मुख्य कारण पराली के जलाने, उद्योगों के उत्सर्जन और डीजल जेनरेटर को माना जाता है। इसके चलते ही प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर इनको प्रतिबंधित-नियंत्रित कर दिया जाता है। इसके चलते प्रदूषण नियंत्रण में मदद भी मिलती है। हालांकि इसके साथ ही प्रदूषण फैलने के अन्य कई कारण भी हैं। एक प्रमुख कारण सड़कों का टूटा होना और जगह-जगह ब्रेकर का बनाया जाना है।
ऐसे बढ़ता है प्रदूषण
टूटी सड़कों के चलते वाहन चालकों को बार-बार ब्रेक लेने पड़ते हैं। ब्रेक के चलते सड़क पर टायरों का घर्षण ज्यादा होता है। इससे सड़कों का तारकोल और टायरों की रबर के महीन कण हवा में मिल जाते हैं। ऐसा ही गड्ढ़ों से वाहन के निकलने पर होता है। वाहन को तेज करने के लिए एक्सीलेटर देना पड़ता है। इस दौरान भी टायर व सड़क सड़क घिसटते हैं। वहीं वाहन भी ज्यादा धुआं देते हैं। ऐसा ही ब्रेकर पर भी होता है। वहीं गड्ढ़ों से होकर वाहनों के पहिए निकलने के दौरान भी धूल उड़ती है, जिससे प्रदूषण बढ़ता है।
जाम वाले स्थान
तहसील चौराहा, मेरठ तिराहा, पक्का बाग, गढ़ रोड, स्वर्ग आश्रम रोड,बुलंदशहर रोड, मेरठ रोड,गढ़मुक्तेश्वर में मेरठ रोड, स्याना रोड, गंगा मार्ग, धान मंडी व पिलखुआ में औद्योगिक क्षेत्र
यहां की सड़कें हैं जर्जर
लज्जापुरी, सबली मार्ग, एलएन रोड, मुंडलाना रोड, छपकौली-ककोड़ी मार्ग, ककोड़ी से लुकराणा मार्ग, बाबूगढ चौपला सर्विस रोड, गढ़ में स्याना रोड व मेरठ रोड।
जर्जर सड़कों, गड्ढे वाले स्थानों और ब्रेकर के आसपास प्रदूषण ज्यादा होता है। वहां पर धूल-धुआं के कणों के साथ ही रबर व तारकोल के कण भी हवा में मिले होते हैं।इन कणों के कारण फैलने वाला प्रदूषण ज्यादा घातक होता है। यह प्रदूषण का सबसे खतरनाक कारण है, जिसकी ओर कम ध्यान दिया जाता है। हम इसपर विशेष अध्ययन करा रहे हैं। - डॉ. अशोक कुमार, मौसम व पर्यावरण विज्ञानी, कृषि विज्ञान केंद्र |
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