search

मोहाली में नाइपर के असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅॅ. नीरज कुमार को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, जबरन रिटायरमेंट रद

LHC0088 2025-11-16 00:07:18 views 536
  

अदालत ने स्पष्ट किया कि इतने गंभीर प्रशासनिक दंड का कोई औचित्य नहीं था।



राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (नाइपर) के असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. नीरज कुमार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उनके खिलाफ की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई को कानूनी दुर्भावना करार देते हुए न केवल उनका जबरन सेवानिवृत्ति आदेश रद कर दिया, बल्कि संस्थान पर 10 लाख रुपये का हर्जाना भी लगाया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

डिवीजन बेंच जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस रोहित कपूर ने कुमार की तत्काल बहाली का आदेश देते हुए कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए किसी भी आरोप को “ज़रा भी साबित” नहीं किया जा सका। अदालत ने स्पष्ट किया कि इतने गंभीर प्रशासनिक दंड का कोई औचित्य नहीं था।
सिंगल जज के फैसले पर भी की कठोर टिप्पणी

हाईकोर्ट ने 2015 में सिंगल जज द्वारा कुमार की याचिका खारिज करने के निर्णय को भी गलत ठहराया। बेंच ने कहा कि दंड को ‘न्यायिक अंतरात्मा को न झकझोरने वाला’ बताने का निष्कर्ष सही नहीं था, क्योंकि मामले में गंभीर अवमानना और पक्षपात स्पष्ट रूप से दिख रहा था।
चयन समिति की सिफारिशें दबाई गईं

बेंच ने पाया कि जब तक कुमार ने चयन समिति की गठन प्रक्रिया को लेकर आपत्ति नहीं उठाई थी, तब तक उनके खिलाफ कभी कोई आरोप नहीं लगाया गया था। चयन समिति ने उनके कार्यकाल विस्तार और पदोन्नति—दोनों की सिफारिश की थी, लेकिन बोर्ड ऑफ गवर्नर ने इन्हें मंजूर नहीं किया। कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह सब उसी अवधि में हुआ जब डाॅ. कुमार की शिकायतें संस्थान के अधिकारियों के संज्ञान में आई थीं।
बार-बार अवसर देने के बावजूद नाइपर की उदासीनता

अदालत ने कहा कि नाइपर को कई बार अवसर दिए गए कि वे अपनी गलती सुधारें, लेकिन संस्थान का “अहंकारी रवैया” बरकरार रहा। यहां तक कि रैपिड ग्रिवांस रिड्रेसल कमेटी की रिपोर्ट भी डा कुमार के पक्ष में थी, फिर भी कार्रवाई जारी रखी गई।
बहाली, निरंतर सेवा और पदोन्नति पर विचार का आदेश

कोर्ट ने कुमार की तत्काल बहाली का आदेश दिया और कहा कि संशोधित नियमों के मुताबिक उन्हें अधिवार्षिता तक सेवा जारी रखने दी जाए। उनकी सेवा को “निरंतर और अविच्छिन्न” माना जाएगा, और एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर पदों पर पदोन्नति संबंधी दावों पर भी विचार किया जाएगा। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि डॉ. कुमार को उन वर्षों के लिए वेतन नहीं दिया जाएगा, जिनमें उन्होंने वास्तविक रूप से काम नहीं किया।
10 लाख रुपये हर्जाना, दोषियों पर कार्रवाई का रास्ता खुला

बेंच ने कहा कि नाइपर की कार्रवाइयों ने लगभग 10 वर्षों तक डाॅ. कुमार को “अनुचित उत्पीड़न और प्रताड़ना” झेलने पर मजबूर किया। इसी कारण संस्थान पर 10 लाख रुपये जुर्माना साथ ही नाइपर को अनुमति दी गई है कि वह आंतरिक जांच कर दोषी अधिकारियों से यह राशि वसूल सके।
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments
LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1410K

Credits

Forum Veteran

Credits
142951

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com