झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रबीन्द्रनाथ महतो ने कहा है कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में झारखंड तेज गति से आगे बढ़ेगा।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रबीन्द्रनाथ महतो ने कहा है कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में झारखंड तेज गति से आगे बढ़ेगा। अध्यक्ष ने विश्वास जताया कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड विकास के पथ पर और तेजी से अग्रसर होगा तथा विकास को अधिक न्यायपूर्ण, सतत और सबके लिए सुलभ बनाया जाएगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
शुक्रवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में आरंभिक वक्तव्य के दौरान उन्होंने सदस्यों से जन आकांक्षाओं को रेखांकित करते हुए सदन को लोकतंत्र का सबसे पवित्र मंदिर करार दिया। उन्होंने कहा कि यह सदन केवल ईंट-पत्थरों का भवन नहीं, बल्कि जनता की आशाओं-आकांक्षाओं का जीवंत केंद्र है, जहां हर आवाज में जनता का स्वर बसता है।
अध्यक्ष ने घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में हुए उप चुनाव में विजयी हुए सोमेश चन्द्र सोरेन का सदन में औपचारिक स्वागत किया। उन्होंने नवनिर्वाचित सदस्य को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनकी उपस्थिति से सदन और समृद्ध हुआ है।
अध्यक्ष ने कहा कि यह सत्र प्रश्नकाल, वित्तीय दायित्व, विधायी कार्य और निजी सदस्यों के मुद्दों का संतुलित समायोजन है, जिसमें सूक्ष्मता और गंभीरता से विचार किया जाएगा।
रजत जयंती वर्ष में आत्ममंथन और नए संकल्प
रबीन्द्रनाथ महतो ने झारखंड के 25 वर्ष पूरे होने का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य ने इस रजत जयंती को केवल उत्सव नहीं, बल्कि आत्ममंथन, विकास यात्रा और नए संकल्पों के रूप में मनाया है। आदिवासी परंपराएं, किसानों का परिश्रम, युवाओं की ऊर्जा और खनिज संपदा ने मिलकर राज्य को मजबूती दी है।
उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचा, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सशक्तीकरण में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, लेकिन दूरदराज के गांवों में आधारभूत सुविधाएं, युवाओं के लिए रोजगार, आदिवासी-मूलवासी समुदायों का समावेशी विकास और प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित उपयोग अभी भी बड़ी चुनौतियां हैं।
विचारों का इंद्रधनुष ही लोकतंत्र की सुंदरता
अध्यक्ष ने सभी सदस्यों से आग्रह किया कि मतभेदों के बावजूद संवाद की पवित्रता बनाए रखें। उन्होंने कहा कि विचारों के विविध रंगों से ही सदन का इंद्रधनुष बनता है और सहमति-असहमति की धाराओं से ही शासन चलता है। उन्होंने कामना की कि शीतकालीन सत्र सुचारु, अनुशासित, बहुपयोगी और जनकल्याणकारी सिद्ध होगा। |