तेज गति, लापरवाही, नशे में ड्राइविंग, ओवर लोडिंग, सड़कों की खराब स्थिति और मोबाइल का इस्तेमाल बन रहे दुर्घटना का कारण. Concept Photo
विनोद चतुर्वेदी, चंपावत। पहाड़ की सर्पीली सड़कों के हर मोड़ पर हमेशा दुर्घटना का खतरा रहता है। सामान्य तौर पर तेज गति, लापरवाही, नशे में ड्राइविंग, ओवर लोडिंग, सड़कों की खराब स्थिति और मोबाइल का इस्तेमाल जैसे कारण दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार होते हैं। गुरुवार की रात टनकपुर-पिथौरागढ़ हाईवे पर बारातियों की कार दुर्घटनाग्रस्त होने का कारण भी ओवर लोडिंग और चालक के नशे में होना बताया जा रहा है। इस हादसे में पांच लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि पांच घायल हो गए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बागधारा के पास हुआ यह हादसा इस वर्ष का पहला बड़ा हादसा है, जिसमें सबसे अधिक पांच जानें चले गई। इसी वर्ष चार नवंबर को लोहाघाट ब्लाक के डुंगराबोरा गांव में कार के खाई में गिरने से दो लोगों की मौत हो गई थी जबकि एक व्यक्ति घायल हो गया था। नौ मई को बरेली से पिथौरागढ़ जा रही कार सिन्याड़ी के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी जिसमें एक पर्यटक की मौत हो गई थी। 22 जून को पूर्णागिरि मार्ग पर गेंडाखाली के पास एक कार चालक ने दूसरी कार को टक्कर मार दी जिससे एक युवक की जान चली गई। इसी वर्ष 26 सितंबर को अमोड़ी-छतकोट-सिन्याड़ी मार्ग पर एक मैक्स वाहन सड़क पर ही पलट गया।
गनीमत रही कि इस हादसे में किसी की जान नहीं गई। 11 यात्री चोटिल जरूर हो गए थे। इन सभी दुर्घटनाओं की मजिस्ट्रेटी जांच में चालकों का नशे में होने और यातायात नियमों का पालन न करना पाया गया। नेशनल हाईवे से लेकर आंतरिक सड़कों में आए दिन होने वाली जानलेवा दुर्घटनाओं से बचाव के लिए परिवहन व पुलिस विभाग समय-समय पर रोड सेफ्टी अभियान चलाते हैं, लेकिन उसका प्रभावी असर देखने को नहीं मिलता।
बारातियों का वाहन खाई में गिरने से हुई थी 14 मौत
पिछले पांच वर्षों के भीतर जिले में सबसे बड़ी भीषण सड़क दुर्घटना वर्ष 2022 में सूखीढांग-रीठा साहिब मोटर मार्ग पर हुई थी। टनकपुर के पंचमुखी धर्मशाला में हुई शादी से लौट रहे बारातियों का मैक्स वाहन खाई में गिरने से उसमें सवार 16 में से 14 बारातियों की मौत हो गई थी। मृतकों में चार महिलाएं और एक पांच साल की बच्ची भी शामिल थी। यह दुर्घटना भी रात में 10 बजे हुई। मजिस्ट्रेटी जांच में दुर्घटना का कारण चालक को झपकी आना पाया गया था।
बारात और स्कूली वाहनों की गहनता से नहीं होती जांच
पुलिस व परिवहन विभाग अमूमन बारात के वाहनों और स्कूल बसों की गहनता से पड़ताल नहीं करते। जबकि जान माल की सुरक्षा की दृष्टि से इन वाहनों की चेंकिंग सबसे जरूरी होती है। बारात में चलने वाले अधिकांश चालक नशे में रहते हैं और वाहनों में टेप रिकार्डर बजाते हुए बारातियों के संग मस्ती मारते हैं। अधिकांश बारात के वाहन ओवरलोडिंग रहते हैं, जो दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं।
2018 से अब तक हुई प्रमुख सड़क दुर्घटना
- सात फरवरी 2018 : स्वांला में जीप की खाई में गिरने से 10 लोगों की मौत।
- 14 जुलाई 2018 :बनलेख के छतकांडा में खाई में जीप गिरने से चार लोगों की मौत।
- 27 जनवरी 2019 : बाराकोट के च्यूरानी गांव के पास पिकअप के खाई में गिरने से नौ लोगों की मौत।
- 22 फरवरी 2022 : सूखीढांग-रीठा मोटर मार्ग पर ढेकाढूंगा में जीप के खाई में गिरने से 14 बारातियों की मौत।
- पांच मार्च 2023 : दुधौरी के पास जीप के खाई में गिरने से चालक सहित चार लोगों की मौत।
- 23 मार्च 2023 : पूर्णागिरि मार्ग पर ठुलीगाड़ में बस से कुचलकर पांच श्रद्वालुओं की मौत, आठ घायल।
- चार दिसंबर 2025 : घाट के समीप बागधारा के पास कार खाई में गिरने से पांच बारातियों की मौत, पांच घायल।
सड़क दुर्घटना को कम करना पुलिस की प्राथमिकता है। इसके लिए समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले चालकों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जा रही है। दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए परिवहन विभाग के साथ समन्वय बनाकर कार्य किया जा रहा है। - अजय गणपति, पुलिस अधीक्षक, चंपावत
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