बनारस में 26 से 28 सितंबर तक होगा जागरण फिल्म फेस्टिवल/ फोटो- Book My Show
एंटरटेनमेंट डेस्क,नई दिल्ली। जागरण फिल्म फेस्टिवल का धमाकेदार आगाज हो चुका है। यहां देशभर के सितारों का जमावड़ा लगा हुआ है। दिल्ली से लेकर लखनऊ, कानपुर और फिर प्रयागराज के बाद ये बनारस पहुंच चुका है। इस दौरान मनोज बाजपेयी, दिव्या खोसला कुमार और काजोल जैसे कई सितारों ने मंच से जुड़कर इसके बारे में जानकारियां शेयर कीं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बनारस में भी शो तीन दिनों तक चलने वाला है जिसकी अवधि 26 सितंबर से 28 सितंबर होगी। इस दौरान कई बेहतरीन फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाएगी। वहां क्या कुछ खास हो सकता है और किन सितारों से आपको मिलने का मौका मिलेगा, चलिए जानते हैं -
इस कड़ी में सबसे पहले फिल्म है - तू मेरी पूरी कहानी
इसके निर्देशक हैं सुहृता दास। फिल्म की कहानी की बात करें जो इसमें एक बेटी अपनी मां के सम्मान की रक्षा के लिए प्रसिद्धि की तलाश में भटकती है। बाद में वह खुद को एक शक्तिशाली स्टूडियो प्रमुख और उस गायिका के बीच फंसा पाती है जो उससे सच्चा प्यार करती है। अंत में, उसे पता चलता है कि केवल प्यार और स्वीकृति ही - स्टारडम नहीं। View this post on Instagram
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जेएफएफ लिटिल लाइट्स - ए सेलिब्रेशन ऑफ यंग वॉइसेज
अपनी शुरुआत से ही, जेएफएफ ने मुख्य रूप से 18 वर्ष से अधिक आयु के दर्शकों के लिए फिल्में तैयार की हैं। हालांकि, अपनी टैगलाइन “सभी के लिए अच्छा सिनेमा“ के अनुरूप, इस साल महोत्सव में सुबह के समय बच्चों के लिए एक विशेष खंड भी शामिल किया गया है। इस क्यूरेटेड पैकेज में विभिन्न प्रकार की फिल्में शामिल हैं जिसमें शॉर्ट फिल्में, एनिमेशन, फीचर फिल्में जो उन विषयों को छूती हैं जिनसे बच्चे स्वाभाविक रूप से जुड़ते हैं जैसे दोस्ती, रोमांच, कल्पना, साहस और सहानुभूति आदि शामिल हैं।
इन फिल्मों की होगी स्क्रीनिंग
दोस्तबुक
दोस्तबुक के निर्देशक अनिल कुमार आनंद हैं। इसकी स्क्रीनिंग 27 सितंबर 2025 को की जाएगी।
क्या है कहानी?
दिल्ली के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में से एक, विवेकानंद स्कूल ने “दोस्तबुक“ के निर्माण के साथ पारंपरिक शिक्षा से आगे बढ़कर एक अभिनव कदम उठाया है, जो युवा मन को प्रेरित और प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई एक सिनेमाई कृति है। स्कूल द्वारा पूरी तरह से निर्मित यह बच्चों की फिल्म, लक्ष्य निर्धारण, दृढ़ता, अनुशासन और निरंतरता जैसे आवश्यक गुणों को समाहित करके छात्रों के जीवन की चुनौतियों का सामना करने के तरीके को फिर से परिभाषित करेगी।
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मैजिकल प्लांट
दस साल का सुब्बू और मैगी अपने सहपाठी मोंटू के घर वीडियो गेम खेलने जाते हैं और उन्हें पता चलता है कि मोंटू का परिवार एक जादुई पौधे की वजह से अमीर है, जिसे मोंटू के पिता ने अपने बॉस के घर से चुराया था। लालच में आकर सुब्बू उस पौधे की एक टहनी चुरा लेता है। जब मोंटू को यह पता चलता है, तो वह आग-बबूला हो जाता है और मैगी और सुब्बू से पूछताछ करता है, लेकिन वे किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार करते हैं। संयोग से, दोनों को अप्रत्याशित रूप से पैसे मिलने लगते हैं, जिससे पौधे के जादू पर उनका विश्वास और भी मज़बूत हो जाता है।
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