रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा ( vladimir putin india visit) पर दुनिया की पैनी नजर है।
नई दिल्ली। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा ( vladimir putin india visit) पर दुनिया की पैनी नजर है। खास तौर से अमेरिका देश के राष्ट्रपति ट्रंप की होगी, जो हमेशा रूस के नाम पर भारत पर टैरिफ बढ़ाने की बात करते रहते हैं। भारत के पास पुतिन की यात्रा से अपना व्यापार घाटा कम करने की अपार संभावनाएं है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
रूस में इन वस्तुओं की भारी मांग
रूस को मजबूत निर्यात के लिए भारत की संभावनाएं इंजीनियरिंग सामान, फार्मास्युटिकल्स, रसायन और कृषि जैसे क्षेत्रों में हैं। रूस में इन वस्तुओं की भारी मांग है। एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी है। इन उच्च-मूल्य वाले क्षेत्रों के अलावा कपड़ा, परिधान, चमड़े के सामान, हस्तशिल्प, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और हल्के इंजीनियरिंग जैसे श्रम-केंद्रित उद्योग भी रूस के बड़े उपभोक्ता आधार और भारत की लागत प्रतिस्पर्धात्मकता को देखते हुए पर्याप्त संभावनाएं रखते हैं।
रूस के साथ बढ़ते व्यापार घाटे को पाटने का तरीका
इन क्षेत्रों से निर्यात बढ़ाने से रूस के साथ बढ़ते व्यापार घाटे को पाटने में मदद मिलेगी, जो पिछले वित्त वर्ष में लगभग 59 अरब डॉलर (5,32,025 करोड़ रुपये) था। वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़े की बाजार हिस्सेदारी एक प्रतिशत से कम है, फिर भी मांग काफी है, अगर यह क्षेत्र मजबूत वितरण नेटवर्क द्वारा समर्थित हो तो विस्तार के लिए काफी जगह उपलब्ध है। सरकारी अधिकारी ने कहा कि रूस में भारत के निर्यात विस्तार का अगला चरण भारत के वैश्विक प्रतिस्पर्धी क्षेत्रों और रूस की बड़ी, कम सेवा वाली आयात जरूरतों के बीच एक मजबूत तालमेल पर निर्भर करता है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘भारत की बढ़ती वैश्विक ताकत को प्रतिबिंबित करने वाले सबसे आशाजनक क्षेत्र इंजीनियरिंग सामान, फार्मास्युटिकल्स, रसायन और कृषि हैं, जो सभी रूसी बाजार की अपूरित मांग के अनुरूप हैं।’’
आयात मांग के मुकाबले 45.2 करोड़ डॉलर के उत्पादों का निर्यात
भारत वर्तमान में रूस को लगभग चार अरब डॉलर की वैश्विक आयात मांग के मुकाबले 45.2 करोड़ डॉलर के उत्पादों का निर्यात करता है। इंजीनियरिंग सामानों में सबसे बड़ा अंतर है, जिसमें भारत नौ करोड़ डालर का निर्यात करता है, जबकि मॉस्को इस क्षेत्र में 2.8 अरब डालर का आयात करता है। इसी तरह, रसायन और प्लास्टिक भी एक समान पद्धति दिखाते हैं, जिसमें भारत 4.06 अरब डॉलर की मांग में से 13.5 करोड़ डॉलर का योगदान देता है। फार्मास्युटिकल्स भी एक रणनीतिक गलियारा बना हुआ है क्योंकि भारत 54.6 करोड़ डॉलर की आपूर्ति करता है, लेकिन रूस का फार्मा आयात खर्च 9.76 अरब डॉलर तक पहुंच जाता है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान भारत और रूस व्यापार और स्वास्थ्य सेवा सहित कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हैं। भारत के वैश्विक निर्यात में रूस की हिस्सेदारी 1.1 प्रतिशत है। दूसरी ओर, रूस के आयात में भारत की हिस्सेदारी मामूली 2.3 प्रतिशत के आसपास बनी हुई है। द्विपक्षीय व्यापार संबंध महत्वपूर्ण हैं क्योंकि भारत डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा 50 प्रतिशत के भारी शुल्क का सामना कर रहा है और रूस यूक्रेन के साथ युद्ध के कारण पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना कर रहा है।
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भाषा इनपुट के साथ |