deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

सरायगढ़ सीएचसी बना ‘रेफर’ अस्पताल, न ट्रॉमा सेंटर, न महिला डॉक्टर, सिर्फ कागजों पर होता है इलाज

cy520520 2025-11-18 20:37:45 views 57

  

सरायगढ़ सीएचसी बना ‘रेफर’ अस्पताल



संवाद सूत्र, सरायगढ़ (सुपौल)। जिले के उत्तरी छोर पर ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के किनारे स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) सरायगढ़ भपटियाही वर्षों से बदहाली का दंश झेल रहा है। लगभग डेढ़ लाख की आबादी की जीवन रेखा माना जाने वाला यह अस्पताल सुविधाओं की भारी कमी से जूझ रहा है।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

गंभीर मरीजों के इलाज के लिए आवश्यक मूलभूत संसाधन भी यहां उपलब्ध नहीं हैं, जिसके कारण अस्पताल में आते ही ज्यादातर मरीजों को तत्काल रेफर कर दिया जाता है। इसी वजह से स्थानीय लोग इसे तंज के तौर पर रेफर अस्पताल कहने लगे हैं।
ट्रामा सेंटर के अभाव में हर दिन बढ़ती संकट की स्थिति

ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर और प्रखंड की विभिन्न सड़कों पर प्रतिदिन कई दुर्घटनाएं होती हैं। हादसे के तुरंत बाद घायल मरीजों को सबसे पहले इसी अस्पताल में लाया जाता है, लेकिन ट्रामा सेंटर नहीं होने के कारण प्राथमिक इलाज तक शुरू नहीं हो पाता।  

गंभीर मरीजों को तुरंत सुपौल, सहरसा या दरभंगा जैसे दूरस्थ जिलों में रेफर कर दिया जाता है। रास्ते में आवश्यक चिकित्सा सुविधा नहीं मिलने से कई बार मरीजों की हालत नाजुक हो जाती है, और कई मामलों में जान तक चली जाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर यहां ट्रामा सेंटर की व्यवस्था होती, तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती थीं।
ड्रेसर, कंपाउंडर और मशीनरी की भारी कमी

स्वास्थ्य केंद्र में वर्षों से ड्रेसर की नियुक्ति नहीं हुई है। कंपाउंडर भी नहीं होने से आपात स्थिति में प्राथमिक उपचार देना मुश्किल हो जाता है। अस्पताल में एक्स-रे मशीन तो है, लेकिन अल्ट्रासाउंड मशीन नहीं होने से गर्भवती महिलाओं और आंतरिक चोट से पीड़ित मरीजों को निजी क्लीनिकों या दूर के अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है। इससे गरीब परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है।
महिला चिकित्सक नहीं, महिला मरीजों में निराशा

सीएचसी में महिला चिकित्सक का पद वर्षों से खाली पड़ा है। इससे महिला मरीजों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। छोटे-छोटे स्त्री रोग संबंधी परीक्षण, गर्भावस्था जांच, प्रसव पूर्व व प्रसवोत्तर देखभाल के लिए महिलाओं को सुपौल या अन्य शहरों का रुख करना पड़ता है।  

कई बार आर्थिक तंगी और लंबी दूरी के कारण महिलाएं समय पर इलाज नहीं करा पातीं, जिससे गंभीर जटिलताएं उत्पन्न हो जाती हैं। स्थानीय महिलाओं और जनप्रतिनिधियों द्वारा लगातार मांग किए जाने के बावजूद न तो स्वास्थ्य विभाग और न ही जनप्रतिनिधियों की ओर से कोई ठोस पहल होती दिखाई देती है।
प्रसव कक्ष के लिए अलग भवन की जरूरत

फिलहाल प्रसव कक्ष अस्पताल भवन के ही एक हिस्से में संचालित किया जा रहा है। अस्पताल कर्मियों के अनुसार प्रसव जैसी संवेदनशील और महत्वपूर्ण प्रक्रिया के लिए अलग से भवन की आवश्यकता है, ताकि मरीजों को स्वच्छ, सुरक्षित और बेहतर वातावरण मिल सके। बार-बार मांग किए जाने के बावजूद इस दिशा में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।
कोसी पार के मरीजों के लिए और बढ़ जाती है दिक्कत

कोसी नदी के उस पार बसे गांवों से बड़ी संख्या में मरीज इस अस्पताल में आते हैं। नाव या स्टीमर से नदी पार कर जब वे यहां पहुंचते हैं और उन्हें फिर रेफर कर दिया जाता है, तो उनकी परेशानी कई गुना बढ़ जाती है।  

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए दूरस्थ जिला अस्पतालों तक पहुंचना बेहद कठिन हो जाता है। ऐसे मरीजों का कहना है कि अगर सीएचसी सरायगढ़ भपटियाही में महिला चिकित्सक, ट्रामा सेंटर, अल्ट्रासाउंड सुविधा और पर्याप्त स्वास्थ्यकर्मी उपलब्ध हों, तो हजारों लोगों को राहत मिलेगी।
अस्पताल को मिले सभी मूलभूत सुविधाएं

स्थानीय ग्रामीणों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों ने कई बार स्वास्थ्य विभाग का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया है। उनका कहना है कि इतनी बड़ी आबादी वाले क्षेत्र में संसाधनों की ऐसी कमी होना गंभीर चिंता का विषय है।  

लोगों ने सरकार से मांग की है कि सीएचसी सरायगढ़ भपटियाही को पूरी तरह विकसित किया जाए, ताकि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को समय पर इलाज मिल सके और रेफर की प्रवृत्ति पर रोक लग सके।
like (0)
cy520520Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

cy520520

He hasn't introduced himself yet.

310K

Threads

0

Posts

1110K

Credits

Forum Veteran

Credits
116140
Random