नगर पंचायत ढंडेरा। जागरण
अनुज कटारिया, जागरण, रुड़की : ढंडेरा नगर पंचायत में सीवरेज और जलनिकासी की व्यवस्था न होने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
नगरवाासियों को उम्मीद थी कि नगर पंचायत बनने के बाद जलनिकासी और सीवरेज की समस्या का स्थायी समाधान होगा। लेकिन, ऐसा नहीं हो सका।
खास ये है कि वर्ष 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत की ओर से 169 करोड़ की जलनिकासी एवं पेयजल व्यवस्था के लिए स्वीकृत सीवर परियोजना फाइलों में ही धूल फांक रही है।
जबकि नगर पंचायत की 50 हजार से अधिक की आबादी रोज जलभराव, गंदगी और अव्यवस्था का सामना कर रही है।
सीवरेज व्यवस्था न होने के कारण अशोक नगर के लोगों ने अपने घरों में गड्ढे खोदकर दैनिक उपयोग का पानी उन्हीं में छोड़ना शुरू कर दिया है, जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है।
नगर पंचायत ढंडेरा 2021 में अस्तित्व में आई थी। चार साल बीतने के बावजूद यहां सीवरेज व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
पिछले चार सालों से किसी भी प्रकार का विकास कार्य, चाहे नाली निर्माण हो, वेस्ट प्रबंधन हो, पथ प्रकाश व्यवस्था हो या सीवरेज, कहीं भी कोई सुधार दिखाई हुआ है।
स्थिति यह कि नगर पंचायत के 11 वार्डों में सिर्फ कर्मचारियों के वेतन में ही पूरा वार्षिक ग्रांट खर्च हो जाता है, जिससे विकास कार्यों के लिए बजट नाममात्र का भी नहीं बचता।
वर्ष 2013 में ढंडेरा, मोहनपुरा और मिलापनगर क्षेत्र के लिए सीवरेज प्रबंधन प्रणाली को स्वीकृति मिली थी। यह योजना लंढौरा स्थित सोलानी नदी तक जलनिकासी का स्थायी समाधान एवं पेयजल व्यवस्था प्रस्तुत करती थी।
परियोजना का जिम्मा उत्तराखंड पेयजल निगम हरिद्वार को सौंपा गया था। पूरे क्षेत्र के लिए एक आधुनिक ट्रीटमेंट प्लांट भी प्रस्तावित था, जो सन 2050 तक की अनुमानित जनसंख्या को देखते हुए बनाया जाना था।
लेकिन इतनी महत्वपूर्ण और भविष्य को ध्यान में रखकर तैयार की गई यह परियोजना फाइलों में उलझकर रह गई है। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि नगर पंचायत के अधिकारियों ने इस योजना को आगे बढ़ाने की कोई ठोस पहल नहीं की। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यदि यह योजना प्रारंभ हो जाती, तो ढंडेरा वर्षों पुरानी जलनिकासी की समस्या से मुक्त हो सकता था।
वर्षाकाल आते ही ढंडेरा की परेशानी कई गुना बढ़ जाती है। मोहनपुर, मोहम्मदपुर, मिलापनगर, मंडी क्षेत्र और कई अन्य इलाकों में जलभराव आम बात है। सड़कें जलमग्न हो जाती हैं, घरों के बाहर बदबूदार पानी भर जाता है और आवागमन बाधित हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में लोगों के लिए घर से निकलना भी चुनौती बन जाता है।
सुदंरम शर्मा, निवासी ढंडेरा
वर्षाकाल में ढंडेरा में जलभराव की समस्या भयंकर हो जाती है। कई-कई दिनों तक पानी निकलने का नाम नहीं लेता। नाली और सीवरेज की कोई व्यवस्था नहीं है, बस लोग अपने हाल पर छोड़ दिए गए हैं। नगर पंचायत का गठन तो सुविधा बढ़ाने के लिए हुआ था, लेकिन हकीकत उलट है।
उमाशंकर शर्मा, निवासी ढंडेरा
2013 की कार्ययोजना यदि समय पर लागू हो जाती, तो ढंडेरा ही नहीं, रुड़की के आसपास के कई क्षेत्रों को भी इससे राहत मिलती। ढंडेरा तेजी से विकसित हो रहा है, यहां कालोनियों का विस्तार लगातार हो रहा है। इस नगर पंचायत को शहर की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए यह परियोजना निर्णायक कदम थी, लेकिन लापरवाही ने इसे भी खत्म कर दिया।
उदय सिंह पुंडीर, निवासी ढंडेरा
नगर पंचायत बनने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि अब ढंडेरा में बुनियादी व्यवस्था सुधरेगी। पर सच यह है कि चार साल में एक भी काम जमीन पर नहीं उतरा। स्ट्रीट लाइटें खराब रहती हैं, नालियां टूटी पड़ी हैं और गंदगी हर गली में दिखाई देती है। अधिकारी सिर्फ आश्वासन देते हैं, कार्रवाई कुछ नहीं होती।
गोविंद, निवासी ढंडेरा
परियोजना की जानकारी नहीं है। फिलहाल नगर पंचायत में विकास कार्यों के लिए शासन में प्रस्ताव बनाकर भेजें हैं। धन उपलब्ध होने पर सीवरेज प्रबंधन, जलनिकासी के लिए प्राथमिकता पर कार्य कराया जाएगा।
वीरेंद्र सिंह, अधिशासी अधिकारी ढंडेरा नगर पंचायत |