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PM मोदी के आह्वान से उत्तराखंड की शीतकालीन यात्रा को लगेंगे पंख, इन प्रयासों से प्रदेश में तीर्थाटन के लिए उमड़ सकते हैं लोग

Chikheang 2025-11-14 11:06:37 views 975

  



बृजेश भट्ट, रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड में शीतकालीन चारधाम यात्रा को गति देने के लिए प्रदेश सरकार, स्थानीय व्यापारी और तीर्थ पुरोहित लगातार प्रयासरत हैं, लेकिन अभी तक इसमें अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई। इसके पीछे व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार का अभाव और ग्रीष्मकालीन यात्रा की तरह यात्रा व्यवस्थाएं न जुटाये जाने को मुख्य वजह माना जा रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

हालांकि, नौ नवंबर को रजत जयंती वर्ष पर आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान के बाद अब शीतकालीन यात्रा के गति पकड़ने की संभावनायें प्रबल हुई हैं। इस दिशा में काम भी शुरू हो गया है।

चारधाम के साथ ही पंच बदरी व पंच केदार धाम की यात्रा राज्य में तीर्थाटन और धार्मिक पर्यटन को वर्षभर सक्रिय रखने में सक्षम है। मुख्य धामों के कपाट बंद होने के बाद यदि चारधाम के शीतकालीन गद्दीस्थलों समेत पड़ावों में मुख्य यात्रा की तर्ज पर सुविधायें विकसित की जाएं तो शीतकाल में भी यात्री तीर्थाटन के लिए बड़ी संख्या में उत्तराखंड पहुंचेंगे।

इसी संभावना के मद्देनजर राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित मुख्य समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने शीतकालीन यात्रा पर विशेष जोर दिया। स्थानीय लोगों ने उम्मीद जताई है कि शीतकालीन यात्रा को लेकर दी गई प्रधानमंत्री की सीख आने वाले समय में उत्तराखंड को नई पहचान देगी।
उत्तराखंड के प्रमुख शीतकालीन धाम

चमोली जिले में योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर व नृसिंह मंदिर ज्योतिर्मठ, रुद्रप्रयाग जिले में ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ, उत्तरकाशी जिले में गंगा मंदिर मुखवा (मुखीमठ) व यमुना मंदिर खरसाली (खुशीमठ)। इसके अलावा चमोली जिले में गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर चतुर्थ केदार रुद्रनाथ धाम, रुद्रप्रयाग जिले में ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर द्वितीय केदार मध्यमेश्वर धाम व मक्कूमठ स्थित मार्कंडेय मंदिर तृतीय केदार तुंगनाथ धाम का शीतकालीन प्रवास स्थल है।
शीतकालीन पड़ावों पर खाने-ठहरने के पर्याप्त इंतजाम

सभी शीतकालीन तीर्थ स्थलों के लिए सीधे वाहन सुविधा उपलब्ध है। साथ ही यात्रियों के खाने-ठहरने के लिए पर्याप्त संख्या में होटल, लाज, होमस्टे व धर्मशालाएं मौजूद हैं। इन स्थानों पर यात्री शीतकाल में बर्फबारी का आनंद भी ले सकते हैं। चरम शीतकाल के दौरान इन धामों में जबर्दस्त ठंड पड़ती है, इसलिए यात्रियों को पर्याप्त मात्रा गर्म कपड़े व आवश्यक दवायें साथ लेकर ही यहां आना चाहिए।
उत्तराखंड शीतकाल में यात्रियों की आगवानी को तैयार

केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल का कहना है कि शीतकालीन यात्रा से तीर्थाटन को सालभर प्रोत्साहन मिलेगा और स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। उन्होंने देशभर के श्रद्धालुओं से शीतकाल के दौरान चारधाम समेत पंच बदरी व पंच केदार के गद्दीस्थलों की यात्रा पर आने की अपील की है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड शीतकाल में यात्रियों की आगवानी करने के लिए तैयार है।
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