Maa Durga Puja, Durga Ashtami 2025: दुर्गा अष्टमी शुभ मुहूर्त, मंगलवार सूर्योदय से दोपहर बाद 1:54 बजे तक विशेष पूजन।
संवाद सहयोगी, भागलपुर। Maa Durga Puja, Durga Ashtami 2025 मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की आराधना के बाद मंगलवार को दुर्गा अष्टमी, महाअष्टमी पर मां महागौरी की पूजा, दुर्गा अष्टमी व्रत और महाअष्टमी का डलिया चढ़ाने की परंपरा निभाई जाएगी। सोमवार देर रात से मंगलवार भोर की बेला और दोपहर बाद 1:54 बजे तक भक्तजन मां को अपनी श्रद्धा का डलिया अर्पित करेंगे। शारदीय नवरात्र के महासप्तमी पर्व पर सोमवार को शहर भक्तिरस में सराबोर रहा। शंख-घंटे की गूंज और दुर्गासप्तशती के पाठ से पूरा शहर मातामई वातावरण में डूबा रहा। रात्रि में विधिवत निशा पूजा एवं बलि विधान हुआ, जो रात 12 से 12:30 बजे तक चला। मंदिरों के पट खुलते ही भक्तों ने मां के दर्शन किए। आदमपुर से लेकर अलीगंज तक, मोहद्दीनगर से लेकर मारवाड़ी पाठशाला तक हर दुर्गा मंदिर में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
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मां महागौरी की कृपा से मिलते मनचाहे फल (Durga Ashtami 2025 kab hai)
दुर्गा अष्टमी तिथि सोमवार दोपहर बाद 12:37 बजे प्रारंभ होकर मंगलवार दोपहर बाद 1:54 बजे तक रहेगी। महाष्टमी का व्रत मंगलवार को रखा गया है। महानवमी बलि बुधवार 1 अक्टूबर को दी जाएगी। नवरात्रि के समापन पर पूजन-हवन दोपहर बाद 2:46 बजे तक होगा। गुरुवार 2 अक्टूबर को विजयादशमी का त्योहार मनाया जाएगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित सचिन कुमार दुबे ने बताया कि मां दुर्गा की आठवीं शक्ति महागौरी अत्यंत सौम्य, सरल और सुलभ मानी गई हैं। उनकी आराधना से अलौकिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं तथा मनचाही कामना भी पूर्ण होती है। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार, भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए मां ने कठोर तपस्या की थी, तभी उन्हें यह गौर वर्ण प्राप्त हुआ।
हजारों हांडी भोग से महक उठा वातावरण
आज महाअष्टमी पर हर भक्त अपने हाथों में डलिया नहीं, बल्कि अपनी मनोकामनाएं लिए मां के दरबार में पहुंचेंगे। कालीबाड़ी और दुर्गाबाड़ी में भोग प्रसाद की भव्य परंपरा जारी है। कालीबाड़ी के महासचिव बिलास कुमार बागची के अनुसार तीन दिनों में 25 सौ से अधिक हांडी भोग लगाया जाएगा। सप्तमी को खिचड़ी, पांच प्रकार के भाजा, दो सब्ज़ी और खीर का भोग चढ़ा। दुर्गा अष्टमी को पुलाव, दाल, भाजा एवं विशेष प्रसाद, वहीं नवमी को हलुआ-पूरी, भोग और प्रसाद वितरण होगा। हड़ियापट्टी दुर्गामंदिर में भी मंगलवार को हलुवा-पूरी भोग लगाया गया। पूरे शहर में नवरात्र केवल पर्व नहीं, बल्कि श्रद्धा और संस्कृति के संगम का उत्सव बन चुका है।
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दुर्गा अष्टमी पर 21 कौड़ियां लुटाई गईं
