पिछले दस सालों से डॉ. तरणिजा सीमा प्रहरियों और सीमांत वासियों की सेवा कर रही हैं।
राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा में तैनात सीमा सुरक्षा बल की सैकेंड इन कमान डॉ तरणिजा अग्रिम इलाकों में तैनात सीमा प्रहरियों के साथ सीमांत वासियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए समपर्ण भाव से काम कर रही हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सैकेंड इन कमान डा तरणिजा सीमा सुरक्षा बल में महिलाअों के सशक्त होने की प्रतीक हैं। सेना के साथ सीमा सुरक्षा बल में भी महिलाएं मेडिकल, अन्य क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। डॉ तरणिजा एक महिला डाक्टर होने के नाते महिला सीमा प्रहरियों को देशसेवा के लिए फिट रखने के लिए निरंतर काम कर रही हैं।
इसके साथ वह सीमांत महिलाओं को बेहतर तरीके से स्वास्थ्य सुविधाएं देकर अहम भूमिका निभा रही हैं। गत दिनों जम्मू के सीमांत क्षेत्रों में बाढ़ आने से उपजे हालात में बाढ़ प्रभावितों को राहत देने में भी डा तरणिजा व उनकी मेडिकल टीम के सदस्यों ने सीमा से सटे इलाकों में अहम योगदान दिया था।
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सीमांत वासियों को उनके स्वास्थ्य के साथ जनजनित रोगों की रोकथाम के बारे में भी जागरूक किया गया था। सीमा सुरक्षा बल ने अब महिलाएं भी हाथ में बंदूक लेकर सीमा की सुरक्षा के लिए अग्रिम मोर्चें पर तैनात हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी जम्मू के अखनूर सेक्टर में सीमा सुरक्षा बल की महिलाओं ने भारतीय इलाकों पर भारी गोलाबारी कर रहे पाकिस्तानी रेंजर्स को कड़ा सबक सिखाया था। इन महिला सीमा प्रहरियों ने चिनाब नदी में बाढ़ से उपजे हालात में सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित की थी।
डॉ तरणिजा का कहना है कि सीमा सुरक्षा बल की मेडिकल टीमें सीमा से सटे इलाकों में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। बाढ़ से उपजे हालात में सीमांत क्षेत्रों में हजारों लोगों ने बीएसएफ के मेडिकल कैंपों का लाभ उठाया था। हमारी पूरी कोशिश रहती है कि सीमा प्रहरियों के साथ सीमांत वासियों को भी स्वास्थ्य सुविधाएं दी जाएं।Pakistan Occupied Kashmir,PoK police protest,Awaami Action Committee,PoK unrest,Pakistan government,PoK security situation,Islamabad police deployment,PoK internet shutdown,PoK police demands,Frontier Force
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उनका कहना है कि सीमा सुरक्षा बल में महिला भी अग्रणी भूमिका में आ रही हैं। ऐसे में महिला डाक्टर होने के नाते महिला सीमा प्रहियों को स्वस्थ्य रखना उनकी जिम्मेदारी का अभिन्न अंग है।
चाहे महिला सीमा प्रहरी हो या फिर सीमांत गांव की महिलाएं हों, वे अपनी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों को महिला डाक्टर से बेहतर तरीके से उठा सकती है।
पिछले दस सालों से सीमा सुरक्षा बल में मेडिकल अधिकारी की भूमिका में डॉ तरणिजा ने अब तक हजारों सीमा प्रहरियों, सीमांत वासियों का स्वास्थ रखने में योगदान दिया है। उनका कहना है कि उन्हें इस पर गर्व है कि वह देश में अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा को समर्पित सीमा सुरक्षा बल का हिस्सा हैं।
उनका कहना है कि बीएसएफ डॉक्टर होने के नाते अकसर उन्हें ऐसे इलाकों में काम करने का मौका मिलता हैं यहां पर लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं हासिल करना आसान नही है।
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सीमा से सटे इलाकों में सीमा सुरक्षा बल के स्वास्थ्य शिविर लोगों को राहत देते हैं। हम विशेषतौर पर महिलाओं को अपने परिवार व अपनी सेहत के बारे में जागरूक बनाते हैं।
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