न्याय प्रशासन की दक्षता में सुधार के लिए खोजा जाएगा समाधान (फाइल फोटो)  
 
  
 
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि पांच जजों की संविधान पीठ न्यायिक अधिकारियों के करियर में ठहराव के मुद्दे पर 28 अक्टूबर से सुनवाई करेगी। यह सुनवाई चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता में होगी, और इसका उद्देश्य न्याय प्रशासन की दक्षता में सुधार के लिए इस मामले पर एक स्थायी समाधान खोजना है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
संविधान पीठ 28-29 अक्टूबर को इस मुद्दे पर भी सुनवाई करेगी कि क्या जिला जजों के कुछ पद एंट्री-लेवल के न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति के लिए आरक्षित होने चाहिए। इस पीठ में जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस जोयमाल्या बागची भी हैं।  
कई याचिकाओं पर यह आदेश पारित किया  
 
बहरहाल, मंगलवार को इस पीठ ने न्यायिक अधिकारियों के करियर में प्रगति के मुद्दे पर विभिन्न पक्षों के नोडल वकील नियुक्त किए और कहा कि सभी लिखित प्रस्तुतियां 27 अक्टूबर तक दाखिल की जाएं। पांच जजों वाली पीठ ने न्यायिक अधिकारियों की सेवा शर्तों, वेतनमान और करियर में प्रगति से संबंधित मुद्दों पर अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ द्वारा दायर अर्जी सहित कई याचिकाओं पर यह आदेश पारित किया।  
 
पीठ ने कहा कि जो पक्ष इस प्रस्ताव का समर्थन करते हैं कि प्रधान जिला जजों के कैडर में एक निश्चित प्रतिशत सीटें सिविल जज/न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में सेवा में शामिल हुए जजों के लिए आरक्षित होनी चाहिए, वे 28 अक्टूबर को अपनी दलीलें रखेंगे और इस प्रस्ताव का विरोध करने वाले पक्ष 29 अक्टूबर को अपनी दलीलें पेश करेंगे।  
 
न्याय मित्र के रूप में कोर्ट की सहायता कर रहे सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ भटनागर ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों को अधिक पदोन्नति के अवसर दिए जाने के विचार का विरोध करने और समर्थन करने वालों द्वारा कुछ आवेदन दायर किए गए हैं।  
 
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ) |   
                
                                                    
                                                                
        
 
    
                                     
 
 
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