मां भगवती सोमवार को सुजापुर दुर्गा मंदिर पधार गईं। उनके स्वागत में 21 कौडिय़ां लुटाई गईं। जिसे लूटने के लिए दो सौ से ज्यादा लोग मंदिर परिसर में जुटे थे। थोड़े समय के लिए मंदिर परिसर दंगल में तब्दील हो गया। सौभाग्य के प्रतीक इस कौड़ी को लूटने के लिए खूब जोर-आजमाइश हुई। जो कौड़ी लूट पाए, वे इसे मातारानी का प्रसाद समझ अपने घर ले गए। जहां महिलाओं ने उसे अपने सिंदूर के कीए में रखकर पूजा-अर्चना की।
इससे पूर्व, मंदिर से सोमवार की सुबह 7.30 बजे के करीब ढोल-ढाक, शंख व गाजे-बाजे के साथ बोधन घट यात्रा निकाली गई। चंपा नदी में गंगा स्नान के बाद पुरोहित ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ बोधन कलश में जल भरा। फिर मां के जयकारे के साथ भक्तगण मंदिर परिसर पहुंचे। जहां पूजा के बाद कुबेर धन का द्योतक कौडिय़ां लूटाई गईं। इसके साथ ही बांग्ला विधि विधान से बोधन कलश की स्थापना कर मां दुर्गा की पूजा शुरू कर दी गई।
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सिंदूर से सुशोभित नवपत्रिका विराजी शिव-पुत्र गणेश के संग
नवरात्रि की महासप्तमी पर कालीबाड़ी पूजा कमिटी द्वारा पारंपरिक रीति से केलाबहू (नवपत्रिका) को मानिक सरकार गंगा घाट पर गंगाजल से स्नान कराया गया। ढाक और शंख-घंटे की अनुगूंज से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। पूजा कमिटी के बिलास कुमार बागची ने बताया कि नवपत्रिका तैयार करने के लिए केला का पौधा, अपराजिता की डाली, जोड़ा बेल, बेल की टहनी, अशोक की डाली और धान का बौग सहित नौ पवित्र प्राकृतिक प्रतीकों को एकत्र कर केलाबहू स्वरूप सजाया गया।
गंगा स्नान के पश्चात केलाबहू को साड़ी पहनाकर, सिंदूर लगा कर श्रद्धापूर्वक कंधे पर उठाकर मंदिर लाया गया। परंपरानुसार उसे गणेश जी की प्रतिमा के बगल में स्थापित किया गया, जहां बंगाली समाज की महिलाओं ने उसे गणेश जी की पत्नी के रूप में मानकर विशेष पूजा-अर्चना की। इस अनुष्ठान में शामिल श्रद्धालुओं ने इसे मां शक्ति और प्रकृति के दिव्य मिलन का प्रतीक बताया।
121 कन्याओं का पूजन करेंगे
शारदीय नवरात्रि में दुर्गा पूजा की महानवमी तिथि पर सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार अजगैवीनाथ मंदिर पर आयोजित भव्य भंडारे से पहले 121 कन्याओं का पूजन कर भोजन कराते हुए ससम्मान उन्हें दक्षिणा देकर मंदिर से विदाई दी जाएगी। श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा द्वारा संचालित अजगैवीनाथ मठ के स्थानापति महंत प्रेमानंद गिरी ने बताया कि परंपरा के अनुसार दुर्गा पूजा की नवमी तिथि बुधवार को 121 कुंवारी कन्याओं को भोजन कराते हुए उन्हें ससम्मान विदाई दी जाती है। इसके उपरांत महाभंडारा में लगभग चार से पांच हजार श्रद्धालु भाग लेकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। श्रीमहंत ने बताया कि भंडारे में मुख्य रूप से ओल का चोखा भक्तों को अधिक पसंद आता है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष दो क्विंटल से अधिक ओल का चोखा बनाया जा रहा है।
यहां परंपरागत रूप से 101 कन्याओं का पूजन
