पत्नी ने दुपट्टा फैलाकर मांगी मोहसिन के शव की भीख... सास का भी दिल पसीजा, दे दी सहमति

cy520520 2025-11-12 17:07:30 views 641
  

मोहसिन के जनाजे पर बिलखते स्वजन। जागरण



जागरण संवाददाता मेरठ। दिल्ली ब्लास्ट की चपेट में आए मोहसिन का शव लेकर दिल्ली पुलिस मंगलवार सुबह लोहियानगर के न्यू इस्लामनगर की गली नंबर 28 स्थित उसके घर पहुंची। छह घंटे तक शव को सिपुर्द-ए-खाक करने की जद्दोजहद होती रही। पत्नी शव को दिल्ली ले जाना चाहती थी। अंत में पत्नी ने सास के सामने दुपट्टा फैलाकर पति के शव की भीख मांगी। अंतत: मां की सहमति पर शाम पांच बजे पत्नी शव लेकर दिल्ली चली गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

न्यू इस्लामनगर निवासी 32 वर्षीय मोहसिन पुत्र रफीक दो साल पहले पत्नी सुल्ताना और दो बच्चों हिफ्जा व आहत को साथ लेकर दिल्ली चला गया था। वह वहां जामा मस्जिद के पास पत्ता मुहल्ले में किराए पर रहता था। मोहसिन के ससुराल वाले भी मूलरूप से मेरठ के निवासी हैं, फिलहाल वह भी जामा मस्जिद के पास ही रहते हैं। सोमवार सुबह मोहसिन ई-रिक्शा चलाने गया था। रात आठ बजे सुल्ताना के भाई इकलास ने लालकिला पर धमाके की जानकारी दी।

सुल्ताना ने देवर नदीम को जानकारी दी। नदीम भी रात में ही मेरठ से दिल्ली पहुंच गया। रात करीब 11 बजे दिल्ली पुलिस ने मोहसिन के ड्राइविंग लाइसेंस से पहचान कर मेरठ में परिवार को सूचना दी। सुबह साढ़े सात बजे दिल्ली पुलिस मोहसिन का शव को लेकर मेरठ पहुंची। सुल्ताना को शव मेरठ में पहुंचने की खबर लगी तो वह दिल्ली पुलिस के पास पहुंची और शव की मांग की। उसने शव वापस आने तक देवर नदीम को दिल्ली पुलिस की हिरासत में बैठवा दिया।

दोपहर दो बजे सुल्ताना मेरठ पहुंची। यहां पर शव को सिपुर्द-ए-खाक करने की तैयारी हो चुकी थी। शव यात्रा घर से करीब सौ मीटर दूर निकल गई थी। सुल्ताना ने पुलिस से शव यात्रा को रुकवा दिया। बाद में तब तय हुआ कि नदीम को पुलिस के छोड़ने पर शव को दिल्ली भेज दिया जाएगा। सुल्ताना के कहने पर दिल्ली पुलिस ने नदीम को छोड़ दिया। शाम पांच बजे सुल्ताना शव लेकर दिल्ली रवाना हो गई।


सुल्ताना ने मोहसिन को कई बार काल की...हर बार बंद मिला मोबाइल
मेरठ : दिल्ली में धमाके के बाद पत्नी सुल्ताना ने मोहसिन को कई बार काल की, हर बार मोबाइल बंद मिला। इसके बाद वह मोहसिन के भाई नदीम के साथ करीब तीन घंटे तक मौका-ए-वारदात से लेकर अस्पताल तक मोहसिन की तलाश करती रही।

ड्राइविंग लाइसेंस से शव की पहचान होने के बाद ही परिवार को मर्चरी भेजा गया था। मर्चरी पर मोहसिन का शव देखते ही सुल्ताना फूट-फूटकर रोने लगी। वह बार-बार एक ही बात कह रही थी कि बेटी और बेटे की परवरिश कौन करेगा। इतना बढ़ा जिम्मा वह अकेली नहीं संभाल पाएंगी। मोहसिन की 11 साल की बेटी हिफ्जा कक्षा छह, जबकि आठ साल का बेटा आहत कक्षा चार में पढ़ता है। उसने कहा, अब उसका मेरठ में क्या बचा है, इसलिए पति का दफीना दिल्ली में ही करेगी। इसको लेकर छह घंटे तक सास और परिवार के अन्य सदस्यों से सुल्ताना की खींचतान होती रही। मां संजिदा का कहना था कि दो साल पहले मोहसिन को दिल्ली जाने से रोका था। मेरी बात मान लेता तो आज जिंदा होता।

संजिदा ने बताया, मोहसिन हर माह मिलने के लिए घर पर आता था। दो दिन पहले ही उससे बात हुई थी। उसने बताया था कि 28 दिसंबर को बेटी का जन्मदिन है, उसके बाद मिलने आएगा। बेटा अपने वादे पर कायम नहीं रहा। खुद नहीं आया, बल्कि शव आ गया। मोहसिन नौ भाई-बहनों में दूसरे नंबर का था। पुलिस ने रास्ते से रोका जनाजा, मेरठ में नहीं हुआ दफीना : मोहसिन का शव आते ही परिवार के लोग दफीने की तैयारी करने लगे, लेकिन पुलिस ने शव पत्नी को रिसीव कराने की बात कही। इसके बाद सुल्ताना को दिल्ली से बुलाया गया। उसने मेरठ में शव रिसीव करने से इन्कार करते हुए चेहरा भी नहीं देखा।

कहा कि दिल्ली में ही चेहरा देखेगी। इस पर बदर अली और इमरान अंसारी समेत काफी लोग शव को दफीने के लिए कब्रिस्तान लेकर चल दिए। तब सुल्ताना के कहने पर पुलिस ने जनाजे को रोक दिया। काफी देर तक सास-बहू में शव को लेकर खींचतान होती रही। फिर सुल्ताना ने झोली फैलाकर शव मांगा तो सास ने शर्त रखी कि उसके छोटे बेटे नदीम को दिल्ली पुलिस से छुड़वा देगी। हां करने पर सास ने शव बहू को सौंप दिया। बता दें कि मोहसिन का शव स्वजन लेकर मेरठ आ गए थे। इस पर सुल्ताना ने नाराजगी जताते हुए दिल्ली पुलिस को शिकायत देते हुए मांग की थी कि शव वापस लाया जाए, दफीना यहीं होगा। जब मोहसिन के स्वजन नहीं माने तो दिल्ली पुलिस ने नदीम को थाने में बैठा लिया था।
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