अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के 71वें राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन सत्र बोलते इसरो के पूर्व अध्यक्ष डा. एस. सोमनाथ।
जागरण संवादाता, देहरादून: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के 71वें राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में इसरो के पूर्व अध्यक्ष डा. एस. सोमनाथ ने युवाओं को देश निर्माण और नवाचार का संदेश दिया।
शुक्रवार को परेड मैदान स्थित भगवान बिरसा मुंडा नगर में आयोजित भव्य समारोह में उन्होंने कहा कि कोई भी राष्ट्र तभी उठता है, जब उसकी युवा पीढ़ी बदलाव का इंतजार नहीं करती, बल्कि ज्ञान, तकनीक और दृढ़ संकल्प से स्वयं परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करती है। आज का युवा यदि ठान ले, तो वह भारत को दुनिया के अग्रणी राष्ट्रों की पहली पंक्ति में खड़ा कर सकता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
डा. सोमनाथ ने कहा कि भारत आज जिस आत्मविश्वास और गति के साथ आगे बढ़ रहा है, उसे दुनिया पूरी तरह नए नजरिये से देख रही है। भारत लोकतांत्रिक स्थिरता का स्तंभ है और तकनीकी नवाचार का वैश्विक केंद्र भी। अंतरिक्ष अनुसंधान, डिजिटल टेक्नोलाजी, क्वांटम साइंस, एआइ और बायोटेक जैसे क्षेत्रों में भारत हर दिन नई कहानी लिख रहा है।
यह वही क्षण है जिसका इंतजार हमारे पूर्वजों, स्वतंत्रता सेनानियों और विचारकों ने सदियों तक किया। यह ऊर्जा युवा शक्ति से ही आई है और वही भारत को स्वर्णिम भविष्य की ओर ले जाएगी।
उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे युवा और सबसे बड़ा राष्ट्र है। यह केवल जनसांख्यिकीय लाभ नहीं, बल्कि एक वरदान है। युवा अपनी दृढ़ता और संकल्प से दिशा बदल सकते हैं और राष्ट्र की नई पहचान गढ़ सकते हैं।
उन्होंने युवाओं को याद दिलाया कि स्वामी विवेकानंद का प्रसिद्ध कथन- “उठो, जागो और तब तक मत रूको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए”, आज भी उतना ही प्रासंगिक है। सही दिशा और मार्गदर्शन मिलने पर युवा असंभव को भी संभव कर सकते हैं।
डा. सोमनाथ ने कहा कि भारत का भविष्य नवाचार और तकनीक पर आधारित होगा। आने वाले समय में क्वांटम कंप्यूटिंग, ग्रीन टेक्नोलाजी, ड्रोन और सेंसर आधारित कृषि, स्वदेशी रक्षा तकनीक, स्पेस साइंस और बायोटेक्नोलाजी जैसे क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका युवाओं की होगी।
उन्होंने कहा कि प्रेरित युवाओं के हाथों में तकनीक राष्ट्रीय शक्ति बन जाती है, जो उद्योगों को बदलती है, समाज को मजबूत करती है और आने वाले समय को सुरक्षित बनाती है।
उन्होंने भारत की विशिष्टता पर जोर देते हुए कहा कि विज्ञान और अध्यात्म का संतुलन ही हमारी सभ्यता की ताकत है। विज्ञान प्रगति देता है और संस्कार प्रतिष्ठा देते हैं। भारत का विकास इन्हीं दोनों के समन्वय से आगे बढ़ेगा।
अंतरिक्ष अभियान चंद्रयान, आदित्य एल-1 और आने वाले गगनयान मिशन से लेकर डिजिटल टेक्नोलॉजी और स्वदेशी रक्षा क्षमताओं तक, भारत लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है। आपरेशन सिंदूर में स्वदेशी तकनीक की क्षमता को पूरी दुनिया ने देखा। भविष्य की तकनीकें भारत में ही विकसित और निर्मित होंगी।
डा. सोमनाथ ने 2047 के भारत की तस्वीर पेश करते हुए कहा कि आने वाला भारत अंतरिक्ष, विनिर्माण, हरित ऊर्जा और सतत विकास में विश्व नेतृत्व करेगा। यह वही भारत होगा जहां हर हाथ में हुनर, हर मन में विश्वास और हर दिल में राष्ट्रभक्ति होगी।
युवाओं को यह सोचने की आवश्यकता है कि वे भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्या कर रहे हैं। देश युवाओं से नेतृत्व, चरित्र और उत्कृष्टता की अपेक्षा करता है।
उन्होंने कहा कि भारत एक है और इसे एक रखना युवाओं की जिम्मेदारी है। छोटे सपने देखोगे तो छोटा भारत बनेगा। बड़े सपने देखकर विशाल भारत। आज के युवाओं के बड़े संकल्प ही 2047 के विकसित भारत की नींव रखेंगे।
अंत में डा. सोमनाथ ने कहा कि यदि युवा उठेंगे, तो भारत शिखर पर पहुंचेगा। 2047 का भारत आज के युवाओं के संकल्प, परिश्रम और नवाचार पर निर्भर है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, संस्कार और सेवा को जीवन का आधार बनाकर भारत को विश्व गुरु बनाने का संकल्प लें।
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