महावीर यादव, बादशाहपुर। शहर की तेजी से बढ़ती कचरा समस्या के बीच रिजवुड एस्टेट आरडब्ल्यूए (डीएलएफ फेज-4) ने वह कर दिखाया, जिसे अधिकतर सोसायटी लक्ष्य तो बनाती हैं पर पूरा नहीं कर पातीं। लगभग 10 साल पहले शुरू हुई एक छोटी सी पहल आज एक पूरी सोसायटी को जीरो-वेस्ट कालोनी में बदल चुकी है। रिजवुड एस्टेट सोसायटी दूसरी सोसायटी के लिए एक मिसाल बन गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
रिजवुड एस्टेट में 12 ब्लाक, 924 फ्लैट और करीब 3500 निवासी रहते हैं। प्रतिदिन सोसायटी से लगभग 500 किलोग्राम कचरा निकलता है। लेकिन इस कचरे को लैंडफिल तक पहुंचने से रोकने का सफर बेहद दिलचस्प है। सोसायटी में कचरे के सेग्रीगेशन की असल शुरुआत लगभग पांच साल पहले एक महिला निवासी ने की थी। उन्होंने घर-घर जाकर गीले और सूखे कचरे को अलग करने के फायदों को समझाया। लोगों को नमूना बिन दिए।
शुरुआत में खुद ही निगरानी भी की। यह काम आसान नहीं था। शुरुआती दौर में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कई परिवारों को दो बिन रखने में परेशानी लगती थी। कुछ लोग इसे अतिरिक्त मेहनत मानते थे। शुरुआती महीनों में मिक्स कचरा आना आम बात थी। मगर धीरे-धीरे उनके प्रयासों से कारवां बढ़ता गया। आरडब्ल्यूए ने कदम आगे बढ़ाया। जागरूकता अभियान चलाया। बच्चों को शामिल किया गया। पोस्टर प्रतियोगिताएं हुईं। सोसायटी के अलग-अलग ब्लाक में नियम तय किए गए और निगरानी शुरू हुई।
कैसे डाली गई घर से ही सेग्रीगेशन की आदत
बकौल रिजवुड आरडब्ल्यूए बदलाव तभी शुरू हुआ जब निवासियों को यह समझाया गया कि कचरा अलग करना सिर्फ सफाई नहीं बल्कि पर्यावरण बचाने का कदम है। शहर घर को गीला-सूखा अलग करने के लिए दो बिन उपलब्ध कराए गए। यदि घर से कचरा अलग निकलेगा। तभी आगे प्रोसेस होगा। यह संदेश मजबूती से दिया गया। आज स्थिति यह है कि प्रतिदिन निकलने वाला 500 किलोग्राम कचरे में 350 किलोग्राम गीला कचरा अलग आता है। लगभग 150 किलोग्राम सूखा कचरा प्रतिदिन पूरी तरह से सेग्रीगेट किया जाता है।
अपना कम्पोस्ट प्लांट, गीले कचरे का पूरा उपयोग सोसायटी में ही सोसायटी ने कुछ साल पहले अपना कम्पोस्ट प्लांट लगाया। इसमें रोजाना आने वाला 350 किलोग्राम गीला कचरा डाला जाता है।। कुछ ही हफ्तों में उच्च गुणवत्ता की खाद तैयार हो जाती है।
इस खाद का उपयोग सोसायटी के पार्कों और ग्रीन एरिया में किया जा रहा है। अतिरिक्त खाद आसपास की अन्य सोसायटी और आरडब्ल्यूए को भी दी जाती है। इससे फायदे यह है कि लैंडफिल तक जाने वाले कचरे में बड़ी कमी आई। बागवानी और पौधों की मिट्टी सुधारने में कम खर्च पर बेहतर परिणाम आ रहे हैं।
रिजवुड एस्टेट में कचरा सेग्रीगेशन कोई नया प्रयोग नहीं। बल्कि वर्षों की लगातार मेहनत का परिणाम है। हमने डोर-टू-डोर अभियान चलाकर हर निवासी को गीला-सूखा कचरा अलग करने के लिए प्रेरित किया। आज हमारी सोसायटी में अलग-अलग बिन का उपयोग एक आदत बन चुका है। कम्पोस्ट प्लांट इस पहल को और मजबूत करता है।
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गुरप्रीत सिंह, अध्यक्ष, आरडब्ल्यूए, रिजवुड एस्टेट
जब हमने शुरुआत की बहुत से लोगों को कचरा अलग करना कठिन लगता था। लेकिन हमने हर घर जाकर समझाया कि यह केवल सफाई नहीं। पर्यावरण की जिम्मेदारी है। धीरे-धीरे लोग जागरूक हुए और अब पूरी सोसायटी सेग्रीगेशन को अपनाती है। सबसे संतोष की बात यह है कि हमारा कम्पोस्ट प्लांट शानदार खाद बनाता है।
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किटटू माथुर, महासचिव, आरडब्ल्यूए, रिजवुड एस्टेट
पहले कचरा मिक्स आता था, जिससे हमें प्रोसेस करने में दिक्कत होती थी। लेकिन अब निवासी गीला और सूखा कचरा अलग करके देते हैं। जिससे काम आसान हुआ है। कम्पोस्ट प्लांट में जाने वाला गीला कचरा साफ और सही तरीके से आता है। इसी वजह से बहुत अच्छी क्वालिटी की खाद बन रही है। यह देखकर अच्छा लगता है कि पूरी सोसायटी मिलकर इस बदलाव का हिस्सा है।
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कुणाल, निवासी, रिजवुड एस्टेट
सेग्रीगेशन की आदत शुरू में नई थी, लेकिन अब यह हमारे जीवन का हिस्सा बन चुकी है। सोसायटी द्वारा घर-घर जाकर दी गई जागरूकता ने बड़ा फर्क डाला। हमारा कचरा सही तरीके से प्रोसेस हो रहा है। कम्पोस्ट प्लांट की खाद हमारे पौधों को और स्वस्थ बनाती है।
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अबनती मजूमदार, निवासी, रिजवुड एस्टेट |