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धर्म-क्षेत्रवाद की टूटी दीवार, एक-दूजे की जान बचाने आए तीन परिवार

deltin33 2025-11-21 11:06:33 views 792

  

साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल में डॉ. अनंत कुमार, जोगिंदर कुमार, सिमरन परवीन, विनोद कुमार, सुमन, शादाब अली, पूनम देवी और डा. दिनेश खुल्लर (बाएं से) सौजन्यः हास्पिटल



मुहम्मद रईस, नई दिल्ली। एक-दूसरे का सम्मान, एकता, भरोसा और मुसीबत में काम आना ही हमारी संस्कृति है, हमारी पहचान है। इसी बात का एक उदाहरण साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल में देखने को मिला।

तीन ऐसे परिवार, जो कभी एक-दूसरे से नहीं मिले थे, उन्होंने धर्म एवं क्षेत्रीयता की बेडि़यों को तोड़कर एक-दूसरे पर भरोसा जताया और एक-दूसरे को जीवन का दान दिया। थ्री-वे पेयर्ड किडनी ट्रांसप्लांट यानी एक ही दिन में एक साथ कुल छह लोगों की सर्जरी करते हुए मेडिकल टीम ने किडनी फेल्योर से जूझ रहे तीन लोगों की जिंदगी बचाई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सभी मरीज यानी दानकर्ता और प्राप्तकर्ता अब स्वस्थ हैं। उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।हास्पिटल प्रबंधन के मुताबिक रानी गंज-बंगाल के शादाब अली, हरि नगर-नई दिल्ली के जो¨गदर कुमार और ओबरा-बिहार के विनोद कुमार किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे।

तीनों डायलिसिस पर थे। सभी के परिवार में ऐसे सदस्य थे, जो किडनी डोनेट करने के लिए तैयार थे, लेकिन ब्लडग्रुप मैच नहीं होने के कारण डोनेशन संभव नहीं था। परिवारों के बीच पेयर्ड किडनी ट्रांसप्लांट की सहमति बनी।

समझौते के साथ एक्सचेंज के माध्यम से प्रत्येक मरीज को किसी अन्य परिवार से किडनी दी गई। शादाब की पत्नी सिमरन की किडनी जोगिंदर को, जोगिंदर की बहन सुमन की किडनी विनोद को और विनोद की पत्नी पूनम देवी की किडनी शादाब को लगाई गई।

मेडिकल क्षेत्र के लिहाज से अहम होने के साथ-साथ यह मामला एकता और सहानुभूति का भी शानदार उदाहरण रहा। रीनल ट्रांसप्लांट एंड रोबोटिक्स के चेयरमैन डॉ. अनंत कुमार के नेतृत्व में 18 सितंबर को विशेषज्ञों की मल्टीडिसीप्लिनरी टीम ने सुबह आठ बजे से दोपहर तीन बजे के बीच छह आपरेशन कर तीनों मरीजों में किडनी ट्रांसप्लांट की।

एक सप्ताह बाद जैसे-जैसे मरीज ठीक होते रहे, उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिलती रही। वर्तमान में सभी पूरी तरह स्वस्थ हैं। स्वैप ट्रांसप्लांट जान बचाने का उपयुक्त रास्तानेफ्रोलाजी एंड रीनल ट्रांसप्लांट मेडिसिन के ग्रुप चेयरमैन डॉ. दिनेश खुल्लर ने कहा कि कई बार ब्लड ग्रुप मिसमैच या पहले के ट्रांसप्लांट के कारण हुए इम्यून सेंसिटाइजेशन, ट्रांसफ्यूजन या गर्भावस्था के कारण चाहकर भी परिवार का कोई सदस्य अपनी किडनी नहीं दे पाता है।

ऐसे मामलों में पेयर्ड या स्वैप ट्रांसप्लांट उपयुक्त रास्ता है। इसमें अलग-अलग परिवार संभव मै¨चग के हिसाब से डोनर एक्सचेंज कर लेते हैं। यह मामला इसका बेहतरीन उदाहरण है, जहां तीन परिवार साथ आए। एडवांस्ड एपीकेडी साफ्टवेयर की मदद से साइंटिफिक प्रिसिजन और ट्रांसपेरेंसी के साथ सही दाता और प्राप्तकर्ता की पहचान करने में सक्षम हुए।
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