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ओडिशा में घुसपैठियों के खिलाफ एक्शन तेज, अब तक 20 बांग्लादेशी गिरफ्तार

LHC0088 2025-11-26 16:37:46 views 85

  

ओडिशा में सात अवैध बांग्लादेशी गिरफ्तार। फाइल फोटो



जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। जगतसिंहपुर ज़िले में चल रहे सत्यापन अभियान के दौरान प्रशासन ने सात और संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान की है, जिससे जिले में अब तक पकड़े गए बांग्लादेशियों की कुल संख्या बढ़कर 20 हो गई है।

सूत्रों के अनुसार, पहचान दस्तावेज़ों की जांच अभी जारी है और जैसे-जैसे कार्रवाई अन्य स्थानों तक बढ़ेगी, यह संख्या और बढ़ सकती है। इस बीच, पहले पकड़े गए 13 लोगों को आगे की पूछताछ के लिए कटक जिले के आठगढ़ स्थित एक केंद्रीय आश्रय गृह में भेजा गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

अब इन सात संदिग्धों को भी कानूनी कार्रवाई शुरू करने से पहले इसी तरह की विस्तृत स्क्रीनिंग से गुजरना होगा। सत्यापन जारी होने के कारण प्रशासन ने पकड़े गए व्यक्तियों के नाम या स्थानों का खुलासा नहीं किया है।
सरगना की गिरफ्तारी से तेज हुई कार्रवाई

जानकारी के मुताबिक कार्रवाई में अचानक आई तेजी का कारण हाल ही में गिरफ्तार किया गया सिकंदर आलम है, जिसे पुलिस इस नेटवर्क का मुख्य सहयोगी मान रही है। उस पर विदेशी नागरिकों को अवैध रूप से पनाह देने का आरोप है। एक सप्ताह तक फरार रहने के बाद उसे जाजपुर में पकड़ा गया था।

पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए लगातार कोशिश जारी रखा था। सूत्रों ने बताया कि पुलिस ने उसके पास से कई दस्तावेज, जिनमें उसका पासपोर्ट भी शामिल है, जब्त किए हैं और यह जांच की जा रही है कि क्या सिकंदर का संबंध उस बड़े नेटवर्क से है, जो बिना कागजात वाले व्यक्तियों को सरकारी भूमि पर बसाने में शामिल था?
सुरक्षित स्थान में हो रही पूछताछ

उसे एक सुरक्षित स्थान पर पूछताछ के लिए रखा गया है। इससे पहले, उसके बेटे और एक करीबी सहयोगी को भी पूछताछ के लिए उठाया गया था। इसी तरह से पहचान पत्र जांच के साथ-साथ जिला प्रशासन ने बेरहमपुर और धनिपुर जैसे इलाकों में सरकारी भूमि पर बने अस्थायी घरों को तोड़ने की कार्रवाई तेज कर दी है।

बीते सप्ताह कई ऐसी झुग्गियों को गिराया गया है जिन्हें संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों द्वारा कब्जे में रखा गया माना जा रहा था।चल रही कार्रवाई को देखते हुए कुछ निवासियों ने बेदखली के डर से अपने घर स्वयं ही तोड़ना शुरू कर दिया है। इनमें से कई घर वर्षों से बिना अनुमति के बने थे।
आगे की कार्रवाई पर जुटी पुलिस

केंद्रीय सुविधा में रखे गए सभी व्यक्तियों के दस्तावेजों की जांच, पूछताछ और आवश्यकता पड़ने पर बायोमेट्रिक परीक्षण किया जाएगा। जिला अधिकारियों ने बताया कि इसके बाद प्रशासन मुकदमा दर्ज करने, निर्वासन प्रक्रिया शुरू करने या सरकारी निगरानी में आगे रखने जैसे विकल्पों पर निर्णय लेगा।

पुलिस को शक है कि बिना दस्तावेज वाले व्यक्तियों को बसाने और सरकारी भूमि पर कब्ज़े में मदद करने वाला एक स्थानीय नेटवर्क सक्रिय हो सकता है, जिसके चलते आने वाले दिनों में और छापे, पूछताछ और सत्यापन अभियान चलाए जाएंगे।
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