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Bomb threat: दिल्ली में किसी बड़े आतंकी हमले का संकेत तो नहीं धमकी भरे ईमेल, 2 साल में मिल चुकी हैं हजारों धमकियां

LHC0088 2025-11-27 01:49:13 views 406

  

बम की सूचना पर पटियाला कोर्ट मे जांच करने जाते बम निरोधक दस्ता। चंद्र प्रकाश मिश्र



मोहम्मद साकिब, नई दिल्ली। करीब दो साल से लगातार अलग-अलग तरह के धमकी भरे हजार से अधिक ईमेल मिल चुके हैं, जिन्हें जांच एजेंसियां हर बार तकनीकी जांच के बाद फर्जी घोषित कर देती हैं। स्कूल, कॉलेज, सचिवालय, अदालत ऐसी कोई जगह नहीं बची है, जिसे बम से उड़ाने की धमकी न मिली हो। अधिकांश मामलों में ये ईमेल वीपीएन व डार्क वेब के जरिए भेजे जाते हैं, जिससे लोकेशन विदेश की दिखती है, लेकिन वास्तविक स्रोत तक पहुंच पाना पुलिस के लिए चुनौती बन जाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यही वजह है कि हर बार जांच में कुछ ठोस नहीं मिल पाता, लेकिन अब जब देशभर में आतंकी नेटवर्क की गतिविधियां सामने आ रही हैं और कई हमलों की साजिशें उजागर हुई हैं, तो इन पुराने मामलों का संदर्भ बेहद अहम हो गया है। जिस तरह बार-बार ये धमकी ईमेल अलग-अलग स्थानों को टारगेट करते हुए भेजे जा रहे थे, यह संभव है कि वे सिर्फ फर्जी नहीं थे, बल्कि किसी बड़ी आतंकी साजिश का संकेत दे रहे थे।

आतंकी हमले के बाद अब मंगलवार सुबह चार प्रमुख जिला अदालतों साकेत, द्वारका, पटियाला हाउस और रोहिणी कोर्ट के साथ-साथ दो सीआरपीएफ स्कूलों को जैश-ए-मोहम्मद के नाम से बम से उड़ाने की धमकी भरा ईमेल मिला। आनन-फानन में इमारतें खाली कराई गईं और सूचना पर पहुंचा बम डिस्पोजल स्क्वाड (बीडीएस), स्निफर डॉग और फारेंसिक टीमों ने सर्च अभियान शुरू किया।

काफी तलाश के बाद जब कुछ संदिग्ध नहीं मिला तो इसे हक्स मेल करार दिया गया। वहीं पटियाला हाउस कोर्ट में धमकी भरा मेल ऐसे वक्त आया, जब थोड़ी देर बाद बम धमाके के आरोपित व साजिशकर्ता जासिर बिलाल वानी उर्फ दानिश की पेशी होने वाली थी। एनआइए की टीम आरोपित को पेश करने जा रही थी, उससे पहले कोर्ट के बाहर आरएएफ तैनात कर दी गई थी।
क्यों नहीं पकड़ में आते धमकी देने वाले?

दिल्ली और देशभर में हाल के वर्षों में धमकी भरे ईमेल का पैटर्न सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। जांच में सामने आया है कि अधिकांश मेल वीपीएन, प्राक्सी सर्वर और डार्क वेब से भेजे जाते हैं, जिससे भेजने वाले की वास्तविक लोकेशन और पहचान छिप जाती है।

साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, वीपीएन सर्वर अक्सर विदेशों में होते हैं और इनका डेटा एक्सेस करना जटिल अंतरराष्ट्रीय प्रक्रिया के कारण कठिन होता है। कई मामलों में जांच एजेंसियों ने तकनीकी विश्लेषण किया, लेकिन आइपी एड्रेस बार-बार बदले जाने और टेम्पररी ईमेल प्लेटफार्म के इस्तेमाल के कारण ठोस सबूत नहीं मिल पाए।
दो घंटे बाधित रहा काम

पटियाला हाउस कोर्ट में सैकड़ों कर्मियों ने कमरों की बारीकी से छानबीन की। इसके अलावा, साकेत कोर्ट में मेटल डिटेक्टर गेट पर अतिरिक्त जांच शुरू हो गई, जबकि रोहिणी में सीसीटीवी फुटेज की स्कैनिंग हुई। द्वारका कोर्ट के आसपास एंट्री प्वाइंट्स पर बैरिकेडिंग लगाई गई। स्कूलों में भी सख्ती बरती गई। इससे करीब दो घंटे बाद कोर्ट में कामकाज सामान्य हो सका।
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