deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

संसाधन हैं न खुफिया तंत्र, गाजियाबाद में ड्रग माफिया का नेटवर्क कैसे तोड़ेंगे दो औषधि निरीक्षक

Chikheang 2025-11-5 13:07:43 views 776

  



जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। जिले में बड़ी संख्या में कफ सीरप की खेप पकड़े जाने के बाद एक बार फिर यह साबित हो गया कि ड्रग माफिया की जड़ें गहरी हैं। जिले में तैनात दो औषधि निरीक्षक ड्रग माफिया के नेटवर्क को तोड़ने में नाकाम साबित हो रहे हैं। इसकी वजह भी साफ है कि औषधि निरीक्षकों के पास न तो पर्याप्त संसाधन हैं न ही खुफिया तंत्र है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यही वजह है कि गलत तरीके से दवाओं की जिले से सप्लाई का भंडाफोड़ जिले या फिर दूसरे राज्यों की पुलिस द्वारा किया जाता है। गोदाम बनाकर यहां से ज्यादातर नशे के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं की आपूर्ति दूसरे राज्यों में की जाती है।

जिले में पांच हजार से अधिक मेडिकल स्टोर हैं। दवाओं की थोक बिक्री मुख्य तौर पर नई बस्ती स्थित दवा मार्केट से की जाती है। इसके अलावा नामी दवा कंपनियों के डिस्ट्रीब्यूटर भी मोहन नगर, मेरठ रोड औद्योगिक क्षेत्र सहित अन्य स्थानों पर हैं। जिले में 500 से अधिक होल सेलर हैं। दिल्ली के करीब होने और देश

भर में ट्रांसपोर्टेशन की बेहतर सुविधा होने के कारण ड्रग माफिया गलत तरीके से दवाओं की सप्लाई के लिए गाजियाबाद को हब बनाते हैं, इसके लिए ऐसे स्थानों पर अपना अड्डा बनाते हैं, जहां पर औषधि निरीक्षक चेकिंग के लिए नहीं जाते हैं।

जब भी प्रदेश स्तर से दवाओं की चेकिंग का अभियान का निर्देश प्राप्त होता है तो लाइसेंस लेकर दवाओं की बिक्री करने वाले दुकानदारों के यहां चेकिंग की जाती है। अवैध रूप से दवाओं की बिक्री और सप्लाई करने वालों तक औषधि निरीक्षकों के हाथ नहीं पहुंच पाते हैं। जिले में तैनात दो औषधि निरीक्षकों पर काम का भार भी अधिक है, दुकानों की चेकिंग के साथ ही लाइसेंस जारी करने का कार्य भी उनके द्वारा किया जाता है।

दवाओं के सैंपल लेने के साथ ही उनको जांच के लिए भेजने और मुकदमा दर्ज कराने के लिए उनको ही दौड़भाग करनी होती है। ऐसे में ड्रग माफिया उनके चंगुल में आने से बच जाते हैं। व्यापारियों का कहना है कि जिले में ड्रग माफिया के नेटवर्क को तोड़ने के लिए संसाधन बढ़ाए जाने चाहिए, खुफिया तंत्र को भी विकसित करना चाहिए। इस मामले में ड्रग इंस्पेक्टर आशुतोष मिश्रा से फोन पर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया लेकिन जिले से बाहर होने के कारण उनसे संपर्क नहीं हो सका।
आंकड़े

  • जिले में पांच हजार से अधिक मेडिकल स्टोर हैं
  • जिले में रोजाना 50 करोड़ रुपये से अधिक दवाओं का कारोबार होता है।
  • जिले में दो औषधि निरीक्षक की ही तैनाती है।
  • जिले में 500 से अधिक दवाओं की थोक विक्रेता हैं।








जिले में गलत तरीके से दवाओं की बिक्री का मामला सामने आने पर वैध तरीके से दवा बेचने वालों की छवि पर भी बुरा असर पड़ता है। लोग शक की नजर से देखते हैं। इसका बड़ा नुकसान छोटे दुकानदारों को उठाना पड़ता है। दवाओं की गलत तरीके से बिक्री, ट्रांसर्पोटेशन और नकली दवाओं की बिक्री को रोकने के लिए औषधि निरीक्षकों की संख्या बढ़ानी चाहिए। लोगों से भी अपील है कि वह वैध दुकानों से ही दवाएं खरीदें।


-

राजदेव त्यागी, अध्यक्ष, गाजियाबाद केमिस्ट एसोसिएशन
like (0)
ChikheangForum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

Chikheang

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

710K

Credits

Forum Veteran

Credits
72970