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रूसी कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू, भारत के तेल आयात पर असर की आशंका

deltin33 The day before yesterday 01:07 views 475

  

कच्चे तेल का आयात।  



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका के नए प्रतिबंध पूरी तरह से लागू होने के बाद भारत में रूसी तेल का आयात निकट भविष्य में तेजी से घटने की उम्मीद है। हालांकि, यह पूरी तरह से बंद नहीं होगा। रोसनेफ्ट और लुकआयल तथा उनकी बहुलांश स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंध 21 नवंबर से लागू हो गए। इससे अब इन कंपनियों का कच्चा तेल खरीदना या बेचना लगभग नामुमकिन हो गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

भारत ने इस साल औसतन 17 लाख बैरल प्रतिदिन रूसी तेल का आयात किया। नवंबर में आयात 18-19 लाख बैरल प्रतिदिन रहने का अनुमान है, क्योंकि रिफाइनरी सस्ते तेल की खरीद को अधिकतम कर रहे हैं। आगे चलकर दिसंबर और जनवरी में आपूर्ति में स्पष्ट गिरावट आने की उम्मीद है।

विश्लेषकों के अनुसार यह घटकर लगभग चार लाख बैरल प्रतिदिन तक रह सकता है। परंपरागत रूप से पश्चिम एशियाई तेल पर निर्भर भारत ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद रूस से अपने तेल आयात में काफी वृद्धि की। पश्चिमी प्रतिबंध और यूरोपीय मांग में कमी के कारण रूस से तेल भारी छूट पर उपलब्ध हुआ। परिणामस्वरूप, भारत का रूसी कच्चा तेल आयात कुल आयात का एक प्रतिशत से बढ़कर लगभग 40 प्रतिशत तक पहुंच गया।

नवंबर में भी रूस भारत का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बना रहा, जो कुल आयात का लगभग एक तिहाई है। प्रतिबंधों के लागू होने से रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी और मैंगलोर रिफाइनरी जैसी कंपनियों ने फिलहाल रूसी तेल का आयात रोक दिया है।

इस मामले में एकमात्र अपवाद नयारा एनर्जी है, जो रोसनेफ्ट समर्थित है और यूरोपीय यूनियन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बाद अन्य स्त्रोतों से आपूर्ति कटने के कारण रूसी तेल पर भारी निर्भर है।

(समाचार एजेंसी PTI के इनपुट के साथ)
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