PUBG : पबजी पर बैन... फ्री-फायर कापी है ना, मतांतरण से लेकर अब ठगी तक भी

cy520520 2025-11-7 19:37:03 views 1109
  

पबजी गेम प्रतिबंध होने के बाद इसकी कापी फ्री-फायर के रूप में हुई और फिर से गेम शुरू हो गया। (प्रतीकात्मक फोटो)



जागरण संवाददाता, शामली। पबजी गेम प्रतिबंध होने के बाद इसकी कापी फ्री-फायर के रूप में हुई और फिर से गेम शुरू हो गया। हालांकि बाद में पबजी गेम भी एपीके फाइल से शुरू हो गया। पबजी, फ्री-फायर गेम के सहारे मतांतरण, ठगी का भी खेल बड़े स्तर पर चल रहा है। दो साल पहले एक मुस्लिम युवती ने फ्री-फायर गेम खेलने के दौरान थानाभवन क्षेत्र निवासी युवक और उसके परिवार का मतांतरण करा दिया था, जबकि जिले में पांच से अधिक लोगों से हजारों रुपये की ठगी भी हो चुकी है। ऐसे में लोगों को जागरूक रहने की जरूरत है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें


भारत में पबजी गेम आठ साल से अधिक समय से चल रहा है। बीच में भारत सरकार ने दो साल के लिए पबजी को बंद करा दिया था। तब फ्री-फायर गेम शुरू हुआ था। कोविड काल के दौरान आनलाइन पढ़ाई का संचालन शुरू हुआ, तब से ही अधिकतर छात्र-छात्राओं के पास मोबाइल हैं। इसका सबसे बड़ा नुकसान उनको गेम की लत लगना है, जो ना बच्चों को पढ़ने देती है, और न ही परिवार के बीच बैठने। अब पूरे दिन युवा वर्ग मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं। ज्यादातर इस्तेमाल रात के समय किया जा रहा है, जिससे आसानी से साथ खेलने वाले बंदों से बातचीत हो सके और घर में किसी को शक भी न हो।  

2023 में गेम से किया था मतांतरण : थानाभवन क्षेत्र के गांव मादलपुर निवासी सूरज को एक मुस्लिम युवती ने माही नाम रखकर फ्री-फायर गेम पर फंसा लिया था। शादी करने की बात कहते हुए उसे मुस्लिम धर्म अपनाने की बात भी कही गई थी। बाद में महिला को गिरफ्तार कर लिया था।  

ऐसे होते हैं ठगी के शिकार : जिस मोबाइल फोन में गेम खेल रहे हैं, यदि उससे बैंक खाता भी लिंकअप होता है तो बैंक खाते से धनराशि कट हो जाती है। मालूम जब होता है, तब पैसे कटने का मैसेज आता है। साथ खेलने वाले लोग ड्रेस, गाड़ी, गन आदि खरीदने का लालच देकर ठगी का शिकार बनाते है। ऐसे होते हैं मतांतरण का शिकार : फ्री-फायर के एक गेम खेलने के लिए 15 मिनट का समय मिलता है, और विभिन्न देशों से इसको एक साथ 100 लोग खेल सकते हैं। मतांतरण कराने वाली लड़कियां होती हैं, वह किसी एक या दो बंदों से बातचीत शुरू कर देती हैं और गेम खेलने का लालच देकर स्नैप चैट आइडी ले लेती हैं और झूठे प्रेम जाल में फंसा लेती है। फिर मतांतरण करा देती है।

अभिभावक बनकर नहीं, बल्कि दोस्त जैसा व्यवहार रखें
बदलती जीवनशैली, इंटरनेट मीडिया का बढ़ता प्रयोग युवाओं को गलत दिशा में ले जा रहा है। अभिभावकों को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। बच्चों के साथ अभिभावक बनकर नहीं, बल्कि दोस्त जैसा व्यवहार रखें। इससे बच्चे प्रत्येक बात आपसे साझा कर सकें। बच्चों के मोबाइल फोन चलाने की समय सीमा भी अभिभावकों को तय करनी चाहिए। अरुनिमा मिश्रा, मनोवैज्ञानिक शामली

ठगी से बचने के लिए यह बरतनी होगी सावधानी
-बच्चों को स्मार्ट फोन दें तो ध्यान रखें उक्त फोन में कोई बैंक अकाउंट लिंक न हो।
-बच्चे कौन सा गेम खेलते हैं, उसपर विशेष ध्यान रखें और चेक करते रहें।  

-अगर बैंक अकाउंट से लिंक फोन देने की मजबूरी हो तो बैंक लिंक को लाग आउट कर दें।
-किसी भी व्यक्ति पर आनलाइन गेमिंग में विश्वास न करें और न किसी के संपर्क में जाएं।
-यदि कोई मतांतरण जैसी बातें करें तो ऐसे व्यक्ति की सूचना तुरंत पुलिस को दें।
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