कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल की तर्ज पर बना सरायढेला स्टील गेट। (जागरण)
जागरण संवाददाता, धनबाद। दुर्गोत्सव की धनबाद में धूम मची है। दरबार के पट खुल गए हैं, भीड़ उमड़ रही है।
एक से एक भव्य पंडाल और उनमें विराजी मां व भव्य विद्युत सज्जा पूरे शहर को अलौकिक आभा से भर रही है। पंडालों के अंदर की आंतरिक सज्जा भी मन मोह रही है। हर पंडाल कोई न कोई संदेश भी दे रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सरायढेला स्टील गेट
विक्टोरिया मेमोरियल की तर्ज पर बना पंडाल।
धनबाद के सरायढेला में सजे महामाई के दरबार में दूर-दूर से भक्त आते हैं। यहां इस बार कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल की तर्ज पर पंडाल बना है।
पीले कपड़े व थर्माकोल से बने पंडाल को देखने सप्तमी में देर रात तक भीड़ लगी रही। इसे 17.50 लाख की लागत से बनाया गया है। पास के मैदान में मेला भी लगा है।
झारखंड मैदान में मिट्टी के घड़े से बना पंडाल
मिट्टी के घड़े से बना पंडाल।
धनबाद के प्रमुख दुर्गापूजा पंडाल में शुमार झारखंड मैदान में सत्यम शिवम सुंदरम कमेटी ने इस बार मिट्टी के घड़ों का प्रयोग कर पंडाल निर्माण किया। इसे रंग बिरंगी लाइटिंग ने और भव्यता दी।
पंडाल 16.50 लाख की लागत से बना यह पंडाल घड़े की महत्ता को दर्शा रहा, संदेश दे रहा कि हम अपनी परंपराओं से जुड़ें। कला का सम्मान करें।gurdaspur-general,Gurdaspur news, Punjab flood victim, Kalanour youth death, Sacki Kiran Nala, Kotli Surat Malli police, Drowning accident, Flood relief volunteer, Body recovery, Gurdaspur district, Punjab news,Punjab news
न्यू स्टेशन कॉलोनी में कृष्ण लीला
कृष्ण लीला पर आधारित पंडाल।
स्टेशन के समीप न्यू स्टेशन कॉलोनी के पूजा पंडाल में पूजा पंडाल के अंदर व बाहर श्रीकृष्ण लीला के दृश्य दर्शाए गए हैं। पंडाल पहुंचते ही भगवान श्रीकृष्ण रथ पर विराजमान दिखते हैं। इस पंडाल का बजट 6.50 लाख रुपये है।
शोले फिल्म की थीम पर पंडाल
शोले की थीम पर बना पंडाल।
मनईटांड़ पानी की टंकी का पंडाल नवयुवक संघर्ष समिति ने शोले फिल्म की थीम पर बनाया। पंडाल के अंदर जेल का नजारा है, गब्बर, बीरू भी दिख रहे हैं। दूधिया रोशनी ने इसकी आभा निखारी है। यहां का बजट 4.75 लाख रुपये है।
तेतुलतल्ला में झारखंडी लोक संस्कृति की झलक
झारखंडी लोक संस्कृति की झलक।
तेतुलतल्ला मैदान में झारखंड की लोक संस्कृति की झलक पर आधारित पूजा पंडाल बना है। अंदर व बाहर झारखंडी की संगीत, नृत्य, लोक कला, पर्व-त्योहार, छऊ नृत्य दर्शाए गए हैं। यहां का बजट सात लाख रुपया है।
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