जागरण संवाददाता, सुपौल। बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद वैकल्पिक नशा युवाओं को तेजी से गिरफ्त में ले रहा है। इन्हें बड़ा ग्राहक मानकर दवा विक्रेता भी नियमों को ताक पर रखकर बेधड़क नशीली दवाएं बेच रहे हैं।
शहर में न तो इसकी कोई जांच होती है और न ही इस ओर किसी प्रकार की कार्रवाई। जिससे असमय ही युवाओं की मौत हो रही है। इतना ही नहीं किराना दुकान, किताब दुकान में साइकिल का पंक्चर बनाने वाला रबर साल्यूशन भी धड़ल्ले से बेचा रहा है, जिसकी कीमत पांच रुपये है। वह दुकानदार धड़ल्ले से बीस रुपये में बेचता है और युवा खरीद कर इसे नशे के रूप में इस्तेमाल करते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
खासकर शहर के साइड एरिया चाय दुकान, खेत-खलिहान, बगीचा में युवाओं की टोली जमती है और इसका धड़ल्ले से उपयोग करता है। सूत्र बताते हैं कि एक टेबलेट चालीस रुपये में मिलता है एक टेबलेट खा लेने से पूरा नशा आ जाता है। जाे भी हो इस ओर प्रशासनिक पदाधिकारी का ध्यान जाना चाहिए, जगह-जगह छापेमारी चलनी चाहिए।
ड्रग्स का बढ़ा चलन
कहते हैं कि जिसे जो लत लग जाती है और जब उसे उस लत से वंचित करने का प्रयास किया जाता है तो गलत विकल्प भी तलाश लेता है। बिहार में शराबबंदी क्या हुई, अपने जीवन को नशे में संलिप्त रखने के लिए युवाओं ने विकल्प की तलाश कर ली है। विकल्प भी ऐसा तलाशा जिसके भयानक दुष्परिणाम से इंकार नहीं किया जा सकता है।
नशे के आदी लोग कफ सिरप, फेविकाल, इंजेक्शन, टेबलेट, रबर साल्यूशन, गांजा व अन्य नशीले पदार्थों का इस्तेमाल करते नजर आ रहे हैं। वर्तमान समय में जिले के सैकड़ों लोग ड्रग्स के सेवन में मशगूल हैं।
जिले में जहां एक तरफ पूर्ण शराबबंदी को लेकर समाज में खुशी का माहौल है वहीं दूसरी तरफ नशे के आदी हो चुकी युवा पीढ़ी अनेक तरह के नशीले पदार्थों का उपयोग कर रहे हैं। जिसका दुष्परिणाम काफी घातक साबित हो रहा है।
तेजी से पांव पसार रहा नशीली दवा का कारोबार
शराबबंदी कानून लागू होने से खासकर दांपत्य जीवन में खुशी के फूल खिल उठे थे। वहीं दूसरी तरफ अब खासकर युवा पीढ़ी कफ सिरप और नशीली दवाओं की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। जिले के शहरी एवं ग्रामीण इलाके की दवा दुकानों में कफ सिरप धड़ल्ले से बेची जा रही है, जिसे युवा वर्ग के लोग इस्तेमाल करते नजर आ रहे हैं। नशेड़ी अब हर चीज में नशा ढूंढ़ने लगे हैं। नशीली दवाओं का कारोबार तेजी से पांव पसार रहा है।
पूर्ण शराबबंदी के बाद शराबी नशे के लिए नए तरकीब अपना रहे हैं। बीमारी से निजात दिलाने वाली दवाओं का उपयोग धड़ल्ले से नशे के लिए किए जा रहा है।. इतना ही नहीं, शराब नहीं मिलने के कारण साल्यूशन, इंक रिमूवर, आयोडेक्स व पेंट आदि को भी नशे के रूप में उपयोग में लाया जा रहा है।
दवा दुकानदार भी अपने फायदे के लिए बिना डाक्टर की पर्ची देखे ही कई प्रकार की नशीली दवाएं बेच रहे हैं। जिसमें एलर्जी से राहत दिलाने वाली दवाई से लेकर दर्द आदि की दवाओं का उपयोग युवा वर्ग नशे के रूप में करने लगे हैं।
क्या कहते हैं चिकित्सक
शहर के जाने-माने चिकित्सक डा. रामचंद्र कुमार कहते हैं मार्फिन, फोर्टविन, अल्प्राजोलम व डायजिपाम बेहोशी के लिए दवा आती है। इसका ओवरडोज लीवर के लिए खतरनाक हो सकता है।
इस प्रकार की दवाओं को नशे का साधन बनाना जिंदगी से खिलवाड़ करने के बराबर है। मेडिकल स्टोर को भी इन सभी दवाओं जो नशे के रूप में उपयोग में लाया जाता है उसकी बिक्री चिकित्सक के सलाह के बगैर नहीं करनी चाहिए। |