रेल परियोजना, मेडिकल कॉलेज और हवाई सेवा अधर में लटकी। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, राउरकेला। औद्योगिक नगरी और इस्पात शहर राउरकेला लंबे अरसे से जनसमस्याओं से जूझ रहा है। रेल डिवीजन और तालचेर-बिमलागढ़ रेल परियोजना आज तक पूरी नहीं हो सकी, जबकि इसे क्षेत्र के लिए मील का पत्थर माना जा रहा था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वहीं हॉकी विश्वकप के दौरान बड़े जोर शोर से शुरू की गई विमान सेवा भी अब ठप हो चुकी है। पिछले जुलाई 16 से उड़ानें पूरी तरह बंद हैं और समझौते पर हस्ताक्षर करने वाली एलायंस एयर कंपनी का कोई अता-पता नहीं है। इससे राउरकेला और आसपास के जिलों के लोग उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राउरकेला की जनसभा में मेडिकल कॉलेज की घोषणा की थी, लेकिन वर्षों बाद भी वह सपना अधूरा है। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के नाम पर गरीब मरीज अब भी भटकते हैं। स्थिति यह है कि यहां के एकमात्र सरकारी स्वास्थ्य संस्थान में आज तक मानक के अनुरूप आईसीयू की सुविधा भी लागू नहीं हो सकी है।
हाउसिंग बोर्ड के लगभग 6000 मकान मालिक वर्षों से फ्री होल्ड की आस लगाए बैठे हैं। बार-बार आवाज उठाने के बावजूद सरकारी विभागों की फाइलों से आगे कोई कदम नहीं बढ़ पा रहा। मकान मालिकों को छोटे-छोटे कामों में दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं।prayagraj-jagran-special,Prayagraj News,Prayagraj Latest News,Prayagraj News in Hindi,Prayagraj Samachar,Ravana,Ramlila,Dussehra,Prayagraj,Katra Ramlila Committee,Maharishi Bhardwaj,Ravana Shobha Yatra,king of Lanka,Dussehra Ravana Dahan,Up-Top,uttar-pradesh-top,Prayagraj News,Prayagraj Latest News,Prayagraj News in Hindi,Prayagraj Samachar,प्रयागराज कटरा रामलीला,रावण शोभायात्रा,प्रयागराज रामलीला समाचार,Uttar Pradesh news
स्थानीय लोग सबसे बड़ा सवाल अपने नेताओं पर उठा रहे हैं। एक ओर केंद्र और राज्य में डबल इंजन सरकार है। सुंदरगढ़ से सांसद केंद्रीय मंत्री बने हैं और राउरकेला के नेताओं की दिल्ली तक पहुंच है। दूसरी ओर, राज्य विधानमंडल में उपाध्यक्ष का पद भी इस क्षेत्र के पास है।
इसके बावजूद शहर की प्रमुख मांगों पर चुप्पी क्यों है? जनता का सवाल है क्या यह नेताओं की उपेक्षा है या फिर उनकी नीरवता जिसने सुंदरगढ़ की जनता को हाशिए पर धकेल दिया है? उधर, विश्वकप के वक्त शुरू हुई हवाई सेवा बंद होने से जनता में भारी निराशा है। रेल परियोजना और मेडिकल कॉलेज जैसे मुद्दे भी अब ठहर गए हैं।
अधिकारों और विकास से वंचित जनता अब अपने नेताओं से उम्मीद कर रही है कि वे नीरवता तोड़ें और शीर्ष नेतृत्व के सामने इन मुद्दों को मजबूती से रखें।औद्योगिक और खेल नगरी राउरकेला, जिसने देश को इस्पात और विश्वस्तरीय हॉकी खिलाड़ी दिए, अब आधारभूत सुविधाओं के लिए भी संघर्षरत है। जनता का साफ कहना है कि विकास के वादे अब कागजों पर नहीं, बल्कि धरातल पर दिखने चाहिए।
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