Aaj ka Panchang 1 December 2025: आज का पंचांग
आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। आज यानी 1 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi 2025) और गीता जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विधान है और द्वादशी तिथि पर व्रत का पारण किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गीता जयंती (Gita Jayanti 2025) के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में भगवद्गीता का उपदेश दिया। एकादशी के दिन कई योग भी बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 1 December 2025) के बारे में। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
तिथि: शुक्ल एकादशी
मास पर्णिमांत: मार्गशीर्ष
दिन: सोमवार
संवत्: 2082
तिथि: शुक्ल एकादशी – सायं 07 बजकर 01 मिनट तक
योग: व्यातिपात – 02 दिसंबर को रात्रि 12 बजकर 59 मिनट तक
करण: वणिज – प्रातः 08 बजकर 20 मिनट तक
करण: विष्टि – सायं 07 बजकर 01 मिनट तक
करण: बव – 02 दिसंबर को प्रातः 05 बजकर 33 मिनट तक
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: प्रातः 06 बजकर 56 मिनट पर
सूर्यास्त: सायं 05 बजकर 24 मिनट पर
चंद्रोदय: दोपहर 02 बजकर 22 मिनट पर
चंद्रास्त: 02 दिसंबर को प्रातः 03 बजकर 42 मिनट पर
सूर्य राशि: वृश्चिक
चन्द्रमा की राशि: मीन
आज के शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11 बजकर 49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक
अमृत काल: रात्रि 09 बजकर 05 मिनट से 10 बजकर 34 मिनट तक
आज के अशुभ समय
राहुकाल: प्रातः 08 बजकर 15 मिनट से 09 बजकर 33 मिनट तक
गुलिकाल: दोपहर 01 बजकर 29 मिनट से सायं 02 बजकर 47 मिनट तक
यमगण्ड: प्रातः 10 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक
आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव रेवती नक्षत्र में रहेंगे।
रेवती नक्षत्र: रात्रि 11 बजकर 18 मिनट तक।
सामान्य विशेषताएं: चतुर, ईमानदार, अध्ययनशील, लचीला, आकर्षक व्यक्तित्व, कूटनीतिज्ञ, चंचल मन, सुंदर, ऐश्वर्यवान, सफल, बुद्धिमान, नैतिक, समृद्ध और विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण
नक्षत्र स्वामी: बुध देव
राशि स्वामी: बृहस्पति देव
देवता: पूसन (पोषणकर्ता)
प्रतीक: मछली
गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी का धार्मिक महत्व
गीता जयंती (Gita Jayanti 2025 Significance)
गीता जयंती वह पावन दिन है जब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में भगवद्गीता का उपदेश दिया। यह दिन धर्म, कर्तव्य और आत्मज्ञान की महत्ता को याद दिलाता है। इस अवसर पर भक्त गीता पाठ, ध्यान और सत्संग करते हैं। गीता सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में धैर्य, सत्य और कर्मयोग का पालन ही जीवन का सही मार्ग है। फल की चिंता छोड़कर कर्तव्यनिष्ठ रहना मन को शांति और आत्मविश्वास देता है। गीता जयंती आत्मचिंतन, आध्यात्मिक उन्नति और सदाचार के संकल्प का दिव्य अवसर है।
मोक्षदा एकादशी व्रत (Mokshada Ekadashi 2025 Significance)
मोक्षदा एकादशी व्रत मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से पापों का क्षय होता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग सरल होता है। मान्यता है कि इस व्रत का फल पूर्वजों को भी मुक्ति प्रदान करता है। श्रद्धालु प्रात: स्नान कर व्रत का संकल्प लेते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और गीता पाठ का विशेष महत्व होता है।
मोक्षदा एकादशी व्रत मन को पवित्र बनाकर जीवन में शांति, सद्भावना और आत्मिक उन्नति का अनुभव कराता है।
मोक्षदा एकादशी व्रत की विधि
- प्रात:काल उठकर स्वच्छ होकर स्नान करें।
- साफ-सुथरे स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करके पूजा का संकल्प लें।
- व्रत के दौरान निराहार या फलाहार का पालन करें।
- भगवद्गीता का पाठ करें या विष्णु सहस्रनाम का जाप करें।
- दिनभर क्रोध, झगड़ा और नकारात्मक गतिविधियों से दूर रहें।
- संध्या में भगवान विष्णु की आरती करें।
- अगले दिन द्वादशी तिथि को व्रत का पारण करें।
- ब्राह्मण, गरीब या जरूरतमंद को दान दें।
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