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गोरखपुर AIIMS की पूर्व ईडी डाॅ. सुरेखा किशोर के खिलाफ जांच शुरू, अपने दोनों बेटों को कराया था नियुक्त

LHC0088 2025-11-26 18:08:04 views 551

  

डाॅ. सुरेखा किशोर। जागरण  



जागरण संवाददाता, गोरखपुर। एम्स गोरखपुर की पूर्व कार्यकारी निदेशक (ईडी) डाॅ. सुरेखा किशोर के खिलाफ एम्स ऋषिकेश में जांच शुरू हो गई है। आराेप था कि डाॅ. सुरेखा किशोर ने एम्स गोरखपुर में कार्यकाल के दौरान अपने दोनों बेटों को नौकरी और बिना काम तनख्वाह दिया। विजिलेंस जांच में पुष्टि के बाद दो जनवरी 2024 को कार्यकाल पूरा करने के डेढ़ वर्ष पहले वह हटाई जा चुकी हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

एम्स ऋषिकेश में जांच टीम के सामने पहुंचकर डाॅ. सुरेखा किशोर ने बेटों की उपस्थिति का मूल रजिस्टर मांगा है। उनका कहना है कि विजिलेंस जांच में उपस्थिति रजिस्टर की फोटोकाॅपी लगाई गई है। फोटोकाॅपी को सत्य नहीं माना जा सकता। इसके बाद एम्स ऋषिकेश से एक कर्मचारी को गोरखपुर भेजा गया।

पता चला कि रजिस्टर गायब हो चुका है। एम्स में मीडिया सेल की चेयरपर्सन डा. आराधना सिंह ने कहा कि एम्स ऋषिकेश से एक कर्मचारी को भेजा गया था। वहां से पूर्व ईडी के बेटों की उपस्थिति का मूल रजिस्टर मांगा गया था। रजिस्टर नहीं मिल रहा है। इसकी जानकारी दे दी गई है।

वर्ष 2021 में हुई थी नियुक्ति
डाॅ. सुरेखा किशोर के बेटे डाॅ. शिखर किशोर वर्मा का एम्स गोरखपुर में चयन साक्षात्कार के आधार पर किया गया था। एक मार्च 2021 को जारी सूची में चुने गए चार नान एकेडमिक जूनियर रेजिडेंट मेडिकल की सूची में डाॅ. शिखर का नाम पहले स्थान पर था। 12 जुलाई को नान एकेडमिक जूनियर रेजिडेंट मेडिकल के लिए साक्षात्कार की अंतिम सूची जारी हुई।

यह भी पढ़ें- महिला नर्स से दुर्व्यवहार के आरोप बेबुनियाद: एम्स के डॉ. एके बिसोई को मिली पूरी तरह क्लीन चिट

इसमें कार्यकारी निदेशक के दूसरे बेटे डाॅ. शिवल किशोर वर्मा का नाम पहले स्थान पर था। सिर्फ दो जेआर के पद पर नियुक्ति करनी थी। इसमें एक अनारक्षित और दूसरा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित था। अनारक्षित पद पर डाॅ. शिवल किशोर वर्मा की नियुक्ति हुई जबकि अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित पद पर डाॅ. प्रीती गोंड की नियुक्ति की गई है।

अनारक्षित पद की प्रतीक्षा सूची में डाॅ. विवेक मिश्र और आरक्षित पद की प्रतीक्षा सूची में डाॅ. राकेश गोंड को रखा गया है। दोनों को 70-70 हजार रुपये प्रति माह वेतन दिया गया। आरोप था कि दोनों कभी एम्स में नहीं गए, ईडी के आवास में ही रहे।

रजिस्टर की फोटोकाॅपी के आधार पर हुई थी शिकायत
डाॅ. सुरेखा किशोर के दोनों बेटों की फर्जी उपस्थिति एक रजिस्टर पर दर्ज की जाती थी। इस रजिस्टर की फोटोकाॅपी के आधार पर विजिलेंस में शिकायत की गई थी। विजिलेंस ने पूरे मामले की विस्तृत जांच की थी। इसके बाद डाॅ. सुरेखा किशोर पर कार्रवाई की गई थी।
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