महानवमी पूजा पर शहर के विभिन्न दुर्गा स्थानों में कन्या पूजन की तैयारी जोरों पर है। कहीं 11 तो कहीं 101 कन्याओं की पूजा होगी। इस बार कन्याओं के लिए गिफ्ट पैक, ड्रेस और चाकलेट का चलन तेजी से बढ़ा है। मिठाइयों का भी गिफ्ट पैक कर बाजार में उतारा गया है। गुरु छितनु सिंह अखाड़ा के अध्यक्ष ब्रह्मदेव साह ने बताया कि यहां परंपरागत रूप से 101 कन्याओं का पूजन होगा। इससे पूर्व खलीफाबाग चौक से लेकर मंदिर परिसर तक तक ढोल-बाजे के साथ शोभायात्रा निकाली जाएगी। इस दौरान बच्चियों में मां दुर्गा का स्वरूप नजर आएगा। मंदिर पहुंचने पर कन्याओं का स्वागत शृंगार सामग्री से किया जाएगा। भोजन कराने के साथ उन्हें पेन, पेंसिल, कपड़ा, चाकलेट और गले में पहनने वाला दुपट्टा भेंट किया जाएगा।
कन्या शृंगार और पूजन का विशेष महत्व
तिलकामांझी महावीर मंदिर के पंडित आनंद झा ने बताया कि यहां नौ कन्याओं का पूजन होगा। कन्याओं को नए कपड़े पहनाए जाएंगे और भोजन के बाद शृंगार सामग्री दी जाएगी। वहीं एनई रेलवे दुर्गा मंदिर बरारी के अध्यक्ष नवीन सिंह कुशवाहा ने कहा कि यहां भी 101 कन्याओं का पूजन किया जाएगा। कन्याओं को चुनरी, कपड़े और गिफ्ट पैक भेंट किए जाएंगे। वेरायटी चौक स्थित एक मिठाई कारोबारी बलराम झुनझुनवाला ने बताया कि दुर्गापूजा को लेकर दुकानों पर गिफ्ट पैक और मिठाइयों की बिक्री बढ़ गई है। इस बार नवरात्र में गिफ्ट और चाकलेट की मांग सामान्य दिनों से कई गुना अधिक है। धार्मिक आस्था के साथ-साथ इस आयोजन से बाजार में भी रौनक आ गई है।
महानवमी के दिन हवन, कन्या पूजनन और बलि की परंपरा
दुर्गा पूजा के अवसर पर पंडितों की डिमांड इस कदर बढ़ गई है कि कई जगह श्रद्धालु परेशान हो रहे हैं। खासकर महानवमी के दिन हवन, कन्या पूजनन और बलि की परंपरा निभाने के लिए पंडितों की आवश्यकता अधिक होती है, लेकिन मांग ज्यादा होने के कारण हर जगह पंडित पहुंच नहीं पा रहे हैं। कई पंडित श्रद्धालुओं को देखकर दूसरे रास्ते पर चले जा रहे हैं।
बूढ़ानाथ मंदिर के पंडित सुनील झा ने बताया कि नवमी के दिन हवन, कुंवारी कन्या व बलि की विधि होती है। इन सभी में पंडित का होना आवश्यक है। ऐसे में एक ही दिन कई जगह बुलावे आने पर पंडितों को मजबूरन इनकार करना पड़ता है। कई बार वे श्रद्धालुओं से नजरें बचाकर हट जाते हैं। तिलकामांझी स्थित महावीर मंदिर से जुड़े पंडित गौतम झा ने कहा कि इस बार उनकी व्यस्तता इतनी अधिक है कि पांच जगहों पर पूजा कराने के बाद भी 15 जगहों से बुलावा आया है, मगर समयाभाव के कारण वे नहीं जा सके।
आनलाइन भी करा रहे कई लोग पूजा-पाठ
जगन्नाथ मंदिर के पंडित सौरभ कुमार मिश्रा ने बताया कि ब्राह्मणों के द्वारा किया गया दुर्गा सप्तशती का पाठ से सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है। इस बार दुर्गा पूजा में ब्राह्मणों की विशेष मांग होने के कारण ब्राह्मणों ने दक्षिण में वृद्धि किया। दुर्गा सप्तशती के पाठ का न्यूनतम दक्षिण की राशि 5100 से लेकर 11000 रुपए, संपूर्ण दुर्गा सप्तशती के पाठ के लिए 21000 की दक्षिणा दी जा रही है। नवमी के दिन पंडित हवन, कन्या पूजन और कन्या जमाने के लिए प्रायः 2100 रुपये ले रहे हैं।
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