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वंदे भारत एक्सप्रेस में टिकट बुक क्यों नहीं कर रहे लोग? यात्री के इस सवाल ने तो सोचने को कर दिया मजबूर

LHC0088 2025-11-27 01:09:29 views 581

  



जागरण संवाददाता, प्रयागराज। वाराणसी से खजुराहो तक दौड़ने वाली नई वंदे भारत एक्सप्रेस की चमक तो है, लेकिन जेब पर भारी किराया यात्रियों को दूर भगा रहा है। 11 नवंबर से शुरू हो रही इस सेमी-हाईस्पीड ट्रेन की पहली आधिकारिक यात्रा में सिर्फ 28 सीटें ही बुक हो पाई हैं, जबकि कुल 390 सीटें खाली पड़ी हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

वजह साफ है—वंदे भारत का चेयर कार किराया 1130 रुपये है, जो सामान्य ट्रेनों के एसी थर्ड क्लास (565-580 रुपये) से दोगुना से ज्यादा। यात्री यही रूट कवर करने वाली पुरानी ट्रेनों में जगह पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। खजुराहो के प्रसिद्ध मंदिरों तक पहुंचने का सपना देख रहे पर्यटक या व्यापारी अब वंदे भारत की बजाय सरसा-अहमदाबाद एक्सप्रेस को तरजीह दे रहे हैं।

यह ट्रेन 12 नवंबर तक रिग्रेट मोड में है, यानी एक भी सीट खाली नहीं। अन्य तिथियों में वेटिंग लिस्ट लंबी चल रही है। प्रयागराज-डीएडीएन एक्सप्रेस और गोरखपुर-दादर एक्सप्रेस की हालत भी यही—आरक्षित टिकट मिलना मुश्किल। लोग लंबी वेटिंग झेलकर सस्ते में सफर करना पसंद कर रहे हैं, भले ही समय ज्यादा लगे। वंदे भारत का नियमित संचालन मंगलवार से शुरू हो रहा है। गाड़ी संख्या 26506/26505 के तहत यह ट्रेन छिवकी रूट से गुजरेगी।

प्रयागराज छिवकी से खजुराहो तक चेयर कार का किराया 1130 रुपये और एग्जीक्यूटिव क्लास का 1945 रुपये तय किया गया है। वापसी में खजुराहो से छिवकी तक चेयर कार 1070 रुपये, एग्जीक्यूटिव 1895 रुपये। इसी तरह, प्रयागराज छिवकी से महोबा तक चेयर कार 815 रुपये (वापसी 980), बांदा तक 720 (वापसी 885), चित्रकूट धाम तक 595 (वापसी 710), विंध्याचल तक 645 (वापसी 545) और बनारस तक 765 रुपये (वापसी 680) रखा गया है।

एग्जीक्यूटिव क्लास में ये किराए क्रमशः 1515, 1710, 1325, 1520, 1070, 1175, 1060, 970, 1305 और 1235 रुपये हैं। किराए में आने-जाने का अंतर कैटरिंग चार्ज से आता है। वंदे भारत में टिकट के साथ नाश्ता और भोजन शामिल होता है, जो सामान्य ट्रेनों में अलग से देना पड़ता है।

फिर भी, सोमवार शाम सात बजे तक चेयर कार में सिर्फ 28 बुकिंग हुईं, एग्जीक्यूटिव में एक भी नहीं। ट्रेन में चेयर कार का कोटा 397 सीटें और एग्जीक्यूटिव का 29 है। बृहस्पतिवार को छोड़कर हर रोज संचालन होगा। रेलवे के पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम (पीआरएस) में किराया फीड हो चुका है और बुकिंग शुरू। लेकिन यात्री पूछ रहे हैं—क्या तेज रफ्तार और आराम के लिए दोगुना किराया जायज है?

खजुराहो जैसे पर्यटन स्थल तक पहुंच आसान बनाने का इरादा तो अच्छा है, पर जमीनी हकीकत अलग। अगर किराया कम होता, तो शायद सीटें भर जातीं। फिलहाल, वंदे भारत की चमचमाती बोगी खाली ही दौड़ेगी, जबकि पुरानी ट्रेनें पैक। रेलवे को सोचना होगा कि आधुनिकता और किफायत में संतुलन कैसे बिठाया जाए।
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