वायु सेना के अनुसार फाइटर जेट मिग-21 का रखरखाव हमेशा होेेता रहेगा।
बलवान करिवाल, चंडीगढ़। सैनिक कभी सेवानिवृत नहीं होता। ठीक उसी तरह भारतीय वायु सेना की रीढ़ रहे मिग-21 विदाई के बाद भी सीमाओं की सुरक्षा के लिए हमेशा डटे रहेंगे। सेना से जुड़े अधिकारी ने बताया कि आपात स्थिति में एंटी ड्रोन के तौर पर भी मिग-21 से काम लिया जाएगा। मिग-21 केवल म्यूजियम की शोभा नहीं बढ़ाएंगे, बल्कि किसी भी तरह के युद्ध में उतारने के लिए इन्हें हमेशा एक्टिव रखा जाएगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वायु सेना के अनुसार इन फाइटर जेट का रखरखाव हमेशा होेेता रहेगा। इन्हें हमेशा तैयार रखा जाएगा। आपात स्थिति में उड़ान भरने के लिए यह फिर से तैयार रहेंगे। वर्तमान के लाइटवेट फाइटर जेट से कमतर नहीं रहेंगे।
कभी सोचा भी नहीं था कि यह रिटायर होगा : त्योगी
अपने अधिकांश उड़ान घंटे इसी विमान से पूरा करने वाले रिटायर्ड एयर कमोडोर एसएस त्यागी ने मिग-21 की विदाई पर कहा कि यह संयोग है या बहुत अच्छे से योजना बनाई गई है कि जिस जगह पर मिग-21 को पहली बार वायु सेना में शामिल किया गया था, वहीं से इसे विदाई दी जा रही है। त्यागी ने भावुक मन से कहा कि कभी सोचा भी नहीं था कि यह रिटायर होगा, बुरा लग रहा है। मेरी इच्छा है कि यह और 50 साल तक रहता।varanasi-city-state,Varanasi News,Varanasi Latest News,Varanasi News in Hindi,Varanasi Samachar,Varanasi News,Varanasi Latest News,Varanasi News in Hindi,Sarnath UNESCO,World Heritage Site 2025-26,Archaeological Survey India,Sarnath Tourism,Uttar Pradesh Heritage Sites,Indian cultural heritage,Varanasi Samachar, Varanasi top News, Varanasi latest News, वाराणसी में सारनाथ, सारनाथ बनेगा विश्व धरोहर, यूनेस्को टीम का दौरा, ,Uttar Pradesh news
त्यागी ने कहा कि अगर हिंदूस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने मिग-21 बनाने का निर्णय लिया होता तो यह रिटायर्ड नहीं होता। एफ-16 की तरह वह भी 70 का बना हुआ है। आज का एफ-16 बिल्कुल अलग है। जैसे मर्सीडीज 1888 में भी थी आज भी है लेकिन आज की एकदम अलग है। हमने वह नहीं किया किसी भी कारण से जो भी होगा मैं उस पर कुछ नहीं कहना चाहता।
पहाड़ों के पार जाकर कभी भी हमला कर सकते थे
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए त्यागी ने कहा- मेरे संदर्भ में मिग-21 एक अच्छा विमान है, पाकिस्तान के लिए बेहद प्रभावी विमान है, जिसकी गहराई सिर्फ 300 किलोमीटर है... चीन के लिए... हम उनके मुख्य भूभाग तक नहीं जा सकते थे लेकिन पहाड़ों के पार जाकर कभी भी उन पर हमला कर सकते थे।
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