बुर्का उठेगा तो खुलेगा डकैती का राज।
जागरण संवाददाता, (मधुपुर) देवघर। मधुपुर में HDFC बैंक डकैती कांड के बाद पुलिस की चार स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीमें अपराधियों की तलाश में जुटी हैं। इस जांच में सबसे अहम कड़ी बुर्केवाला अपराधी है।
पुलिस का मानना है कि यह अपराधी पूरे घटनाक्रम को लीड कर रहा था और अन्य डकैतों को निर्देश दे रहा था।
इस शख्स ने अपनी पहचान छुपाने के लिए बुर्का पहना हुआ था, जिससे पुलिस को शक है कि इसका लोकल कनेक्शन हो सकता है।
अगर इस बुर्के वाले अपराधी की पहचान उजागर हो जाती है, तो बैंक डकैती का पूरा राज खुल सकता है। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पांच अन्य अपराधियों के चेहरे की पहचान कर ली है, लेकिन बुर्के वाले ने अपनी पहचान छुपाए रखी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
फरार होने के दौरान भी वह बाइक के पीछे बैठा था और उसने बुर्का नहीं हटाया। पुलिस को आशंका है कि डकैती में लोकल और बाहरी दोनों गिरोह शामिल हो सकते हैं।
बाइक और भाषा से जुड़े हैं सुराग
अपराधियों की एक बाइक, जो टिंटहियाबांक के पास खराब हो गई थी, पुलिस के लिए एक महत्वपूर्ण सुराग बन गई है। शुरुआत में बाइक पर लगी नंबर प्लेट फर्जी निकली, लेकिन चेसिस और इंजन नंबर की जांच से पता चला कि इसका कनेक्शन बिहार से है। इसी आधार पर पुलिस की जांच बिहार तक पहुंच गई है।
इसके अलावा पुलिस अपराधियों द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा का भी विश्लेषण कर रही है। डकैती के दौरान वे हिंदी और स्थानीय भाषा का मिश्रण इस्तेमाल कर रहे थे। कुछ की बोली मधुपुर, जामताड़ा या गिरिडीह के निवासियों जैसी थी, जबकि कुछ की हिंदी अलग थी। पुलिस इसको डिकोड कर अपराधियों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
डकैतों ने मात खाई, मिला सीसीटीवी फुटेज
बैंक लूटने के बाद, अपराधी बैंक मैनेजर का लैपटॉप अपने साथ ले गए, उन्हें लगा कि इसी में सीसीटीवी फुटेज का डीवीआर है। अपराधी यहीं पर गलती कर गए। बैंक का फुटेज सीधे सर्वर कंट्रोल रूम से जुड़ा हुआ था, जो पुलिस को आसानी से मिल गया।
इस फुटेज में अपराधियों की सारी करतूत कैद हो गई है, जिससे पुलिस को जांच में बड़ी मदद मिल रही है। इसके साथ ही, पुलिस ने भागने वाले रास्तों पर लगे दुकानों और घरों के सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले हैं।gumla-crime,Gumla encounter,Jharkhand Janmukti Parishad,JJMP militants,Bishunpur police station,Jaalim Jungle,SP Haris Bin Zaman,Brijesh Yadav squad,Gumla police,militant encounter,Jharkhand crime,गुमला मुठभेड़,गुमला पुलिस,उग्रवादी मुठभेड़,झारखंड अपराध,Jharkhand news
हैरान कर देनेवाला सेफ एक्जिट रूट
अपराधियों ने भागने के लिए बहुत ही संकरी गलियों का इस्तेमाल किया, जिनमें से होकर सिर्फ बाइक ही जा सकती है। यह रास्ता रेलवे न्यू कॉलोनी, कमरमंजिल रोड, गांधी नगर होते हुए मेन रोड पर निकलता है। गांधी नगर इलाके की सड़क मुश्किल से 8-10 फीट चौड़ी है और इसमें कई स्पीड ब्रेकर भी हैं।
यह रास्ता अपराधियों के लिए एक सेफ एग्जिट का काम किया। पुलिस को संदेह है कि इस रास्ते की जानकारी उन्हें किसी स्थानीय व्यक्ति ने दी थी, क्योंकि मधुपुर के बहुत से लोगों को भी इस रास्ते का पूरा ज्ञान नहीं है।
यह दिखाता है कि इस घटना को पूरी योजना के साथ अंजाम दिया गया था, जिसमें बैंक तक आने और जाने का प्लान भी शामिल था।
बैंक के बाहर लोगों को भनक तक नहीं
हैरानी की बात यह है कि जब बैंक के अंदर डकैती हो रही थी, बाहर चाय की दुकान पर बैठे लोगों को इसकी बिल्कुल भी भनक नहीं लगी।
यहां तक कि बैंक के नीचे और आसपास के दुकानदारों को भी कुछ पता नहीं चला। उन्हें तब पता चला जब अंदर से खिड़की से लोगों ने चिल्ला कर बताया।
बैंक के गार्डों ने बताया कि अपराधियों ने उन्हें हथियार के बल पर काबू में कर लिया और उनकी जमकर पिटाई की। बैंक मैनेजर ने भी बताया कि अपराधियों ने लोगों के साथ मारपीट की और उन्हें घुटनों के बल बैठा दिया। अपराधियों ने सबसे पहले सभी के मोबाइल छीन लिए थे, जिन्हें बाद में बैंक के बाहर एक प्लास्टिक के थैले में छोड़ दिया गया था।
बैंक सायरन क्यों नहीं बजा
घटना के समय बैंक के दो गार्डों के पास कोई हथियार नहीं था, क्योंकि बैंक ऊपरी मंजिल पर है, जहां हथियार रखना आवश्यक नहीं माना जाता है। लेकिन एक बड़ी चूक यह थी कि डकैती के दौरान या बाद में बैंक का सायरन नहीं बजाया गया। बैंक कर्मचारियों का कहना है कि अपराधियों ने उन्हें सायरन बजाने का मौका नहीं दिया।
पुलिस को खुली चुनौती
अगर अपराधियों के जाने के तुरंत बाद सायरन बज गया होता, तो शायद पुलिस कुछ पहले पहुंच जाती। ऐसी घटनाओं में कुछ पल ही निर्णायक होते हैं। अब यह भी जांच का विषय है कि बैंक का सायरन काम कर रहा था या नहीं।
इस घटना ने पुलिस को खुली चुनौती दी है। अब सबकी नजर इस बात पर है कि पुलिस इस पहेलीनुमा बुर्के वाले डकैत का राजफाश कब तक करती है। |