बीना बख्शी का यह प्रयास महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
दिनेश महाजन, जागरण, जम्मू। नवरात्र के पावन पर्व पर जब हर कोई ‘शक्ति’ की आराधना में लीन है, वहीं, जम्मू की बीना बख्शी वास्तविक जीवन में महिलाओं को सशक्त बनाने का कार्य कर रही हैं।
पुरानी वस्त्रों को एकत्रित कर उनसे टिफिन कवर, फुट-मैट और कपड़े के लिफाफे बनाकर उन्होंने न केवल कचरे को उपयोगी बनाया है, बल्कि दर्जनों महिलाओं के जीवन को नई दिशा दी है। बीना बख्शी जम्मू की श्रमिक बस्तियों में रहने वाली आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को हुनरमंद बनाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की मुहिम में जुटी हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
निराश्रित लोगों के साथ सरकार द्वारा बागे-बाहु इलाके में बनाए गए शेल्टर होम में उन्होंने नंदनी नाम से एक स्वयं सहायता समूह (सेल्फ हेल्प ग्रुप) की स्थापना की है। इस समूह से जुड़कर कई महिलाएं अपने परिवार की आर्थिक मजबूती में योगदान दे रही हैं।
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बीना का यह प्रयास महिला सशक्तिकरण की मिसाल
बीना का यह प्रयास न केवल महिला सशक्तिकरण की मिसाल है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। पालीथीन लिफाफों के बढ़ते खतरे को देखते हुए यहां कपड़े के थैले और लिफाफे बनाए जा रहे हैं। इनकी बिक्री से जहां महिलाओं को स्थायी रोजगार मिल रहा है, वहीं पर्यावरण भी सुरक्षित हो रहा है।Emirates flight power bank ban,flight power bank rules,airline power bank policy,onboard power bank restrictions,power bank safety aviation,aviation lithium ion battery incidents,Emirates passenger safety,100Wh power bank limit,power bank travel regulations,flight charging restrictions
सरकार भी दे रही है सहयोग
इन महिलाओं के काम को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार भी लगातार मदद कर रही है। अमरनाथ यात्रा के दौरान आधार शिविर भगवती नगर में इन्हें स्टाल लगाने की अनुमति दी जाती है। यहां यह महिलाएं जम्मू-कश्मीर की संस्कृति को दर्शाने वाले सजावटी सामान, भगवान की मूर्तियों के वस्त्र और कपड़े से बनी उपयोगी चीजें देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं और यात्रियों को बेचती हैं। इससे न केवल उनकी आमदनी बढ़ रही है, बल्कि प्रदेश की सांस्कृतिक झलक भी दूर-दराज तक पहुंच रही है।
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आत्मनिर्भरता की राह पर बढ़ती महिलाएं
नंदनी समूह से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि बीना बख्शी ने उन्हें केवल रोजगार ही नहीं दिया, बल्कि आत्मविश्वास भी जगाया है। आज वे घर-परिवार की जिम्मेदारियां निभाने के साथ-साथ समाज में सम्मानपूर्वक खड़ी हैं। पहले जो महिलाएं घर तक सीमित थीं, अब अपने हुनर के दम पर आर्थिक रूप से सशक्त हो चुकी हैं।
बीना बख्शी और उनके नंदनी समूह की यह कहानी इस बात का जीता-जागता प्रमाण है कि महिलाएं अवसर मिलने पर किसी भी कठिनाई को पार कर सकती हैं। यह पहल न केवल श्रमिक बस्तियों की महिलाओं के लिए आशा की किरण बनी है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा है।
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