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कश्मीर में सेब के बाद अब धान की फसल प्रभावित; पैदावार में 40-50 प्रतिशत की गिरावट, किसानों की आजीविका खतरे में_deltin51

cy520520 2025-10-3 00:06:25 views 1109

  कश्मीर में धान की फसल बर्बाद, किसान आर्थिक संकट में।





जागरण संवाददाता, श्रीनगर। सेब उत्पादकों के बाद अब घाटी भर के किसानों ने इस साल धान की पैदावार में भारी नुकसान की सूचना दी है, जिससे पैदावार लगभग 40-50 प्रतिशत तक गिर गई है।

वे इस संकट के लिए महत्वपूर्ण फसल उत्पादन के महीनों में लंबे समय तक सूखे, उसके बाद लगातार बारिश और कटाई से ठीक पहले बाढ़ जैसे हालात को ज़िम्मेदार ठहराते हैं।कई जिलों के किसानों ने कहा कि इस साल मौसम के मिजाज ने उनकी आजीविका तबाह कर दी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



पुलवामा के एक किसान इरशाद अहमद ने कहा, लगातार तीन महीनों जून, जुलाई और अगस्त में बारिश न के बराबर हुई। फसल ठीक से नहीं उगी और फिर जब हम कटाई की उम्मीद कर रहे थे, भारी बारिश ने कई दिनों तक खेतों को पानी में डुबोए रखा।

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धान की फसलें गिरकर सड़ने लगीं

कई लोगों ने कहा कि सूखे की वजह से पहले से ही कमज़ोर उनकी फसल लगातार जलभराव का सामना नहीं कर सकी। अनंतनाग के एक अन्य किसान माजिद अहमद ने कहा, कटाई से पहले हमारे खेत लगभग एक हफ़्ते तक जलमग्न रहे। जब तक पानी कम हुआ, फसल इतनी खराब हो चुकी थी कि उसकी भरपाई नहीं हो सकी। कई जगहों पर, किसान घरेलू इस्तेमाल के लिए भी पर्याप्त धान नहीं इकट्ठा कर पाए।


लगभग 40 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई

स्थानीय लोगों के अनुसार सैकड़ों परिवार जो अपनी जीविका के लिए सीधे तौर पर धान की खेती पर निर्भर हैं, इस साल बिना किसी सुरक्षित आय के रह गए हैं। बडगाम के एक किसान गुलजार अहमद ने कहा, हमारी लगभग 40 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई है। जो परिवार केवल धान पर निर्भर हैं वे आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।

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सरकार किसानों के एक बड़े वर्ग को अकेला नहीं छोड़ सकती

किसानों ने मुआवज़ा नीति पर भी नाराज़गी जताई और कहा कि अधिकारियों ने उन्हें बताया है कि केवल फसल बीमा योजना के अधीन लोग ही राहत के पात्र होंगे। शोपियां के एक किसान नेता बशीर अहमद ने मांग की, हम सभी को नुकसान हुआ है, चाहे बीमित हों या नहीं। सरकार इस समय किसानों के एक बड़े वर्ग को अकेला नहीं छोड़ सकती।

जिन लोगों को नुकसान हुआ है, उन सभी को मुआवज़ा दिया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से तुरंत हस्तक्षेप करने और घाटी भर के धान उत्पादकों के लिए एक विशेष राहत पैकेज की घोषणा करने की अपील की। उन्होंने कहा, यह किसी एक गांव या एक ज़िले की बात नहीं है यह संकट व्यापक है। अगर सरकार अभी कदम नहीं उठाती है, तो यह धान की खेती पर निर्भर हज़ारों परिवारों की कमर तोड़ देगा।



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समय पर सहायता सुनिश्चित करने का आग्रह





कृषि विशेषज्ञों ने भी पुष्टि की है कि असामान्य मौसम पैटर्न लंबे समय तक सूखे के बाद अत्यधिक वर्षा इस मौसम में धान की फसल के लिए हानिकारक रहा है। इस बीच, किसानों ने अधिकारियों से प्रभावित क्षेत्रों में मुआवज़े की घोषणा प्राथमिकता के आधार पर करने और समय पर सहायता सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।



उन्होंने कहा, हम महीनों इंतज़ार नहीं कर सकते। हमारा नुकसान हर खेत में दिखाई दे रहा है। सरकार को बहुत देर होने से पहले कार्रवाई करनी चाहिए। बता देते हैं कि धान घाटी की सब से मुख्य फसल है और 95 प्रतिशत किसान धान की खेती करते हैं।

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