नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्रियों के खिलाफ जांच शुरू। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नेपाल सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्रियों - शेर बहादुर देउबा और पुष्पकमल दहल \“प्रचंड\“ और पूर्व मंत्री दीपक खड्का के खिलाफ जांच शुरू की है। उनके आवासों पर जलाए गए बैंक नोटों के वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित होने के दो सप्ताह बाद यह कार्रवाई की गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जेन जी प्रदर्शनकारियों ने नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष देउबा, सीपीएन (माओवादी सेंटर) के अध्यक्ष प्रचंड, और नेपाली कांग्रेस के नेता तथा तत्कालीन ऊर्जा मंत्री खड्का के घरों को आग लगा दी थी। ऑनलाइन प्रसारित वीडियो में 500 और 1,000 के नोटों को जलते देखा गया।
मनी लॉन्ड्रिंग जांच विभाग की टीम ने इकट्ठे किए साक्ष्य
जैसे ही यह खबर इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुई, सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच विभाग की टीम को उनके घरों पर भेजा और साक्ष्य एकत्र किए। विभाग ने 21 सितंबर को देउबा और खड्का के आवासों पर और 23 सितंबर को प्रचंड के घर पर अपनी टीम भेजी। उन्होंने जलाए गए बैंक नोटों के टुकड़े और विभिन्न साक्ष्य एकत्र किए और नमूनों को खुमाल्टर स्थित राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में विश्लेषण के लिए भेजा।
अधिकारियों ने क्या कहा?
अधिकारियों ने बताया कि विभाग ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। देउबा और प्रचंड लगभग दो दशकों तक किसी न किसी रूप में सत्ता में रहे। मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान अवैध रूप से संपत्तियां अर्जित कीं। हालांकि, देउबा के सचिवालय ने बयान में आरोपों का खंडन किया है।
ओली बोले- देश से भागने वाला नहीं
एएनआई के अनुसार नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने उन अफवाहों को खारिज किया है कि वह देश छोड़कर भागने की तैयारी रहे हैं। उन्होंने अंतरिम सरकार पर उनकी सुरक्षा और विशेषाधिकार छीनने का प्रयास करने का आरोप लगाया।
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भक्तपुर में पार्टी की युवा शाखा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उनका इरादा नेपाल में ही रहकर राजनीतिक रूप से संघर्ष करने का है। ओली ने नौ सितंबर को प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास को खाली कर दिया था, जब जेन जी के नेतृत्व में चले विरोध प्रदर्शनों के बाद उनकी सरकार गिर गई थी। बालकोट स्थित उनके निजी आवास में प्रदर्शनकारियों द्वारा आग लगा दिए जाने के बाद से वे गुंडू में एक किराये के मकान में रह रहे हैं।
नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह ने 17 साल बाद अपनी उपाधि त्यागी
नेपाल में 17 साल पहले राजतंत्र का अंत हो गया था, हालांकि, पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह के सचिवालय से जारी बयान में उन्हें \“महामहिम राजा\“ के रूप में संबोधित किया जाता रहा है, लेकिन रविवार रात पूर्व नरेश ने स्वयं घोषणा की कि अब उन्हें \“पूर्व महामहिम राजा\“ के रूप में जाना जाएगा। आईएएनएस के अनुसार कई लोग उनकी इस घोषणा से चकित हैं। आखिर इतने वर्षों बाद इस तरह की घोषणा क्यों की गई, जबकि हाल में नेपाल में राजतंत्र की वापसी की मांग भी जोर पकड़ रही थी।
समय पर चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है सरकार : सुशीला कार्की
नेपाल की प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने सोमवार को कहा कि अंतरिम सरकार निर्धारित समय पर आम चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है। हिमालयन टाइम्स समाचार पत्र के अनुसार बडा दशैं के उपलक्ष्य में संदेश में, कार्की ने आश्वासन दिया कि प्रतिनिधि सभा के चुनाव समय पर होंगे। बडा दशैं को \“विजय दशमी\“ के नाम से भी जाना जाता है। प्रधानमंत्री ने देश और विदेश में सभी नेपालियों के लिए शांति, खुशी और समृद्धि की कामना की। अपने संदेश में राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने निर्धारित तिथि पर चुनाव कराने की अपील की।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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