धीरे-धीरे कम होता दिखेगा सरकारी योजनाओं का बोझ
राज्य ब्यूरो, रांची। देश में गरीबी रेखा के नीचे बसर करने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है और यह कमी तमाम राज्यों के साथ-साथ झारखंड में भी देखने को मिला है। झारखंड के शहरी क्षेत्रों में बीपीएल आबादी 16.6 प्रतिशत रह गई है, जिनकी संख्या 2011-12 में 45.9 प्रतिशत थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वहीं ग्रामीण इलाकों की बात करें तो बीपीएल की आबादी 31.3 प्रतिशत से घटकर 16.6 प्रतिशत रह गई है। परिस्थितियां ऐसी ही रहीं तो गरीबों की मदद के लिए चल रही कल्याणकारी योजनाओं में भी कमी आएगी और सरकार के ऊपर से गरीबों की सहायता करने का बोझ कम होता जाएगा, लेकिन यह तत्काल नहीं होगा।
अचानक ही किसी को आप गरीबी रेखा के नीचे की सूची से बाहर नहीं निकाल सकते। लोग तमाम बातें जानते हैं और उन्हें पता होता है कि बीपीएल सूची में नाम होने से ही कई योजनाओं का लाभ मिल रहा है।
सो, अचानक से नाम काटने की कोशिश मात्र से हंगामा होने का खतरा बना रहता है। दरअसल, देश में बीपीएल सूची के हिसाब से विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में लाभुकों की संख्या तय होती है।
देश में बीपीएल को लेकर हाल में जो आंकड़े आए हैं वह माइक्रो डाटा पर आधारित है। गरीब की गणना और गरीब की पहचान करने के लिए बीपीएल सर्वे करना होता है। एक बार कोई कार्यक्रम शुरू हो जाता है तो इसमें लाभुकों की संख्या को कम करना बहुत मुश्किल होता है।barabanki-general,food safety drive,adulterated food,Barabanki,FSDA,food safety and drug administration,food sample seized,cold storage raid,food adulteration,Uttar Pradesh food safety,food safety inspection, बाराबंकी की खबर, यूपी की खबर, खाद्य विभाग, रसद विभाग, आलू पकड़ा गया, नकली आलू,Uttar Pradesh news
यही हाल बीपीएल सूची के साथ होनेवाला है। अभी पुरानी सूची का ही अनुपालन होता रहेगा। नई सूची के लिए फिर से सर्वे कराना होगा।
सामाजिक कल्याण की योजनाएं शुरू होकर अचानक खत्म नहीं होतीं
बीपीएल सूची के आधार पर सामाजिक कल्याण की योजनाएं बनकर तैयार होती हैं और इनमें से अधिसंख्य योजनाएं अभी चल भी रही हैं। अब बीपीएल सूची में सुधार होने की संभावना नहीं के बराबर मात्र है।
कोई भी योजना अचानक ही रोकी नहीं जा सकती और समाप्त भी नहीं हो सकती। कल्याणकारी योजनाएं एक वर्ग और समय विशेष के लिए लागू की जाती हैं और आम तौर पर परिणाम आने के बाद ही कोई बदलाव होता है।
अचानक से बीपीएल सूची से आप किसी का नाम नहीं काट सकते हैं। ऐसे भी नाम कटने का आधार बीपीएल सर्वे ही होना चाहिए। अगर कोई कुछ अच्छा खाने लग गया है अथवा आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ तो आप नाम नहीं काट सकते हैं। -प्रो.हरीश्वर दयाल, अर्थशास्त्री, रांची विश्वविद्यालय।
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