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राष्ट्रीय मिर्गी जागरूकता माह : इलाज आसान, पर समाज में अब भी जागरूकता के अभाव में मुश्किलें भारी

LHC0088 4 day(s) ago views 813

  


जागरण संवाददाता, जमशेदपुर । मिर्गी… एक ऐसी बीमारी, जो पूरी तरह से इलाजयोग्य है, लेकिन आज भी अंधविश्वास और जानकारी की कमी के कारण लाखों लोग इससे जूझ रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में तो स्थिति और भी चिंताजनक है, जहां लोग मिर्गी को देवी-प्रकोप या भूत-प्रेत का असर मानकर झाड़-फूंक में वक्त और पैसा दोनों गंवा देते हैं। राष्ट्रीय मिर्गी जागरूकता माह के अवसर पर यह जरूरी है कि समाज में इस बीमारी को लेकर फैली भ्रांतियों को तोड़ा जाए और लोगों को यह बताया जाए कि मिर्गी का इलाज न केवल संभव है, बल्कि सुलभ भी है।


अंधविश्वास ने छीनी जिंदगियां :
घाटशिला निवासी रमन महतो (40) का शरीर अक्सर अकड़ जाता था। परिवार ने इसे देवी-प्रकोप समझा और महीनों तक ओझा-गुनी के पास झाड़-फूंक कराते रहे। हालत बिगड़ने पर जब डॉक्टर से जांच कराई गई, तब पता चला कि वे मिर्गी से पीड़ित हैं। इसी तरह पटमदा निवासी रोहन सिंह को बार-बार दौरे पड़ते थे। झोला-छाप डॉक्टरों के इलाज से कोई सुधार नहीं हुआ। बाद में जब उन्हें न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाया गया, तो मिर्गी की पुष्टि हुई।

विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें भारत में दो करोड़ से अधिक लोग हैं मिर्गी से पीड़ित : ऐसे उदाहरण ग्रामीण इलाकों में सैकड़ों हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भारत में लगभग दो करोड़ से अधिक लोग मिर्गी से पीड़ित हैं, जिनमें से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं। कोल्हान प्रमंडल में लगभग 30 हजार मिर्गी मरीज हैं, लेकिन केवल 30 प्रतिशत ही चिकित्सकीय इलाज करा रहे हैं। बाकी अब भी अंधविश्वास और शर्म के कारण सही उपचार से दूर हैं।

एमजीएम में संसाधनों की कमी, पर उम्मीद कायम :
महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कालेज अस्पताल, जमशेदपुर में लंबे समय बाद डा. रोहित आनंद के रूप में एक न्यूरो फिजिशियन की नियुक्ति हुई है। यह क्षेत्र के न्यूरोलाजिकल मरीजों के लिए बड़ी राहत है। हालांकि, अस्पताल में अब भी ईईजी और एमआरआई जैसी जरूरी जांच सुविधाएं नहीं हैं।   सुविधा के अभाव में गरीबों को होती है परेशानी : विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ये सुविधाएं जल्द उपलब्ध कराई जाएं और एंटी-सीजर दवाएं नियमित रूप से अस्पताल में मिलें, तो गरीब मरीजों को निजी लैब या फार्मेसी का खर्च नहीं उठाना पड़ेगा।

मिर्गी का इलाज पूरी तरह संभव :
डॉक्टरों के अनुसार, 70% मिर्गी मरीज दवा से और 30% सर्जरी से पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। अगर मरीज तीन से पांच साल तक नियमित रूप से दवा ले, तो बीमारी पूरी तरह नियंत्रित हो जाती है।
समस्या तब बढ़ती है जब लोग बीच में दवा छोड़ देते हैं या घरेलू नुस्खों पर भरोसा कर लेते हैं, जिससे बीमारी दोबारा उभर आती है।

मिर्गी को समझें, अंधविश्वास नहीं :
मिर्गी कोई छूत की बीमारी नहीं है, बल्कि यह मस्तिष्क की असामान्य विद्युत गतिविधि के कारण होती है। दौरे के दौरान व्यक्ति गिर सकता है, शरीर में झटके आते हैं, मुंह से झाग निकल सकता है या जीभ कट सकती है।

जांच और इलाज के अहम कदम :
डॉक्टर मरीज की पूरी कहानी सुनने के बाद ईईजी, एमआरआई और रक्त जांच जैसे टेस्ट कराते हैं। इलाज में एंटी-सीजर दवाओं, नियमित नींद, तनाव नियंत्रण और संतुलित दिनचर्या की अहम भूमिका होती है। गंभीर मामलों में सर्जरी या वेगल नर्व स्टिमुलेशन की आवश्यकता पड़ती है।

डाक्टर की सलाह
अगर किसी को मिर्गी का दौरा पड़े तो सबसे पहले उसका कपड़ा ढीला करें। मरीज को पकड़ें नहीं, मुंह में कुछ न डालें और करवट पर लिटा दें। दौरा पांच मिनट से ज्यादा चले या बार-बार आए तो तुरंत अस्पताल ले जाएं। - डा. रोहित आनंद, न्यूरो फिजिशियन, एमजीएम     सामान्य लक्षण:

- शरीर में झटके या अकड़न

- अचानक होश खो देना

- आंखें ऊपर चढ़ जाना

- मुंह से झाग आना

- दौरे के बाद भ्रम या गहरी नींद जैसी स्थिति



संभावित कारण:

- सिर की चोट, स्ट्रोक, ब्रेन ट्यूमर या संक्रमण

- ब्लड शुगर, सोडियम या कैल्शियम की कमी

- शराब छोड़ना या नशा बंद करना

- बच्चों में तेज बुखार
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