New Year 2026 remedies (Picture Credit: Freepik)\(AI Generated Image)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। नए साल की शुरुआत के साथ ही लोगों को यह उम्मीद रहती है, कि आने वाला साल उनके व उनके परिवार के लिए ढेर सारी खुशियां लेकर आएगा। लोग नए साल पर कई तरह के प्रण भी लेते हैं, ताकि उनका आने वाला जीवन बेहतर बन सके। ऐसे में अगर आप नए साल की शुरुआत होने से पहले अपने जीवन में इन चीजों को अपने दैनिक कार्यशैली का हिस्सा बनाते हैं, तो इससे आपको अच्छे परिणाम देखने को मिल सकते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अच्छी होगी दिन की शुरुआत
नए साल में लाभ पाने के लिए आपको रोजाना सुबह उठकर सबसे पहले रोजाना ईश्वर व अपने ईष्ट देव का ध्यान करें। साथ ही रोजाना सुबह उठकर सबसे पहले अपनी हथेलियों को आपस में जोड़कर इनके दर्शन करें और इस मंत्र का जप करें -
कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती, करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम्\“
इसके बाद अपनी हथेलियों को चेहरे पर तीन-चार बार फेरें। इस मंत्र को कर दर्शन मंत्र कहा जाता है, जिसका रोजाना सुबह जप करना बेहद लाभकारी माना गया है। इससे साधक पर देवी-देवताओं की कृपा बना रहती है और दिन की शुरुआत सकारात्मकता के साथ होती है।
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जरूर करें ये काम
घर में एक तुलसी का पौधा जरूर लगाएं। इसके साथ ही नए साल की शुरुआत से पहले रोजाना शाम के समय तुलसी के पास और घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाएं। इससे आसपास मौजूद नकारात्मकता नष्ट होती है और वातावरण में शुद्धता बनी रहती है। रोजाना यह कार्य करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
दूर होगी नेगेटिविटी
अगर आपके घर में नेगेटिविटी बढ़ गई है, तो इसके लिए आप रोजाना पानी में थोड़ा-सा नमक मिलाकर घर में पोछा लगा सकते हैं। इसके साथ ही उपाय को करने से जातक को वास्तु दोष से राहत मिलती है। इसके साथ ही रोजाना घर में कपूर, धूप या गूगल जलाकर इसकी धूनी पूरे घर में दिखाएं। यह भी घर से नेगेटिविटी दूर करने का एक बेहतरीन उपाय है। आप घर के कोनों में समुद्री नमक या फिटकरी भी रख सकते हैं। थोड़े-थोड़े दिनों में इसे बदलते रहें।
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रोजाना करें इन मंत्रों का जप
आप रोजाना सुबह-सुबह स्नान आदि के बाद इस मंत्रों का जप करके भी शुभ परिणामों की प्राप्ति कर सकते हैं।
1. गायत्री मंत्र -
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।।
2. “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
3. भूमि वंदना मंत्र -
समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डिते ।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्व मे।।
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