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पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे बोले, आधुनिक युद्ध व सुरक्षा की चुनौतियों के लिए तकनीक को अपनाना जरूरी

deltin33 2025-11-17 03:07:34 views 433

  

दून इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल के सत्र को संबोधित करते पूर्व सेना अध्यक्ष जनरल मनोज नरवणे। साथ में आदित्य पिट्टी व रंजीता घोष। जागरण



जागरण संवाददाता, देहरादून: पूर्व सेनाध्यक्ष मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि तेजी से बदलती तकनीक के दौर में सेना को और अधिक गतिशील होना पड़ेगा। मशीन लर्निंग और अन्य तकनीकी क्षेत्रों में सुधार की दिशा में कदम उठाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आधुनिक युद्ध और सुरक्षा की चुनौतियों का सामना करने के लिए तकनीक को अपनाना और तेजी से बदलती दुनिया के अनुसार रणनीति तैयार करना आवश्यक है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

दून इंटरनेशनल स्कूल में चल रहे देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल के तीसरे और अंतिम दिन ‘इंडिया @ 2047 ए सेंचुरी यंग नेशन’ सत्र में उन्होंने यह बात कही। पूर्व सेनाध्यक्ष नरवणे ने आर्थिक प्रगति पर भी जोर देते हुए कहा कि अमेरिका और चीन की अर्थव्यवस्था भारत की तुलना में काफी बड़ी है, इसलिए देश को अपनी आर्थिक गति बढ़ाने की आवश्यकता है।

कहा कि भारत को दोहरे अंकों की वृद्धि दर हासिल करने का लक्ष्य रखना होगा, ताकि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती बनी रहे और देश तेजी से विकास की ओर बढ़ सके।

पूर्व सेनाध्यक्ष मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि आपरेशन सिंदूर ने यह साबित कर दिया कि दुश्मनों पर सही रणनीति और समय पर हमला करना कितना महत्वपूर्ण है। भविष्य में भी जरूरत पड़ी तो इसी तरह की रणनीति बनाकर कार्य करने होंगे। उन्होंने अग्निपथ योजना की विशेषता भी बताई।

कहा कि इस योजना के बाद सैनिक स्कूल दोगुने हुए हैं। भारत में युवाओं की संख्या अधिक है, इसलिए उन्हें दो वर्ष की ट्रेनिंग दी जा रही है। उन्होंने देहरादून को अपने दूसरे घर के रूप में मानते हुए कहा कि आइएमए के कारण उनका इस शहर से गहरा लगाव है।
यही समय, सही समय और भारत का अनमोल समय है: आदित्य

उद्यमी आदित्य पिट्टी ने हाल ही में एक सत्र में कहा कि यही समय, सही समय और भारत का अनमोल समय है। उन्होंने एआइ के युग में स्किल्स की आवश्यकता पर जोर दिया और छात्रों को इसे अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने नारी शक्ति वंदन अधिनियम का उल्लेख करते हुए कहा कि लोकसभा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है।

भारत 50 प्रतिशत ग्रीन एनर्जी पर कार्य कर रहा है, जिससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिल रही है। आत्मनिर्भरता का अर्थ आत्मविश्वास है, इसलिए आर्थिक रूप से मजबूत बनने के लिए सभी को आगे आना होगा। विप्रो की ग्लोबल चीफ मार्केटिंग आफिसर रंजिता घोष ने कहा कि शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए हमें अधिक प्रयास करने होंगे। सत्र में ज्योत्सना शर्मा ने मोडियेटर की भूमिका निभाई।
आर्थिक तौर पर सम्पन्न और समृद्ध हों युवतियां

देहरादून में प्रख्यात लेखिका शोभा डे और मीडिया विशेषज्ञ भावना समाया ने \“फैक्टर्स एंड बैंडेज- पार्टिशन नैरेटिव्स\“ पर चर्चा की। शोभा डे ने युवतियों को आर्थिक रूप से सम्पन्न और समृद्ध बनने के लिए प्रेरित किया। भावना समाया ने इंटरनेट मीडिया को सबसे बड़े अपराधी के रूप में बताया और कहा कि आज की पीढ़ी में सब्र और समझ की कमी है।

समाजसेवी अनूप नौटियाल ने \“द लिविंग हिमालयाज बैलेंसिंग प्रोग्रेस विद सस्टेनेबिलिटी\“ सत्र में उत्तराखंड की पारिस्थितिकी और प्राकृतिक आपदाओं पर चिंता जताई। शिक्षाविद डोमिनिक टोमालिन और नाओमी एटकिंस ने \“एजूकेशन इन एन इंटरकनेक्टेड वर्ल्ड\“ पर विचार साझा किए।

पोषण विशेषज्ञ रुजुता दिवेकर ने घर के बने भोजन के महत्व पर जोर दिया। फेस्टिवल के समापन पर संस्थापक समरांत विरमानी ने कहा कि हर बातचीत ने पहचान को मजबूत किया है।

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