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H-1B वीजा ने कैसे बदली अमेरिकी की किस्मत? मस्क, नडेला और पिचाई से भी है कनेक्शन_deltin51

LHC0088 2025-9-27 22:06:34 views 845

  H-1B वीजा ने अमेरिका को बनाया टेक सुपर जायंट।





डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका ने H-1B वीजा (H-1B Visa) को लेकर बेशक अब नियम सख्त कर दिए हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अमेरिका ने इसी वीजा की बदौलत तकनीकी के क्षेत्र में महारथ हासिल की है। एलन मस्क से लेकर सुंदर पिचाई और सत्या नडेला जैसे टॉप टेक कंपनियों के सीईओ ने इसी वीजा की मदद से अमेरिका में एंट्री की थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

कई भारतीयों के लिए H-1B वीजा “अमेरिकन ड्रीम“ को सच करने का माध्यम माना जाता था। पहले H-1B वीजा की फीस 2000-3000 (डेढ़ से ढाई लाख रुपये) डॉलर थी। मगर, 21 सितंबर से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा की फीस बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर (लगभग 90 लाख रुपये) कर दी है। इस घोषणा के बाद से ही H-1B वीजा विवादों में है।



  

एलन मस्क, सत्या नडेला और सुंदर पुचाई। फाइल फोटो
एलन मस्क

अमेरिका के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में शुमार एलन मस्क दुनिया के पहले खरबपति हैं। स्पेस एक्स, टेस्ला, न्यूरालिंक और एक्स कॉर्प जैसे दिग्गज टेक कंपनियां एलन मस्क की ही हैं। एलन मस्क पहले जे-1 वीजा पर अमेरिका पहुंचे थे। बाद में उन्होंने पढ़ाई पूरी करने और बिजनेस शुरू करने के लिए H-1B वीजा लिया था।



एलन मस्क ने पिछले साल H-1B वीजा पर बात करते हुए पोस्ट शेयर की थी, जिसमें लिखा था-agra-city-common-man-issues,Agra News,Agra Latest News,Agra News in Hindi,Agra Samachar,college ,Agra News,Agra Latest News,Agra News in Hindi,Agra Samachar,college seats filled,Agra college projects,foreign language institute,Acharya Chanakya exam hall,college infrastructure development,Ganga Jal pipeline Agra,Uttar Pradesh news   


मैं अमेरिका में लंबे समय से हूं। टेस्ला, स्पेस एक्स जैसी हजारों कंपनियों ने मिलकर अमेरिका को मजबूत बनाया है और सिर्फ H-1B वीजा की वजह से।

सत्या नडेला

माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला भी 1990 के दशक में H-1B वीजा के तहत ही अमेरिका आए थे। एक टीवी शो के दौरना H-1B वीजा पर बात करते हुए सत्या नडेला ने कहा, “सभी देशों को अपनी इमीग्रेशन पॉलिसी पर काम करना चाहिए। खासकर यहां बात अमेरिकी प्रतियोगिता की है। जब हम H-1B वीजा की बात करते हैं, तो माइक्रोसॉफ्ट सिर्फ बेहतर स्किल्स वाले लोगों को ही नौकरी देता है।“


सुंदर पिचाई

गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई भी H-1B वीजा पर पढ़ाई करने के लिए अमेरिका गए थे। 23 जून 2020 को जब ट्रंप ने वीजा रद करने की बात कही थी, तब सुंदर पिचाई ने पोस्ट शेयर करते हुए कहा था, “इमीग्रेशन ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को सफल बनाने में अहम योगदान दिया है। अमेरिकी टेक कंपनियों को वैश्विक ऊंचाई यों पर पहुंचाया है। गूगल आज जो कुछ भी है, इसी वजह से है।“

बता दें कि अमेरिका के कुल H-1B वीजा में से 71 प्रतिशत सिर्फ भारतीयों को मिलता है। ऐसे में वीजा की फीस बढ़ाने का सबसे ज्यादा असर भारत पर ही देखने को मिल सकता है।



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