प्रदेश के कारीगरों व हस्तशिल्प उत्पादकों को बड़ा बाजार मिला
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : उत्तर प्रदेश माटीकला बोर्ड के वित्तीय वर्ष 2025-26 में आयोजित माटीकला मेलों से प्रदेश के कारीगरों व हस्तशिल्प उत्पादकों को बड़ा बाजार मिला है। इस अवधि में बोर्ड ने दस दिवसीय माटीकला महोत्सव, सात दिवसीय क्षेत्रीय माटीकला मेला और तीन दिवसीय लघु माटीकला मेलों को आयोजन किया। सभी मेलों में 691 दुकानें लगाई गईं और इस दौरान 4,20,46,322 रुपये के उत्पादों की बिक्री हुई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सबसे ज्यादा फोकस परंपरागत शिल्पों व उद्योगों में कार्यरत कारीगरों की उन्नति पर है। प्रदेश समेत देश-विदेश में उनके उत्पादों को वृहद स्तर पर खरीदार मिलें, इसके लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं और माटीकला बोर्ड इसमें महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। माटीकला मेलों से यह बिक्री पिछले वित्तीय वर्ष में 3,29,28,410 रुपये की तुलना में 91,17,912 अधिक है। इससे पता चलता है कि बिक्री में 27.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
योगी आदित्यनाथ सरकार के समग्र समर्थन और बोर्ड के लक्षित प्रयासों के परिणामस्वरूप कारीगरों को सीधे उपभोक्ताओं से जुड़ने का अवसर मिला है। मेलों में आए खरीदारों ने स्थानीय शिल्प व पारंपरिक उत्पादों को उत्साहपूर्वक अपनाया, जिससे कारीगरों की आय में वृद्धि हुई है तथा माटीकला उत्पादों की ब्रांड वैल्यू मजबूत हुई है। आगामी वर्षों में मेलों के दायरे का विस्तार कर और अधिक जिलों में इस तरह के आयोजन किए जाएंगे, ताकि प्रदेश के माटीकला उत्पाद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जुड़ सकें।
70 जनपदों में बड़े स्तर पर हुई खरीदारी
लखनऊ के खादी भवन में 10 से 19 अक्टूबर 2025 तक आयोजित दस दिवसीय माटीकला महोत्सव में 56 दुकानों से 1,22,41,700 रुपये के उत्पाद की बिक्री हुई। गोरखपुर, आगरा, कानपुर देहात व मुरादाबाद में 13 से 19 अक्टूबर तक आयोजित सात दिवसीय क्षेत्रीय मेलों में 126 दुकानों से 78,84,410 रुपयों की बिक्री की गई। 70 जनपदों में 17 से 19 अक्टूबर तक आयोजित तीन दिवसीय लघु माटीकला मेलों में 509 दुकानों के माध्यम से 2,19,20,212 रुपये के उत्पादों की बिक्री की गई।
सहयोग व उत्पादों की गुणवत्ता बनी सकारात्मक परिणाम की कुंजी
वित्तीय वर्ष 2024-25 में आयोजित मेलों में 878 दुकानों से 3,29,28,410 रुपये के सामान की बिक्री हुई थी। इस वर्ष कुल दुकानों की संख्या कम रही, फिर भी विक्रय में वृद्धि यह दर्शाती है कि उत्पादों की गुणवत्ता, प्रदर्शनी की व्यवस्था और विपणन सहयोग अधिक प्रभावशाली रहा। यह भी स्पष्ट हुआ है कि माटीकला उत्पादों के प्रति आमजन में जागरूकता और आकर्षण निरंतर बढ़ रहा है। माटीकला बोर्ड का लक्ष्य है कि निरंतर मेलों, उन्नत प्रदर्शनी प्रबंधन, प्रशिक्षण, डिजाइन विकास व ब्रांडिंग गतिविधियों के माध्यम से कारीगरों को दीर्घकालिक आर्थिक सशक्तिकरण प्रदान किया जाए। आने वाले सत्रों में अधिक उपभोक्ता आधारित कार्यक्रमों के आयोजन से कारीगरों की उत्पादकता, विपणन दक्षता तथा आय वृद्धि सुनिश्चित की जाएगी।
योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रयासों से संरक्षित हो रही परंपरागत कला
परंपरागत कारीगरों और शिल्पियों की कला को संरक्षित व संवर्धित करने, उनकी सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक सुदृढ़ता, तकनीकी विकास और विपणन सुविधा बढ़ाने तथा नवाचार के माध्यम से रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश माटीकला बोर्ड का गठन किया है। इस पहल के माध्यम से न केवल पारंपरिक माटीकला को नई पहचान मिली है, बल्कि हजारों परिवारों को आत्मनिर्भरता का नया आधार भी प्राप्त हुआ है।
योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रजापति समुदाय के उन सभी लोगों के लिए, जो माटीकला उद्योग से जुड़े हैं, एक महत्वपूर्ण सुविधा प्रदान की है कि गांव के तालाबों से मिट्टी निकालने की व्यवस्था निःशुल्क कर दी गई है। इससे कारीगरों को उत्पादन की मूल सामग्री सुलभ हुई है और उनकी लागत में उल्लेखनीय कमी आई है। ये कदम दर्शाते हैं कि योगी सरकार परंपरागत शिल्प को केवल संरक्षित ही नहीं कर रही, बल्कि उसे आधुनिक विपणन, प्रशिक्षण और नवाचार के माध्यम से वैश्विक मंच तक पहुंचाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। |