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SC ने हाथरस कांड की निगरानी करने और आदेश देने की मांग की खारिज, HC में लंबित है मामला

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SC ने हाथरस कांड की निगरानी करने और आदेश देने की मांग की खारिज (फाइल फोटो)



जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस कांड की निगरानी का मामला हाई कोर्ट से मंगाकर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी किये जाने और पीडि़त परिवार के पुनर्वास आदि के संबंध में आदेश दिये जाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

याचिका में पीडि़त परिवार के पुनर्वास के साथ बच्चों की उचित शिक्षा के इंतजाम का भी आदेश मांगा गया था। न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और अतुल एस चंदुरकर की पीठ ने याचिकाकर्ता पीडि़त परिवार की ओर से वकील महमूद प्राचा और दूसरी ओर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से एडीशनल एडवोकेट जनरल शरण देव सिंह ठाकुर की दलीलें सुनने के बाद रिट याचिका खारिज कर दी।
नहीं किया गया पीड़ित परिवार का पुनर्वास

कोर्ट ने कहा कि मामला हाई कोर्ट में लंबित होने को देखते हुए वह इस याचिका पर विचार करने का इच्छुक नहीं है। इससे पहले मामले पर बहस करते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कोर्ट के आदेश और कानून के मुताबिक पीडि़त परिवार का पुनर्वास किया जाना था जो कि अभी तक नहीं किया गया।

जबकि दूसरी ओर उत्तर प्रदेश सरकार के एडीशनल एडवोकेट जनरल शरण देव सिंह ठाकुर ने याचिका का विरोध करते हुए प्रदेश सरकार के 22 फरवरी 2025 के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सरकार ने पीडि़त परिवार के पुनर्वास और रोजगार का आदेश दिया है।
कोर्ट ने याचिका की खारिज

साथ ही पीडि़त परिवार की पसंद की जगह अलीगढ़, एटा या कासगंज में किसी भी जगह घर भी देना उसमें शामिल है। शरण ठाकुर ने कहा कि जब मामले की निगरानी हाई कोर्ट कर रहा है तो ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को मामले की निगरानी नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे चीजों में दोहराव होगा।

कोर्ट ने प्रदेश सरकार की दलीलें स्वीकार करते हुए रिट याचिका खारिज कर दी। हालांकि हाई कोर्ट के एक अंतरिम आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और याचिकाकर्ता ने कुछ अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय मांग लिया।
हाईकोर्ट कर रहा मामले की निगरानी

लेकिन इस मामले में भी एडीशनल एडवोकेट जनरल का कहना था कि आदेश का पालन हो गया है और उसके बाद हाई कोर्ट ने उचित आदेश भी पारित किये हैं। यह मामला 2020 में हाथरस की एक दलित लड़की से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या से जुड़ा है। परिवार वालों सुप्रीम कोर्ट ने मामले की निगरानी करने की मांग के साथ ही पुनर्वास की मांग की थी। हालांकि हाई कोर्ट पहले से मामले की निगरानी कर रहा है।

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