जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। 1970 करोड़ के टर्नओवर पर 368 करोड़ जीएसटी चोरी की जांच में हर दिन नया घटनाक्रम जुड़ रहा है। जीएसटी पंजीकरण के समय जहां किसी व्यक्ति का नाम और आधार इस्तेमाल किया गया, वहीं मोबाइल नंबर किसी दूसरे का और बैंक खाता किसी तीसरे व्यक्ति का लगाया गया। जांच में पता चला कि एक ही मोबाइल नंबर से 11 फर्मों का पंजीकरण कराया गया। इससे न केवल फर्जी कारोबार चलाने का संदेह गहराया है, बल्कि टैक्स चोरी के बड़े नेटवर्क की भी पोल खुल रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
एसआइटी और एसआइबी प्रारंभिक जानकारी के आधार पर तीन स्तर पर कार्रवाई कर रही है। पहला, फर्म पंजीयन कराने वाले व्यक्तियों की पहचान, दूसरा, जिन नंबरों और खातों से इनका संचालन हुआ उनकी ट्रैकिंग और तीसरा, टैक्स चोरी की रकम की वसूली के लिए वित्तीय जांच हो रही है। इस नेटवर्क के जरिये करोड़ों रुपये की जीएसटी चोरी की गई है। विभाग ने सभी 11 फर्मों की पंजीयन प्रक्रिया की समीक्षा शुरू कर दी है। फिलहाल कई बैंक खातों को निगरानी सूची में डाला गया है ताकि किसी भी संदिग्ध लेनदेन को तुरंत रोका जा सके।
राज्यकर विभाग की सचल दल इकाई ने दो माह पहले कोतवाली में लकड़ी की फर्म के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जीएसटी चोरी के प्रकरण को गंभीरता से लिया गया। इसमें एसएसपी सतपाल अंतिल ने एसपी क्राइम सुभाषचंद्र गंगवार के नेतृत्व में 11 सदस्यीय एसआइटी गठित की थी। टीम को निर्देश मिले थे वे जीएसटी चोरी से जुड़े हर लिंक की तह तक जाएं। जांच शुरू होते ही एसआइटी को कई फर्मों की संदिग्ध जानकारी मिली है। एसआइटी ने दो ट्रक स्वामी और उनके चालकों को पूछताछ के लिए मुरादाबाद बुलाया था।
ये ट्रक लकड़ी की आपूर्ति से जुड़े थे, जिन पर जीएसटी चोरी का शक था। पूछताछ में सामने आया कि डिलारी निवासी एक व्यक्ति फुटकर विक्रेताओं से लकड़ी खरीदकर एक पंजीकृत फर्म को बेचता था, लेकिन उस फर्म ने जीएसटी का भुगतान नहीं किया। यही नहीं, जांच में सामने आया कि जिस फर्म के नाम पर लेनदेन हुआ था, वह अस्तित्व में ही नहीं है।
इस मामले में बिजनौर के नगीना निवासी सरताज के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उसने अपने दस्तावेजों में फर्म का पता रेलवे स्टेशन के सामने दर्शाया था, लेकिन जब एसआइटी टीम मौके पर पहुंची तो वहां कोई फर्म नहीं मिली। पंजीयन में जो बिजनौर का पता दिखाया गया था, वहां भी वह मौजूद नहीं था। इससे साफ हो गया कि फर्जी पते और दस्तावेजों के आधार पर फर्म बनाई गई थी।
जब एसआइटी ने पंजीकरण में दर्ज मोबाइल नंबर से जांच आगे बढ़ाई तो यह बातें सामने आई। उसी नंबर से 11 अन्य फर्मों का पंजीकरण भी हुआ था। एसआइटी ने जब इन सभी फर्मों की डिटेल निकाली तो पाया कि ज्यादातर में बैंक खाता किसी अन्य व्यक्ति के नाम से जोड़ा गया है। यानी पंजीकरण किसी और ने कराया, नंबर किसी और का और पैसा तीसरे के खाते में जा रहा था।
सचल दल ने लकड़ी से भरे चार ट्रक पकड़े
लकड़ी में जीएसटी चोरी करने वालों के विरुद्ध भी राज्यकर की सचल दल टीम ने कार्रवाई शुरू कर दी है। मंगलवार रात में राज्यकर सचल दल इकाई ने चार ट्रक पकड़े। इनसे पत्र मांगे गए थे। पत्रों में गड़बड़ी मिलने पर ट्रकों को रोक लिया गया। वहीं ट्रकों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड कर दी गई है। साथ ही इनके जीएसटी पंजीयन की भी जांच शुरू कर दी गई है। जिससे यह पता लग सके की पीछे की कोई फर्म बोगस तो नहीं है। राज्यकर अधिकारियों के अनुसार, टैक्स चोरी के मामलों को पूरी गंभीरता से लिया जा रहा है। बोगस फर्म संचालकों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी।
इस तरह के फर्जी पंजीकरण से बड़े स्तर पर जीएसटी चोरी की जा रही है। आरोपित जाली फर्म बनाकर खरीद-बिक्री के बिल जारी करते हैं और इनवायस के आधार पर टैक्स क्रेडिट लेकर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा रहे हैं। अब एसआइटी टीम एक-एक फर्म के पंजीयन दस्तावेज, बैंक डिटेल और मोबाइल नंबर की सीडीआर (काल डिटेल रिकार्ड) की जांच कर रही है।
- अशोक कुमार सिंह, अपर आयुक्त ग्रेड वन राज्यकर मुरादाबाद जोन
जांच तेजी से आगे बढ़ रही है। जिन लोगों ने पंजीयन प्रक्रिया में फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया है, उन्हें किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। एसआइटी ने अब तक कई संदिग्ध व्यक्तियों को पूछताछ के लिए बुलाया है और फर्जीवाड़े के पूरे गिरोह तक पहुंचने के प्रयास किए जा रहे हैं।
- सतपाल अंतिल, एसएसपी |