यह मामला बिहार के बांका की रहने वाली 19 वर्षीय अनुसूचित जनजाति की युवती से जुड़ा है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक हाईकोर्ट ने मनुस्मृति और महात्मा गांधी का हवाला देकर दुष्कर्म के मामले में आरोपित को जमानत देने से इनकार कर दिया। यह मामला बिहार के बांका की रहने वाली 19 वर्षीय अनुसूचित जनजाति की युवती से जुड़ा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बेंगलुरु के एक रेलवे स्टेशन के बाहर उसके साथ दुष्कर्म हुआ था। जस्टिस एस. रचैया ने चार सितंबर को जमानत याचिका पर फैसला सुनाते हुए महिलाओं के सम्मान और गरिमा की रक्षा की आवश्यकता पर बल देते हुए मनुस्मृति का एक श्लोक उद्धृत किया जिसका अर्थ है, \“जहां स्त्रियों का सम्मान होता है, वहां देवता निवास करते हैं, जहां उनका सम्मान नहीं होता, वहां सभी कार्य निष्फल हो जाते हैं।\“
इसी तरह उन्होंने महात्मा गांधी के शब्दों को भी याद किया कि \“\“जिस दिन हर महिला रात में सड़क पर स्वतंत्र रूप से चल सकेगी, उस दिन हम कह सकते हैं कि भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त कर ली है।\“\“ जस्टिस रचैया का यह भी कहना था, \“\“आरोपित और अन्य द्वारा किया गया कृत्य युवती जीवन में एक दाग की तरह रहेगा। उसके लिए उस पीड़ा से उबरना बहुत मुश्किल होगा।\“\“
क्या है पूरा मामला?
बांका की रहने वाली इस युवती के माता-पिता केरल में एक इलायची बागान में काम करते हैं। दो अप्रैल को वह केरल से रात लगभग 1.30 बजे बेंगलुरु के केआर पुरम रेलवे स्टेशन पहुंची। अपने चचेरे भाई के साथ भोजन के लिए महादेवपुरा जा रही थी।lucknow-city-general,Lucknow News,Lucknow Latest News,Lucknow News in Hindi,Lucknow Samachar,lko,Lucknow News,Lucknow Latest News,Lucknow News in Hindi,Lucknow Samachar,marriage grant scheme,backward class welfare,financial assistance for marriage,UP government schemes,poor daughters marriage,Lucknow beneficiaries,Uttar Pradesh news
तभी स्टेशन के पास आरोपित ने भाई को पकड़ लिया। उसका साथी युवती को घसीटकर पास के स्थान पर ले गया और दुष्कर्म किया। शोर मचाने पर स्थानीय लोगों की मदद से पुलिस ने दोनों को पकड़ लिया।
(समाचार एजेंसी PTI के इनपुट के साथ)
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