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UCC ने छीन लिए नागरिकों के अधिकार? नैनीताल हाई कोर्ट में दायर याचिकाओं पर 15 अक्टूबर को सुनवाई

LHC0088 2025-9-25 17:58:08 views 1066

  यूसीसी कानून के विरुद्ध याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 15 अक्टूबर की तिथि तय।





जागरण संवाददाता, नैनीताल। हाई कोर्ट ने उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता कानून को चुनौती देती याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई को 15 अक्टूबर की तिथि नियत की है। मामले की सुनवाई के दौरान भारत सरकार के सालिसिटर जनरल तुषार मेहता के साथ ही याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता कीर्ति सिंह व अन्य के अनुरोध पर 15 अक्टूबर की तिथि नियत की गई है।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



यूसीसी मामले में पूर्व में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। सरकार की ओर से जवाब दाखिल किया जा चुका है। यूसीसी के विरुद्ध खासकर मुस्लिम समुदाय व लिव इन रिलेशन में रहने वाले लोगों की ओर से याचिका दायर की गई हैं।  

लिव इन रिलेशन में रहने वालों का कहना है कि जो फार्म रजिस्ट्रेशन के लिए भरवाया जा रहा है, उसमें निजी जानकारी मांगी गई है। अगर इस तरह की जानकारी फार्म में भरते हैं, तो उनको जानमाल का खतरा हो सकता है। chandigarh-state,haryana,haryana family id,family id haryana,haryana,parivar pehchan patra,land records haryana,tax data haryana,artificial intelligence haryana,bpl families haryana,government schemes haryana,digital governance haryana,Punjab news



भीमताल निवासी सुरेश नेगी ने जनहित याचिका दायर कर यूसीसी प्रविधानों को चुनौती दी है। देहरादून के अलमसुद्दीन सिद्दीकी ने याचिका दायर कर यूसीसी 2025 को चुनौती देते हुए कहा है कि इस कानून में अल्पसंख्यकों के रीति-रिवाजों को अनदेखा किया गया है।  

याचिकाओं में यह भी कहा गया है कि सामान्य शादी के लिए लड़के की उम्र 21 व लड़की की 18 वर्ष होनी आवश्यक है जबकि लिव इन रिलेशनशिप में दोनों की उम्र 18 वर्ष निर्धारित की गई है, अगर कोई व्यक्ति लिव इन रिलेशनशिप से छुटकारा पाना चाहता है तो वह एक साधारण प्रार्थना पत्र रजिस्ट्रार को देकर अपने पार्टनर को छोड़ सकता है या उससे छुटकारा पा सकता है।  



जबकि साधारण विवाह में तलाक लेने के लिए पूरी न्यायिक प्रक्रिया अपनानी पड़ती है, दशकों के बाद तलाक होता है वह भी पूरा भरण पोषण देकर। यह भी कहा गया है कि यूसीसी में नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया गया है, जिसके भविष्य में गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
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