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Delhi Blast Updates: दिल्ली ब्लास्ट में मृतकों की संख्या बढ़कर हुई 15, परिजनों में शोक की लहर

LHC0088 2025-11-18 03:37:21 views 412

  



जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। लाल किला बम विस्फोट में दो और लोगों की मौत हो गई है, जिससे मृतकों की संख्या 15 हो गई है। आया नगर निवासी 55 वर्षीय विनय पाठक ने सोमवार सुबह इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। बेगूसराय, बिहार निवासी मोहम्मद लुकमान की भी मौत हो गई। पोस्टमार्टम के बाद उनके शव उनके परिजनों को सौंप दिए गए। पांच अन्य घायलों का एलएन अस्पताल में इलाज चल रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

विनय पाठक के दामाद कुणाल कुंदन ने बताया कि मूल रूप से समस्तीपुर, बिहार निवासी विनय पाठक अपने परिवार के साथ आया नगर, दिल्ली में रहते थे। विनय सीसीटीवी कैमरे लगाने समेत प्रॉपर्टी के कारोबार से जुड़े थे। उनका बेटा सुधांशु अपने पिता के साथ काम करता था। उनका बड़ा बेटा नोएडा में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता है।

10 नवंबर को विनय पाठक ओल्ड लाजपत राय मार्केट में एलईडी स्क्रीन और सीसीटीवी उपकरण खरीदने गए थे। सामान खरीदने के बाद उन्होंने एक कुली से कुछ सामान घर भिजवाया। कुली ने एलईडी ले जाने से इनकार कर दिया। शाम करीब 6 बजे विनय पाठक ने अपने बेटे सुधांशु को फ़ोन करके पूरी बात बताई।

उसने कहा कि वह ऑटो-रिक्शा लेकर घर जाएगा। शाम 6 बजे से 6:30 बजे तक वह ऑटो-रिक्शा ढूँढता रहा, लेकिन कोई जाने को तैयार नहीं हुआ। विनय ने सुधांशु को फिर फ़ोन किया और कैब बुक करने को कहा। बेटे ने लाल किला गेट नंबर 1 से आया नगर के लिए कैब बुक की। कैब ड्राइवर आ गया। उसने गेट नंबर 4 के बाहर से सुधांशु को फ़ोन किया और बताया कि यू-टर्न लेने में काफ़ी समय लगेगा। उसने उस यात्री को सड़क पार करके कैब के पास आने को कहा। सुधांशु ने अपने पिता को फ़ोन करके सड़क पार करने को कहा। इसी बीच, जैसे ही वे सड़क पर पहुँचे, धमाका हुआ और विनय पाठक उसकी चपेट में आ गए।
दिल्ली में आर्टिफिशियल ज्वेलरी खरीदने आया था लुकमान

मोहम्मद लुकमान के बेटे मोहम्मद सिकंदर ने बताया कि वे बेगूसराय के पोखरिया में किराए के मकान में रहते हैं। उनके पिता लुकमान गांव में आर्टिफिशियल ज्वेलरी का कारोबार करते थे। वह अक्सर दिल्ली के सदर बाजार और चांदनी चौक मार्केट से थोक में आर्टिफिशियल ज्वेलरी खरीदने जाते थे। उन्होंने बताया कि वह 10 नवंबर को काम के सिलसिले में दिल्ली गए थे।

धमाके की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने पिता से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनका फोन बंद था। वह अगले दिन दिल्ली के लिए रवाना हुए और दो दिन तक उनकी तलाश करते रहे। वह पहले एलएन अस्पताल पहुंचे, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने कोतवाली थाने जाकर शिकायत दर्ज कराई।

पुलिसकर्मी उन्हें पोस्टमार्टम हाउस ले गए, जहां उनका शव चार अन्य शवों के साथ रखा था। शव देखकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। शिनाख्त के बाद उनका पोस्टमार्टम हुआ और शुक्रवार रात वह शव लेकर गांव पहुंचे।
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