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Colddrip Syrup: बच्चों का मीठा सिरप कैसे बन गया जहर? मध्यप्रदेश में 15 बच्चों की मौत का कारण कैसे बना ये दवा

cy520520 2025-10-8 00:47:28 views 1080

\“खुद अपने हाथों से अपने बच्चे को जहर दे रहे थे और हमें कुछ पता ही नहीं था...\“, ये बातें मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा की रहने वाली अफसाना के हैं। उन्होंने कुछ दिनों पहले अपने चार साल के बेटे उसैद को मौत के मुंह में जाते हुए देखा। उसैद को हल्के बुखार और खांसी के बाद जब स्थानीय डॉक्टर ने ‘कोल्ड्रिफ कफ सिरप’ देने की सलाह दी थी और उसके बाद से ही बच्चे की तबियत बिगड़ गई। इलाज के लिए अफसाना ने अपने गहने तक गिरवी रख दिए पर लाख कोशिशों के बाद भी उसैद को बचाया नहीं जा सका।  





ये कहानी केवल अफसाना और उनके बेटे उसैद की नहीं है बल्कि मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में रहने वाले 15 परिवारों की है। इन परिवारों ने एक सिरप के कारण अपने बच्चों की मौत अपने आंखों के सामने देखी है। इन परिवार का कहना है कि कफ सिरप पीने के बाद बच्चों का स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ा और उन्हें बचाया नहीं जा सका। आखिर एक कफ सिरप, मध्यप्रदेश में 15 बच्चों के मौत का कारण कैसे बना...आइए जानने की कोशिश करते हैं इस सवाल का जवाब।





जहर बना कोल्ड्रिफ सिरप





मध्यप्रदेश में 15 बच्चों की मौत के पीछे कोल्ड्रिफ कफ सिरप को जिम्मेदार बताया गया है। जांच में इस कफ सिरप मे कई खतरनाक केमिकल पाए गए हैं। फिलहाल इस कफ सिरप को मध्यप्रदेश राजस्थान, पंजाब, हरियाणा समेत देश के कई राज्यों में बैन कर दिया गया है। वहीं बच्चों को ये दवा लिखने वाले डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार कर लिया गया है और कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाने वाली कंपनी श्रेसन फार्मास्युटिकल (कांचीपुरम, तमिलनाडु) के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। ये कंपनी कांचीपुरम, तमिलनाडु में है।





कैसे बनता है ये सिरप




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अब सवाल ये उठता है कि कोल्ड्रिफ सिरप में ऐसा क्या था, जिसने बच्चों के लिए जहर का काम किया। इस सवाल का जवाब जानने से पहले ये जान लेते हैं कि आखिर कप सिरप बनता कैसे है। खांसी के सिरप बनाने में आमतौर पर क्लोरफेनिरामाइन और फेनिलफ्राइन दवाइयों का इस्तेमाल होता है। 4 साल से कम उम्र के बच्चों को आमतौर पर यह दवाई दी जाती है। ये दवाइयां पाउडर के फॉर्म में होती हैं इसलिए इनको घोलने के लिए एक सॉल्वेंट की जरूरत होती है। बच्चे कड़वी दवाई नहीं पीते इसलिए मीठा सॉल्वेंट या गाढ़ा करने वाले ग्लिसरीन या प्रोपिलीन ग्लाइकॉल मिलाया जाता है।





वहीं जब सॉल्वेंट की जगह EG यानी एथिलीन ग्लाइकॉल या फिर DEG यानी डाई-एथिलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल किया जाता है तो ये बच्चों के लिए जहर बन जाती है। EG और DEG रंगहीन और गंधहीन एल्कोहल हैं, जिनका इस्तेमाल इंडस्ट्री केमिकल की तरह पेंट, हाइड्रोलिक ब्रेक फ्लूड, स्याही, बॉल पॉइंट पेन वगैरह में होता है। WHO के मानक के अनुसार दवाइयों में EG या DEG का इस्तेमाल 0.1% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। दवाइयों में इनकी ज्यादा मात्रा में मौजूदगी जहरीली मानी जाती है। जब EG या DEG शरीर में जाते हैं, तो टॉक्सिक मेटाबोलाइट्स यानी जहरीले रसायन बनते हैं। इससे किडनी और शरीर के कई अंदुरुनी हिस्सों को नुकसान होता है।





पाया गया ये खतरनाक केमिकल





मध्य प्रदेश में बीते एक महीने में इस कोल्ड्रिफ सिरप ने 15 बच्चों की जान ले ली। वहीं 1 अक्टूबर को मध्यप्रदेश सरकार ने  तमिलनाडु सरकार को पत्र लिखकर दवा बनाने वाली कंपनी के खिलाफ जांच करने के लिए कहा था। इसके बाद तमिलनाडु के ड्रग कंट्रोल विभाग ने जांच में श्रेसन फार्मास्युटिकल्स में बन रही कोल्ड्रिफ  सिरप के “मिलावटी“ होने की पुष्टि की थी। तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल विभाग की 2 अक्टूबर की रिपोर्ट के अनुसार कोल्ड्रिफ सिरप के बैच एस आर-13 को \“मिलावटी\“ घोषित किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक़, सिरप में 48.6 प्रतिशत डायथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया, जो जहरीला केमिकल है और सेहत के लिए घातक होता है।  





वहीं इस कफ सिरप से हुए मौतों को लेकर एक्सपर्ट्स का कहना है कि, कप सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल मूल रूप से कूलेंट के तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं। इनका स्वाद मीठा और ठंडा होता है, जो खाने योग्य सोर्बिटॉल जैसा लगता है। लेकिन सोर्बिटॉल महंगा होता है, इसलिए अक्सर दवा कंपनियां सस्ते विकल्प के रूप में डायथिलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल करती हैं।





यह कोई पहली बार नहीं है जब ऐसी त्रासदी हुई हो। 2020 में जम्मू-कश्मीर में 12 बच्चों की मौत, 2022 में गाम्बिया में कम से कम 66 बच्चों की मौत इसी तरह की मिलावटी दवाओं से जुड़ी थी। अब मध्य प्रदेश में घटे इस घटना ने कई तरह के सवाल एक बार फिर से खड़े कर दिए हैं।
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