राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब शिक्षा विभाग में प्रिंसिपल पदों पर होने वाली प्रमोशन प्रक्रिया को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्रमोशन पर रोक लगाते हुए सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। हेडमास्टर/हेडमिस्ट्रेस कैडर के पांच अधिकारियों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर विभाग द्वारा जारी 14 नवंबर 2025 के नोटिस को चुनौती दी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, शिक्षा विभाग ने 14 नवंबर को एक नोटिस जारी कर केवल लेक्चरर और वोकेशनल लेक्चरर के केस ही डीपीसी में रखने का निर्णय लिया, जबकि सर्विस रूल्स में प्रिंसिपल पद के 75% प्रमोशनल कोटे में से 20% कोटा हेडमास्टर/हेडमिस्ट्रेस कैडर को स्पष्ट रूप से दिया गया है। उन्होंने कहा कि विभाग जानबूझकर पूरी प्रक्रिया को तीन दिन में निपटाने की कोशिश कर रहा है ताकि हेडमास्टर कैडर के अधिकारी प्रमोशन के दायरे से बाहर हो जाएं।
याचिका में क्या कहा गया?
याचिका में कहा गया कि 27 अगस्त 2021 को जारी की गई हेडमास्टर कैडर की अंतिम सीनियरिटी लिस्ट को कभी कोर्ट ने न तो स्टे किया और न ही अमान्य ठहराया। इसके बावजूद विभाग ने यह तर्क दिया कि सीनियरिटी लिस्ट पर केस लंबित होने के कारण हेडमास्टर कैडर को प्रमोशन में शामिल नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ताओं के वकील जगबीर मलिक ने इसे “कानून की गलत व्याख्या” बताया है और आरोप लगाया है कि विभाग चुनिंदा कैडरों को लाभ पहुंचाने के लिए हेडमास्टरों को बाहर कर रहा है। |