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न्यायपालिका की आलोचना से आपत्ति नहीं, लेकिन व्यापक आरोप नहीं लगाने चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

LHC0088 2025-11-20 04:07:15 views 907

  

सुप्रीम कोर्ट। (फाइल)



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि उसे न्यायपालिका की आलोचना से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन किसी भी तरह के व्यापक आरोप नहीं लगाए जाने चाहिए।जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्ज्ल भुइयां और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप शर्मा को आगाह किया, जिन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जजों पर कुछ आरोप लगाए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, \“आपने कई अच्छे मुद्दे उठाए हैं, लेकिन आप किसी पर भी व्यापक आरोप नहीं लगा सकते। हमें न्यायपालिका की आलोचना से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह उचित तरीके से होनी चाहिए।\“

वकील ने पीठ को बताया कि हाई कोर्ट ने शर्मा द्वारा बिना शर्त माफी मांगने पर अवमानना का आरोप हटाते हुए पौधारोपण करने का निर्देश दिया है। जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की कि चंडीगढ़ को हरियाली की सख्त जरूरत है और यह अच्छी बात है कि हाई कोर्ट ने ऐसा आदेश दिया।

पीठ ने आदेश में कहा, \“याचिकाकर्ता के वकील ने सूचित किया है कि 15 सितंबर, 2025 के आदेश का सम्मान करते हुए याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट के समक्ष बिना शर्त माफी और एक शपथ-पत्र प्रस्तुत किया था। उदारता का परिचय देते हुए हाई कोर्ट ने बिना शर्त माफी स्वीकार कर ली और याचिकाकर्ता को अवमानना की कार्यवाही से मुक्त कर दिया है।\“ इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने उस याचिका का निस्तारण कर दिया, जिसमें शर्मा ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।

(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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