SIR पर फिर गर्म रहेगा संसद का शीतकालीन सत्र (फाइल फोटो)
अरविंद शर्मा, जागरण नई, दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है, लेकिन इससे पहले ही मतदाता सूची विशेष पुनरीक्षण (SIR) और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों ने राजनीतिक माहौल को असामान्य रूप से गर्म कर दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बिहार चुनाव के बाद होने वाला यह पहला सत्र है, इसलिए सरकार सुधारों की रफ्तार बढ़ाना चाहती है, जबकि विपक्ष ने साफ कर दिया है कि एसआइआर पर व्यापक चर्चा के बिना सदन का सुचारु संचालन मुश्किल होगा। नतीजतन, देश की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि शुरुआती दिनों में ही सदन का माहौल किस दिशा में मुड़ता है।
सर्वदलीय बैठक में क्या-क्या हुआ?
रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक इन तनावों की झलक पेश करती है। एसआईआर वही मुद्दा है, जिसपर विपक्ष की ओर से सरकार को लोकतांत्रिक पारदर्शिता पर चोट पहुंचाने का आरोप लगाकर घेरा जाता रहा है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल, डीएमके और वामदलों ने मतदाता सूची में कथित गड़बडि़यों और \“चयनित वोट कटौती\“ को लोकतंत्र के लिए जोखिम बताते हुए गंभीर चर्चा की मांग दोहराई है।
हालिया दिल्ली विस्फोट को भी विपक्ष ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ते हुए इसे सदन में उठाने की जरूरत पर जोर दिया है।सर्वदलीय बैठक के दौरान विपक्ष के तेवर भले तीखे रहे, मगर सरकार ने माहौल को संतुलित करने की कोशिश की।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में हुई बैठक में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजिजू ने विपक्ष से \“ठंडे दिमाग\“ से काम लेने की अपील करते हुए कहा कि मतभेद लोकतंत्र का आधार है, लेकिन सदन की गरिमा बनाए रखना सभी दलों की साझा जिम्मेदारी है।
कांग्रेस ने बैठक को लेकर क्या कहा?
उन्होंने स्पष्ट किया कि बहस से बचने का सवाल ही नहीं है और सभी मुद्दे बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में रखे जाएंगे। रीजिजू ने यह भी कहा कि सत्र बाधित करने की चेतावनी विपक्ष की सर्वसम्मत राय नहीं है, बल्कि कुछ नेताओं के व्यक्तिगत बयान हैं।
उधर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सर्वदलीय बैठक को औपचारिक करार देते हुए आरोप लगाया कि सरकार दर्जन भर से अधिक विधेयक पारित कराने को उतावली है, जबकि इनमें से अधिकांश स्थायी समिति की समीक्षा से नहीं गुजरे हैं। कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने तो सरकार पर लोकतंत्र को \“डिरेल\“ करने तक का आरोप लगाया।
सपा नेता रामगोपाल यादव ने एसआइआर में व्यापक अनियमितता की बात दोहराते हुए स्पष्ट कहा कि चर्चा न होने पर गतिरोध तय है। बैठक में टीएमसी और वामपंथी दलों ने भी एसआइआर और दिल्ली विस्फोट को मिलाकर एक व्यापक सुरक्षा बहस की मांग रखी।इस बीच, सत्ता पक्ष आगामी विधेयकों पर अपना ध्यान बनाए हुए है।
संसद सत्र पर टिकी देश की निगाहें
सरकार नागरिक परमाणु क्षेत्र में निजी निवेश को अनुमति देने, उच्च शिक्षा आयोग के गठन, पूंजी बाजार नियामक संहिता, सेंट्रल एक्साइज संशोधन और स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़े नए उपकर समेत कई अहम विधेयक लाने की तैयारी में है। सरकार का कहना है कि सत्र छोटा है, इसलिए विधायी कामकाज को प्राथमिकता देना जरूरी है।
जाहिर है, दोनों पक्षों के स्टैंड की असली परीक्षा अब सदन में ही होगी। सवाल है कि सदन में क्या एसआईआर और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर संतुलित और सार्थक बहस हो पाएगी या फिर पिछले सत्र की तरह ही विपक्ष की आक्रामकता और सत्ता पक्ष की दृढ़ता संसद में नए टकराव को जन्म देगी। देश की निगाहें इस टकराव और संवाद के बीच बनने वाली इस नई राजनीतिक रेखा पर टिकी हुई हैं।
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