मदरसा बोर्ड से पंजीकरण तक नहीं, धार्मिक संस्थाओं से हो रही फंडिंग
राजीव बाजपेयी, जागरण लखनऊ। दिल्ली में बम धमाकों का कनेक्शन लखनऊ और प्रदेश के दूसरे शहरों में मिलने के बाद अब जांच एजेंसियां व्हाइट कालर टेरर नेटवर्क के साथ ही अवैध मदरसों में रह रहे छात्रों की भी कुंडली खंगालेगी।प्रदेश भर मेंं करीब साढ़े आठ हजार से अधिक अवैध मदरसे संचालित हैं जिनमें से 111 तो राजधानी लखनऊ में ही हैं जिनकी गतिविधियों पर प्रशासन पर कोई नियंत्रण नहीं है। यह स्थिति तब है जब लखनऊ के अलावा नेपाल सीमा पर संचालित तमाम अवैध मदरसों में कई बार संदिग्ध पकड़े जा चुके हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
गत पांच मई को ही श्रावस्ती में जिला प्रशासन के छापे में कई संदिग्ध चीजें बरामद की गई थीं। कई लैपटाप, इलेक्ट्रानिक गैजेट और आपत्तिजनक साहित्य बरामद किया गया था। जांच में सामने आया था कि यहां पर बच्चों को धार्मिक कटटरता की शिक्षा दी जा रही थी।इससे पहले सिद्वार्थनगर और महाराजगंज में संचालित 602 मदरसों में से 15 में संदिग्ध गतिविधियां पाई गई थीं।
हाल ही में बलरामपुर में जलालुददीन उर्फ छांगुर प्रकरण ने हिलाकर रख दिया था। गत वर्ष लखनऊ में पुलिस ने दुबग्गा में जमी आतुल कासिम अल इस्लामिया मदरसे से 21 बच्चों को मुक्त कराया था, जिनको बिहार से लाकर यहां रखा गया था। बच्चों से पूछताछ में सामने आया था कि उनको कटटरपंथी शिक्षा दी जा रही थी। कई मदरसों में इस तरह की शिकायतें आती रही हैं।
इससे पहले जुलाई 2021 में काकोरी के ही सीते विहार कालोनी में एटीएस ने एक मदरसे में छापा मारकर अलकायदा के एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया था। वर्ष 2017 में एटीएस ने इसी इलाके में आइएस आतंकी सैफुल्ला को मुठभेड़ के बाद ढेर किया था।पूर्व डीजीपी एके जैन भी मानते हैं कि जिस तरह दिल्ली की घटना में लखनऊ कनेक्शन आया है उससे संस्थाओं पर सख्ती से निगरानी करनी होगी। जहां पर भी समूह में इस तरह के लोग एकत्र होते हों वहां पर चौबीस घंटे चौकन्ना रहना होगा।
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दो वर्ष पूर्व नेपाल सीमा से सटे कई जिलों में संचालित मदरसों में संदिग्ध गतिविधियों के बाद राज्य सरकार ने प्रदेश भर के मदरसों की जांच के निर्देश दिए थे। इसके बाद लखनऊ प्रशासन ने 200 से अधिक मदरसों की जांच की थी। जिला प्रशासन, पुलिस और मदरस बोर्ड की संयुक्त टीम की जांच में कई हैरान करने वाली बातें सामने आई थीं। प्रशासन ने जो रिपोर्ट सौंपी थी उसमें 111 मदरसे ऐसे हैं, जिनके पास किसी तरह की मान्यता नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद उनका संचालन किया जा रहा है।
जांच रिपोर्ट में कहा गया था कि बगैर पंजीकरण के चल रहे मदरसे अलग-अलग धार्मिक संस्थाओं और संगठनों द्वारा संचालित किए जा रहे हैं और वहीं से इनकी फंडिंग है। जांच टीम को इन मदरसों से आय और खर्च का कोई ब्योरा भी नहीं उपलब्ध कराया गया था। इन मदरसों में कितने बच्चे पढ़ते हैं, इसकी भी स्पष्ट जानकारी संचालकों द्वारा उपलब्ध नहीं कराई गई थी। जिन बच्चों के नाम रजिस्टर में दर्ज थे उनके पते भी स्पष्ट नहीं थे।
अधिकतर बच्चों को धार्मिक शिक्षा दी जा रही थी। पूरे प्रदेश में यही हाल है। लखनऊ में संचालित अवैध मदरसों के बारे में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सोम कुमार का कहना है कि अवैध मदरसों के नियंत्रण को लेकर नए सिरे से नियमावली बनाई जा रही है। शासन से दिशा-निर्देश के बाद आगे कार्रवाई की जाएगी। |