अस्पतालों में स्ट्रेचर कम, थोप रहे मनमाने नियम
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाओं को लगातार बेहतर करने का दावा किया जा रहा है। काम हो भी रहे हैं। पर कई अस्पतालों की इमरजेंसी स्ट्रेचर और व्हीलचेयर की कमी से जूझ रहे हैं। इसके चलते अलग-अलग अस्पतालों में मरीजों को स्ट्रेचर जारी करने के लिए नियम भी अलग-अलग बना रखे हैं। कहीं आधार कार्ड जमा कराया जा रहा तो कहीं इमरजेंसी के चिकित्सक टोकन जारी करते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वहीं, कुछ मीडिया रिपोर्ट की मानें तो हाल ही में दिल्ली के एक प्रमुख अस्पताल में बच्चे के लिए स्ट्रेचर जारी करने के लिए महिला का मोबाइल तक जमा करा लिया था। बात बढ़ने पर अस्पताल की ओर से मामले की जांच कराने की बात कही गई।
राजधानी दिल्ली के सबसे पुराने अस्पतालों में से एक है लोक नायक (एलएन) अस्पताल। ओपीडी में नए-पुराने मिलाकर एक साल में लगभग 16 लाख मरीज पहुंचते हैं। वहीं इमरजेंसी में यह आंकड़ा सवा दो लाख है। औसतन हर रोज 600 से अधिक मरीज आपात स्थिति में पहुंच रहे हैं। इसके बाद भी मरीजों के लिए केवल 25 स्ट्रेचर नाकाफी साबित हो रही है। एंबुलेंस से मरीज को निकालकर वार्ड तक ले जाने के लिए कई बार स्ट्रेचर नहीं मिल पाते।
बृहस्पतिवार को दोपहर बाद शाहदरा निवासी इमरान को गंभीर स्थिति में लेकर पत्नी व रिश्तेदार आटो से पहुंचे। उन्हें खून की कमी थी। एक तरफ पत्नी व रिश्तेदार स्ट्रेचर खोजने के लिए वार्ड से लेकर लाबी तक का चक्कर काट रहे थे तो वहीं बाहर इमरान आटो में बेसुध पड़े अपनी एक-एक सांस गिन रहे थे। हालांकि करीब आधे घंटे बाद उन्हें स्ट्रेचर मिला और इमरान को स्वजन इमरजेंसी वार्ड में ले जा सके। हालांकि, मरीज को त्वरित स्ट्रेचर मिले, इसके लिए अस्पताल प्रबंधन ने नियम में बदलाव भी किए। पहले जहां तीमारदार के आधार कार्ड जमा होते थे और वापस करने पर आधार कार्ड लौटा दिया जाता था।lucknow-city-general,Lucknow News,Lucknow Latest News,Lucknow News in Hindi,Lucknow Samachar,Lucknow News,Lucknow Latest News,Lucknow News in Hindi,Lucknow Crime News,Lucknow Stalker Arrest,Acid Attack Threat Lucknow,Gang Rape Threat Lucknow,Janakipuram News,Eve Teasing Lucknow,Lucknow Samachar,Uttar Pradesh news
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वहीं अब इमरजेंसी वार्ड में तैनात डाक्टर इसके लिए मरीज की समरी रिपोर्ट देखकर टोकन देते हैं। नाम व मोबाइल नंबर दर्ज कराकर और टोकन जमा कर मरीज के लिए स्ट्रेचर आसानी से मिल रहे हैं। अस्पताल निदेशक डा. बीएल चौधरी अस्पताल में पर्याप्त स्ट्रेचर होने की बात कहते हैं। उनके मुताबिक ज्यादा मरीजों के आने पर ऐसी स्थिति बन सकती है। जब तक मरीज की जांच न हो जाए और वह वार्ड में भर्ती न हो जाए, स्ट्रेचर पर ही रहता है। इसमें लगभग चार से पांच घंटे भी लग सकते हैं। आरएमएल अस्पताल की इमरजेंसी के गेट पर ही स्ट्रेचर संख्या में हैं। पर्चा बनते ही गेट पर ही मरीज को गार्ड स्ट्रेचर जारी कर देते हैं।
एम्स में स्ट्रेचर जारी करने की ये है व्यवस्था
गेट के पास ही स्क्रीनिंग प्वाइंट बना है। यहां 24 घंटे डाक्टर तैनात रहते हैं। इमरजेंसी में आने वाले मरीज की समरी रिपोर्ट देखकर और स्क्रीनिंग कर पर्ची बना देते हैं। इमरजेंसी वार्ड के पास इसी पर्ची के आधार पर गार्ड स्ट्रेचर दिलाते हैं। दूसरे वार्ड में जब मरीज को शिफ्ट किया जाता है, तो वहां के गार्ड ही स्ट्रेचर को गेट के पास वापस ले आते हैं। इस व्यवस्था से मरीज के स्वजन को स्ट्रेचर को लेकर अनावश्यक रूप से परेशान नहीं होना पड़ता। |