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इतिहास का इंसाफ, सिख गुरुओं के वंदन में दंडवत लाल किला; गूंजती गुरुवाणी में आस्था का दिख रहा समागम

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नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। इतिहास कैसे बदलता है, वह कैसे अपना इंसाफ लेता है। यह नजदीक से देखना हो तो लालकिले में चल रहे अध्यात्म और वीरता से ओतप्रोत समागम में पहुंचें। लाल रंग के भव्य किला के जर्रे-जर्रे से महसूस करें और सिख धर्म की महानता को आत्मसात करें। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

जिस किले से ठीक 350 वर्ष पहले अहंकारी, उन्मादी और धर्मांध मुगल सम्राट औरंगजेब ने नौवें गुरु तेग बहादुर जी के सिर को कलम करने का आदेश दिया था। वह किला कैसे आज उसी सिख परंपरा के गुरुओं के साहस को प्रणाम कर रहा है। जहां आज गुरुद्वारा सीसगंज साहिब मौजूद हैं। वहां औरंगजेब के आदेश से गुुरु तेग बहादुर जी का बलिदान हुआ था।

वह मैदान जहां जमी मुगल सेना के बर्बर सैनिक भाई मती दास, भाई सती दास और भाई दयाला जी को क्रुरता की हदों से आगे जाकर हत्या के वक्त अट्टाहस कर रही थी, वह आज गुरुओं का वंदन करते हुए दंडवत हैं। चहुंओर धर्म व अध्यात्म का संगम है।

गुरुवाणी गुंजायमान है। मैदान एक ओर से दूसरी ओर तक गुरु गुणगान में रमा हुआ है। समागम में देशभर से संगत जुटा हुआ है। जिसके लिए लाल किले में टेंट सिटी बनी है। संगत में बच्चों के गुरुवाणी का पाठ देखते ही बन रहा है।

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी व दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित यह समागम 19 से आरंभ है, जिसमें लाल किले की दिवार पर ही भव्य साउंड एंड लाइट शो के माध्यम से गुरुओं व सिख धर्म की महानता और शौर्यता दर्शायी जा रही है जबकि रविवार से 25 नवंबर तक भव्य तीन दिवसीय सिख समागम (कीर्तन दरबार) का शुभारंभ हो गया है।

इसमें गुरु साहिब के जीवन, सत्य और धर्म की रक्षा के लिए दिए गए सर्वोच्च बलिदान को याद किया जा रहा है। साथ ही कीर्तन और अन्य धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। लाल किला के सामने आत्मविश्वास से भरा युवक- युवतियां का गतका खेलते की प्रस्तुति लोगों को अचंभित कर रही है।

इसी तरह, एक भव्य संग्रहालय तैयार किया गया है, जिसमें सिख धर्म के गुरुओं, उनकी जीवन यात्रा, शौर्य, हिंदू धर्मावलंबियों के धर्म को बचाने के लिए उनका बलिदान सिख धर्म का शासन, सिक्के समेत अन्य जानकारियों को डिजिटल बोर्ड, डिजिटल स्क्रीन व वीआर जैसे आधुनिक माध्यमों से दर्शाया गया है, जिसे देखने व महसूस करने देश के साथ ही विदेशी भी पहुंच रहे हैं।

धर्म के आगे श्रद्धा से हर किसी के सिर दंडवत है, आंखें बलिदान देख, सुन नम है तो सीना गर्व से चौड़ा है। इसी तरह, सिख धर्म से जुड़े उत्पादों का बिक्री केंद्र भी है। जहां पगड़ी के लिए कपड़े, कटार समेत अन्य उत्पाद बिक्री के लिए रखे गए हैं। लंगर में श्रद्धाभाव से प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं।

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